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Last Modified: बुधवार, 19 जून 2019 (21:04 IST)

एक देश, एक चुनाव पर बनेगी कमेटी, कई दलों ने किया बैठक का बहिष्कार

एक देश, एक चुनाव पर बनेगी कमेटी, कई दलों ने किया बैठक का बहिष्कार - OneNationOneElection
नई दिल्ली। लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराने के विषय पर विस्तृत अध्ययन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक समिति गठित करेंगे।
 
यह निर्णय मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रमुखों नेताओं की बैठक में लिया गया। रक्षामंत्री राजनाथसिंह ने करीब चार घंटे चली बैठक के बाद बताया कि इसमें ज्यादातर दलों ने देश में सभी चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे का समर्थन किया। केवल माकपा और भाकपा ने यह सवाल उठाया है कि यह कैसे होगा और इसका तरीका क्या होगा। वैसे इन दोनों दलों ने भी इस मुद्दे का विरोध नहीं किया।
 
सिंह ने कहा कि यह समिति निर्धारित समय-सीमा में अपनी रिपोर्ट देगी और उसके आधार पर आगे कदम उठाया जाएगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह मिलीजुली समिति होगी। सरकार ने संसद में प्रतिनिधित्व वाले 40 दलों के प्रमुखों को बैठक के लिए आमंत्रित किया था, जिनमें से 21 ने बैठक में हिस्सा लिया और तीन दलों ने अपनी राय लिखित में भेजी है।
 
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, बसपा, आम आदमी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, तेलुगू देशम पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल तथा जनता दल एस बैठक में हिस्सा नहीं वाले दलों में शामिल हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दल शिवसेना और अन्नाद्रमुक ने भी इसमें भाग नहीं लिया।
 
यह बैठक प्रधानमंत्री ने एक देश एक चुनाव, संसद के दोनों सदनों में ज्यादा से ज्यादा कामकाज किए जाने, आजादी के 75वें वर्ष में नए भारत के निर्माण, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से संबंधित समारोह तथा आकांक्षी जिलों के विकास के मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए बुलाई थी। 
 
सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मुद्दा भाजपा या किसी एक दल का नहीं बल्कि देश का एजेंडा है। प्रधानमंत्री ने सभी नेताओं के सुझावों की सराहना की और कहा कि सरकार सभी को विश्वास में लेकर आगे बढ़ेगी और मतभिन्नता का भी सम्मान किया जाएगा। सिंह ने कहा कि बैठक में मौजूद सभी दलों ने इसकी सराहना की। विभिन्न दलों के नेताओं ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने के विषय पर किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले इसके सभी पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि सभी दलों में इस बात पर पूरी सहमति थी कि संसद में संवाद और वार्तालाप का माहौल बना रहे। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से संबंधित कार्यक्रमों के बारे में चर्चा के दौरान नेताओं ने कहा कि नई पीढ़ी को उनके जीवन से रूबरू कराया जाना जरूरी है और इस दौरान विभिन्न योजनाओं के माध्यम से वर्ष 2022 तक विकास कार्यक्रमों को पूरा करने का संकल्प लिया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि जयंती समारोह को किसी ‘ईवेंट’ के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए और महात्मा गांधी अभी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने आजादी के आंदोलन के समय थे।
 
सिंह ने कहा कि आकांक्षी जिलों के विकास की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जल प्रबंधन एक चुनौती है और इससे निपटने के लिए योजनाओं पर काम करना जरूरी है। उन्होंने स्वच्छता आंदोलन में तेजी लाने और इसे जनांदोलन बनाने पर भी जोर दिया।
 
इससे पहले माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि उनकी पार्टी सभी चुनाव एक साथ कराने का समर्थन करती है, लेकिन अभी सरकार यह नहीं बता पा रही है कि यह कैसे होगा। उनकी पार्टी ने यह सवाल उठाया है कि लोकतंत्र में यह व्यावहारिक नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 356 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस अनुच्छेद के रहते हुए सभी चुनाव एक साथ कैसे हो सकते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्वीकार किया कि सरकार की मंशा देश को राष्ट्रपति शासन प्रणाली की ओर ले जाने की हो सकती है।
 
बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक ने कहा कि उनकी पार्टी सभी चुनाव एक साथ कराने का समर्थन करती है। उन्होंने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के संदर्भ में कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि संविधान की प्रस्तावना में ‘शांति और अहिंसा’ को भी जगह दी जानी चाहिए।
 
बैठक में गृहमंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, कृषि मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर, सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री थावरचंद गेहलोत और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी भी मौजूद थे। इसके अलावा जदयू के नीतीश कुमार, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की महबूबा मुफ्ती, भाकपा के सुधाकर रेड्डी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के जगन मोहन रेड्डी, शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर बादल, एएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, लोक जनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान, रिपब्लिकन पार्टी के रामदास अठावले, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्‍डा और तेलंगाना राष्ट्र समिति के केटी रामाराव शामिल थे।
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