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Last Modified: बुधवार, 17 मार्च 2021 (22:41 IST)

क्या NRC को पूरे देश में लागू करने की योजना है? इस सवाल का सरकार ने संसद में दिया यह जवाब

क्या NRC को पूरे देश में लागू करने की योजना है? इस सवाल का सरकार ने संसद में दिया यह जवाब - no decision yet on nationwide nrc modi government tells rajya sabha
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि उसने राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) को देशव्यापी स्तर पर शुरू करने का कोई फैसला नहीं किया है।
 
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। सवाल में पूछा गया था कि क्या केंद्र सरकार की एनआरसी को पूरे देश में लागू करने की कोई योजना है।
 
राय ने अपने लिखित जवाब में कहा कि अब तक, सरकार ने भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर को राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने का कोई निर्णय नहीं लिया है।
 
उच्चतम न्यायालय की निगरानी में एनआरसी को असम में अद्यतन बनाया गया था। जब 31 अगस्त, 2019 को अंतिम एनआरसी प्रकाशित किया गया था, तो कुल 3,30,27,661 आवेदकों में से 19.06 लाख लोगों को बाहर कर दिया गया था, जिससे पूरे भारत में एक विवाद-सी स्थिति बन गई थी।
एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए राय ने कहा कि नागरिकता अधिनियम, 1955 और भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय पंजी के तहत निरुद्ध केंद्रों का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि 28 फरवरी, 2012 को उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि अपनी सजा पूरी करने वाले विदेशी नागरिकों को तुरंत जेल से रिहा कर दिया जाएगा और उनका निर्वासन या प्रत्यर्पण होने तक उन्हें सीमित आवाजाही के साथ उचित स्थान पर रखा जाएगा।
राय ने कहा कि उस निर्देश के बाद गृह मंत्रालय ने 7 मार्च 2012 को राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन करने के लिए निर्देश जारी किए।
 
मंत्री ने कहा कि अवैध प्रवासियों और विदेशियों को हिरासत में लेने के लिए उनकी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा निरुद्ध केंद्र स्थापित किए जाते हैं। वे अवैध प्रवासी या विदेशी होते हैं जिनकी सजा पूरी हो चुकी हो और जिनका निर्वासन या प्रत्यपर्ण समुचित यात्रा दस्तावेजों के अभाव में लंबित हो।
 
40,000 जवानों ने मांगी वीआरएस : सरकार ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और असम राइफल्स के 40,096 जवानों ने पिछले 5 वर्षों में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांगी है जबकि इसी अवधि में 6,529 अन्य जवानों ने इस्तीफा दिया है।
 
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को बताया कि इनमें से आधे से अधिक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआर) अकेले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कर्मियों द्वारा मांगी गई है जबकि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के जवानों द्वारा इस्तीफे के सर्वाधिक मामलों को देखा गया है।
राय ने पिछले 5 वर्षों के दौरान सीएपीएफ और असम राइफल्स के कर्मियों द्वारा मांगे गए इस्तीफे और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में वर्ष 2016 से वर्ष 2020 तक के आंकड़े प्रस्तुत किए। (भाषा)
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