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नए, असाधारण फैसलों और फरमानों के नाम रहा साल 2016

नए, असाधारण फैसलों और फरमानों के नाम रहा साल 2016 - Notbandi, 2016, central government, Aaina 2016, State government
नई दिल्ली। केंद्र सरकार का नोटबंदी का फैसला, दिल्ली सरकार की सम-विषम योजना, बिहार सरकार का शराबबंदी का फरमान इस साल केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लीक से हटकर लिए गए असाधारण फैसले रहे जिन्हें लेकर इन सरकारों की सराहना और आलोचना दोनों ही हुईं। इनके अलावा कई और ऐसे फैसले रहे, जो काफी चर्चाओं एवं विवादों में रहे। इनमें केंद्र सरकार द्वारा हिन्दी समाचार चैनल एनडीटीवी इंडिया के प्रसारण पर 1 दिन की रोक लगाने का फैसला प्रमुख था।
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने दिसंबर 2015 में सम-विषम योजना की घोषणा की थी। योजना नए साल (2016) में 15 दिनों के लिए (1 जनवरी 2016 से 15 जनवरी तक) लागू की गई। योजना के तहत नियम बनाया गया कि सम संख्या की नंबर प्लेट वाली कार कैलेंडर की सम तारीखों वाले दिन और विषम संख्या के नंबर प्लेट वाली कार उसके अगले दिन सड़कों पर चलेगी, वहीं ट्रकों को 9 बजे की बजाय रात 11 बजे के बाद ही राष्ट्रीय राजधानी में घुसने की मंजूरी दी गई। इसके बाद योजना का दूसरा चरण 15 से 30 अप्रैल के बीच लागू किया गया।
 
जहां योजना का एक वर्ग ने समर्थन ने किया तो दूसरे ने आलोचना भी की। योजना से शहर में प्रदूषण में कमी के दिल्ली सरकार के दावे पर बहुत सारे लोगों और नेताओं ने सवाल किए तो कई पर्यावरणविदों ने इसका समर्थन भी किया।
 
एक दूसरे बड़े और असामान्य फैसले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 5 अप्रैल 2016 को राज्य में शराब पर पूरी तरह रोक लगाने की घोषणा की। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आज से राज्य में हर तरह की शराब पर प्रतिबंध होगा। आज से होटल, बार, क्लब और किसी भी दूसरी जगह पर किसी भी तरह की शराब की बिक्री (और सेवन) गैरकानूनी होगी। इस कानून का उल्लंघन करने पर 5 से 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान किया गया।
 
30 सितंबर 2016 को पटना उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में इस प्रतिबंध को 'गैरकानूनी, अव्यावहारिक और असंवैधानिक' करार दिया, हालांकि अदालत के आदेश से पहले बिहार सरकार ने घोषणा की थी कि वह 2 अक्टूबर 2016 को एक नया कठोर कानून लागू करेगी जिसके तहत शराब के गैरकानूनी आयात-निर्यात, उसे कहीं ले जाने, उत्पादन करने, पास रखने, बिक्री पर न्यूनतम 10 साल की जेल की सजा होगी, जो बढ़ाकर उम्रकैद की जा सकती है, साथ ही 1 लाख रुपए का न्यूनतम जुर्माना भी लगाया जाएगा जिसे 10 लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है। 
 
सरकार के नए कदम की काफी आलोचना हुई। इसे तानाशाही कानून बताया गया। 3 अक्टूबर 2016 को बिहार सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने सरकार को राहत देते हुए उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी। 
 
एक और फैसला जो विवादों में रहा, वह केंद्र सरकार द्वारा टीवी समाचार चैनल एनडीटीवी इंडिया के प्रसारण पर 1 दिन की रोक से जुड़ा है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पठानकोट हमले के दौरान कथित रूप से संवेदनशील ब्योरे देकर राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों का उल्लंघन करने के लिए 2 नवंबर को चैनल पर 1 दिन (9 नवंबर 2016 से 10 नवंबर 2016 के बीच) का प्रतिबंध लगाने की घोषणा की जिसे लेकर जमकर विवाद हुआ।
 
पत्रकारों और विपक्षी दलों ने इसकी कड़ी आलोचना करते हुए इसे मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया, वहीं एनडीटीवी ने आरोप लगाया कि उसे अकेले निशाना बनाया जा रहा है जबकि उसकी कवरेज बाकी चैनलों की कवरेज से कहीं ज्यादा संतुलित थी। चैनल ने एक याचिका दायर कर सरकार के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जिसे न्यायालय ने सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया लेकिन सुनवाई से पहले ही सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने एनडीटीवी के प्रतिनिधियों के एकसाथ बैठक करने के बाद प्रतिबंध को निलंबित कर दिया।
 
इसके बाद साल की सबसे बड़ी खबर आई, जो हर गुजरते दिन के साथ व्यापक होती गई। 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टेलीविजन पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोटों का चलन बंद करने की घोषणा की तो सब हैरान रह गए। सरकार ने इस फैसले को कालाधन, भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए उठाया गया एक जरूरी कदम बताया। मोदी ने कहा कि 8 नवंबर को रात 12 बजे के बाद 500 और 1,000 रुपए के नोटों का चलन बंद हो जाएगा लेकिन जरूरी सेवाओं मसलन अस्पतालों, पेट्रोल पम्पों, सार्वजनिक परिवहन वगैरह के लिए 30 दिसंबर तक इन नोटों का इस्तेमाल जारी रहेगा।
 
नोटबंदी के बाद पूरे देश में बैंकों एवं एटीएम के बाहर लंबी-लंबी कतारें लगनी शुरू हो गईं। सरकार ने पुराने नोटों के बदले नए नोट हासिल करने की सीमा शुरू में 4,000 रुपए तय की थी जिसे बाद में 4,500 रुपए प्रति व्यक्ति कर दिया गया वहीं एटीएम से पैसे निकालने की सीमा 2,000 रुपए से बढ़ाकर 2,500 रुपए कर दी गई। इसी तरह बैंक से हफ्ते में अधिकतम 20,000 रुपए निकालने की सीमा बढ़ाकर 24,000 रुपए कर दी गई और 1 दिन में अधिकतम 10,000 रुपए निकालने की सीमा हटा दी गई। बाद में सरकार ने 4,000 रुपए के पुराने नोट बदलने की सीमा घटाकर 2,000 रुपए कर दी और आखिर में इसे बंद ही कर दिया।
 
सरकार ने साथ ही कई रियायतों की घोषणा की जिनमें शादी के आयोजन के लिए 2.5 लाख रुपए की निकासी की मंजूरी, किसानों को हफ्ते में बैंक से 50,000 रुपए निकालने की मंजूरी शामिल है। इस मुद्दे पर संसद में जमकर घमासान हुआ और पूरा का पूरा शीतकालीन सत्र सरकार और विपक्ष की लड़ाई की भेंट चढ़ गया तथा पूरे सत्र में न के बराबर काम हुआ।
 
नोटबंदी लागू होने के बाद से 1 महीने से ज्यादा समय गुजर चुका है तथा जहां एक धड़ा इसका समर्थन कर रहा है तो दूसरा इसका जमकर विरोध कर रहा है, हालांकि इसकी सफलता-असफलता को लेकर स्थिति आने वाले समय में साफ हो जाएगी। (भाषा)