राफेल सौदे पर रक्षामंत्री का पलटवार, कांग्रेस राज में ही सौदे से बाहर हो गई थी एचएएल
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को राफेल सौदे से बाहर करने के कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि एचएएल तो कांग्रेस सरकार के समय ही इस सौदे से बाहर हो गई थी।
वायु सेना की जरूरत को नजरअंदाज कर 126 की जगह केवल 36 विमान खरीदने के आरोपों पर भी उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार जो सौदा कर रही थी उसमें तो वायु सेना को केवल 18 विमान उड़ने की हालत में तैयार मिल रहे थे और उनकी आपूर्ति में भी लगभग इतना ही समय लगना था जितना 36 विमानों की आपूर्ति में लगने वाला है।
निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को एक सवाल के जवाब में कहा कि विमान बेचने वाली विदेशी कंपनी भारत की सरकारी या निजी कंपनी किसी के साथ भी समझौता कर सकती है, यह नियम कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने ही बनाया था?
क्या अब कांग्रेस कह रही है कि यह नियम गलत है। इस नियम के तहत ही एचएएल और राफेल विमान बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट एविएशन के बीच बातचीत हुई थी लेकिन उनके बीच उत्पादन शर्तों को लेकर समझौता नहीं हो पाया और एचएएल सौदे से बाहर हो गई। इसलिए एचएएल को सौदे से बाहर रखने का आरोप मोदी सरकार पर लगाना गलत है। उस समय कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को एचएएल के हितों की रक्षा करनी चाहिए थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
विमानों की संख्या से जुडे सवालों पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने जिस सौदे पर बात की थी उसमें वायु सेना को केवल 18 विमान उड़ने की हालत में मिलते और उनकी आपूर्ति में भी 4 से 5 साल का समय लगना था।
मोदी सरकार ने जो सौदा किया है उसमें 36 विमान उड़ने की हालत में मिलेंगे और ये विमान अगले साल सितम्बर से आने शुरू हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि लड़ाकू विमानों के स्क्वैड्रन की संख्या कांग्रेस के समय में ही 42 से घटकर 33 पहुंच गई थी। उस समय सरकार ने यह संख्या बढ़ाने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए। (वार्ता)