ओशो रजनीश की वसीयत का विवाद, पुलिस को जांच में तेजी लाने के आदेश
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने दिवंगत आध्यात्मिक गुरु ओशो रजनीश की वसीयत के फर्जीवाड़े के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंपने से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति शालिनी फनसालकर जोशी की पीठ ने कहा कि उसे जांच ट्रांसफर करने की जरूरत अभी महसूस नहीं हुई है। अदालत ने पुणे पुलिस को निर्देश दिया कि वह जांच में तेजी लाए। पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह पुलिस को जरूरी सहायता मुहैया कराए और विदेशों से दस्तावेज प्राप्त करने की अनुमति देने में तेजी लाए।
न्यायालय योगेश ठक्कर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। योगेश रजनीश के अनुयायी थे। उन्होंने दावा किया कि स्विट्जरलैंड स्थित ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन ने एक फर्जी वसीयत पर रजनीश के दस्तखत का फर्जीवाड़ा किया ताकि उनके बौद्धिक संपदा अधिकार फाउंडेशन के नाम हो जाएं।