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Last Modified: रविवार, 12 जून 2022 (14:28 IST)

धनशोधन मामले में राहुल को भेजा गया ईडी का समन 'निराधार' है : चिदंबरम

धनशोधन मामले में राहुल को भेजा गया ईडी का समन 'निराधार' है : चिदंबरम - P Chidambaram's statement in money laundering case
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को कहा कि धनशोधन मामले में राहुल गांधी को भेजा गया प्रवर्तन निदेशालय का समन निराधार है और ऐसा प्रतीत होता है कि जांच एजेंसी का अधिकार क्षेत्र भाजपा नेताओं या पार्टी के द्वारा शासित राज्यों तक नहीं है। चिदंबरम ने कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में कर्ज को हिस्सेदारी में बदला गया है और उधार देने वाले बैंक नियमित आधार पर ऐसा करते हैं। इस मामले में पैसे का कोई लेनदेन नहीं हुआ।

चिदंबरम ने कहा कि आगामी राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों के बीच एकता कायम करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए और ऐसा किया जाएगा। राहुल और सोनिया गांधी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन और सोमवार को जांच एजेंसी के सामने पेश होने पर कांग्रेस के शक्ति प्रदर्शन के फैसले के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा, मैं एक कांग्रेस सदस्य और एक वकील के रूप में अपनी बात रखना चाहता हूं।

राहुल गांधी को पीएमएलए (धनशोधन निवारण अधिनियम) के तहत भेजा गया ईडी का समन निराधार है। पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि धनशोधन के अपराध में 'धन' और 'धनशोधन' होना चाहिए। नेशनल हेराल्ड मामले में कर्ज को हिस्सेदारी में बदला गया है और उधार देने वाले बैंक नियमित आधार पर ऐसा करते हैं। इस मामले में पैसे का कोई लेनदेन नहीं हुआ।

उन्होंने कहा, इसलिए इसे धनशोधन का मामला कैसे कहा जा सकता है। उन्होंने दलील दी, यह एक व्यक्ति पर 'बटुआ छीनने' के अपराध का आरोप लगाने जैसा है, जबकि कोई बटुआ था ही नहीं और छीना भी नहीं गया।चिदंबरम ने कहा कि वह कांग्रेस सदस्य के रूप में पार्टी के नेता राहुल गांधी के साथ एकजुटता व्यक्त करेंगे और सोमवार को उनके साथ ईडी कार्यालय तक होने वाले मार्च में शामिल रहेंगे।

चिदंबरम ने सरकार के इस तर्क पर भी प्रतिक्रिया दी कि एजेंसियां अपना काम करती हैं और विपक्ष ने अगर कुछ गलत नहीं किया तो उसे चिंता नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां तक ईडी 'अपना काम कर रही है' का सवाल है, तो मैं कहना चाहूंगा कि 'ऐसा प्रतीत होता है कि ईडी का अधिकार क्षेत्र भाजपा के सदस्यों या भाजपा द्वारा शासित राज्यों तक नहीं है।

विपक्ष के खिलाफ ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल किए जाने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों की 'चुनिंदा कार्रवाई' ने विपक्षी दलों के मन में संदेह पैदा किया है। उन्होंने कहा, मैं और कुछ नहीं कहूंगा।

धनशोधन मामले में 13 जून को राहुल गांधी के ईडी के समक्ष पेश होने से पहले कांग्रेस ने फैसला किया है कि पार्टी के सभी शीर्ष नेता और सांसद यहां एजेंसी मुख्यालय तक विरोध मार्च निकालेंगे और केंद्रीय एजेंसियों के 'दुरुपयोग' के खिलाफ 'सत्याग्रह' करेंगे। राज्यों में भी सोमवार को कांग्रेस नेता एजेंसी के कार्यालयों तक मार्च निकालेंगे और 'सत्याग्रह' करेंगे।

पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले और इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के आह्वान के बारे में चिदंबरम ने कहा, निश्चित रूप से प्रधानमंत्री को दो (भाजपा) प्रवक्ताओं के आपत्तिजनक बयानों के तुरंत बाद बोलना चाहिए था और कार्रवाई करनी चाहिए थी।

उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री की चुप्पी विस्मयकारी है, लेकिन यह पिछले मौकों पर उनकी चुप्पी के अनुरूप है। यह दुखद है कि सरकार तब बहरी बनी रही जब विपक्षी दलों, नागरिक समाज के नेताओं, लेखकों, विद्वानों और आम नागरिकों ने सरकार को इस्लामोफोबिया को समाप्त करने के लिए कहा था। वह तब होश में आई जब 16 देशों ने टिप्पणियों पर विरोध जताया।

चिदंबरम ने पूछा कि क्या भारतीय मुसलमानों को इस्लामोफोबिया को रोकने के लिए दूसरे देशों की ओर देखना चाहिए। देश के विभिन्न हिस्सों में इस मुद्दे पर जारी विरोध प्रदर्शनों पर, चिदंबरम ने कहा कि जब धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखने की बात आती है तो सरकार (और सरकार चला रही भाजपा) का 'कपटी रूप उजागर' हो जाता है।

चिदंबरम ने कहा, मैंने पढ़ा कि साध्वी प्रज्ञा ने नूपुर शर्मा के समर्थन में बात की है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की चुप्पी, भाजपा के भीतर प्रवक्ताओं का समर्थन और 16 देशों के जोरदार विरोध पर नौकरशाहों की प्रतिक्रिया भाजपा के रुख के बारे में सबकुछ बयां कर रही है।(भाषा) 
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