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Last Modified: शुक्रवार, 29 सितम्बर 2023 (21:21 IST)

गाय के गोबर से प्राकृतिक पेंट, किसानों को रोजगार भी

गाय के गोबर से प्राकृतिक पेंट, किसानों को रोजगार भी - Natural paint from cow dung, employment to farmers also
Natural paint from cow dung: गाय के मूत्र और गोबर के औषधीय गुणों से हम सब वाकिफ हैं। आज भी गांव में हर तीज-त्योहार पर घर-आंगन की लिपाई गोबर से होती है। वैसे तो गोबर का इस्तेमाल ज्यादातर ईंधन के लिए उपले और जैविक खाद बनाने में होता है लेकिन गोबर को लेकर किया गया ये प्रयोग नए उद्योग का आधार बनने वाला है।
 
वैसे भी कृषि और किसान प्रधान देश होने के नाते बहुतायत में उद्योग-धंधे कृषि आधारित हैं। खेती-बाड़ी में जुटे हर किसान खेती के अलावा पशु भी पालते हैं। लिहाजा गोबर भी यहां बहुतायत में होता है।
 
गोबर से पेंट बनाने की कवायद के बाद ये कोई 'बाय-प्रोडक्ट' नहीं रह जाएगा बल्कि एक नए उद्योग का 'मेन मटेरियल' बन जाएगा। गोबर से पेंट बनाने का जो नया उद्योग शुरू हुआ है, इससे हजारों किसानों को रोजगार मिल रहा है, गांवों की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है और आवारा पशुओं की समस्या से छुटकारा मिलाने की उम्मीद भी बढ़ी है। अकेले उत्तरप्रदेश के एक गांव में गाय के गोबर से हर रोज 1,000 लीटर प्राकृतिक रंग और पुट्टी बन रही है।
 
गाय के गोबर से पेंट बनाने के सफल प्रयोग के पीछे दिमाग है उन्नाव जिले के सैरपुर गांव में कॉमन सर्विस सेंटर यानी जन सेवा केंद्र (सीएससी)- ई-गवर्नेंस के विलेज लेवल आंत्रेप्रेन्योर (वीएलई) ओमप्रकाश का। ओमप्रकाश के अथक प्रयास की बदौलत गौठानों से गांव के लोगों को रोजगार के साथ ही उनकी तरक्की के लिए नए-नए अवसरों का निर्माण हो रहा है, साथ ही गौसेवा भी हो रही है।
 
पर्यावरण के अनुकूल है प्राकृतिक पेंट : ओमप्रकाश अपने गांव में ही डिस्टेंपर, इमल्शन पेंट के साथ-साथ पुट्टी का भी उत्पादन कर रहे हैं। ओमप्रकाशजी के अनुसार 'गोबर पेंट की उपयोगिता और गुणवत्ता को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इस पेंट के लाभ के बारे वे लोगों को जागरूक कर रहे हैं। बाजार में अभी जो पेंट उपलब्ध हैं, वे कई तरह के रासायनों से बने होते हैं। ये रासायनिक पेंट महंगे होने के साथ-साथ पर्यावरण और स्वास्थ्य पर भी असर डालते हैं।'
 
गोबर से बने इस पेंट की खास बात यह है कि इसकी कीमत बाजार में उपलब्ध रासायनिक पेंट से कम है। साथ ही गोबर से निर्मित होने के कारण रासायनिक पेंट की तुलना में इसमें महक भी नहीं आती। गोबर पेंट एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और प्राकृतिक ऊष्मारोधक गुण होने के साथ ये भारी धातु से मुक्त और अविषाक्त होता है। इसमें किसी तरह की गंध भी नहीं होती। इस खूबी की वजह से यह पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी अनुकूल है।
 
गाय के गोबर से कैसे बनता है प्राकृतिक पेंट? : गोबर से पेंट बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले गोबर और पानी का मिश्रण तैयार किया जाता है। इसके बाद इस मिश्रण को मशीन में डालकर अच्छी तरह से मिलाया जाता है फिर बारीक जाली से छानकर अघुलनशील पदार्थ हटा लिया जाता है। इसके बाद कुछ रसायनों का उपयोग करके उसे ब्लीच किया जाता है और फिर इसे स्टीम की प्रक्रिया से गुजारा जाता है। इस प्रक्रिया के बाद सीएमएस नामक पदार्थ प्राप्त होता है। इसी पदार्थ से डिस्टेंपर और इमल्शन के रूप में उत्पाद बनाए जा रहे हैं।
 
हसनपुर ब्लॉक में सैरपुर गांव के स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आज वीएलई ओमप्रकाश के मार्गदर्शन में हर दिन गोबर से लगभग 1,000 लीटर प्राकृतिक पेंट बना रही हैं जिसमें से लगभग 500 लीटर रोज वे बेच भी लेते हैं। 
 
ओमप्रकाश ने बताया कि 'इस पेंट में हैवी मेटल्स का उपयोग बिलकुल भी नहीं किया जाता, साथ ही गोबर से निर्मित होने की वजह से यह नेचुरल थर्मल इन्सुलेटर की तरह कार्य करता है और ये कमरे के तापमान को 4 से 5 डिग्री तक कम कर देता है।'
 
पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ इसकी कीमत भी बाजार में उपलब्ध प्रीमियम क्वालिटी के पेंट की तुलना में 30 से 40 फीसदी कम है। यह बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों के पेंट की तरह लगभग हर रंग में भी उपलब्ध है। गोबर से निर्मित पेंट आधा लीटर, 1, 4 और 10 लीटर के डिब्बों में उपलब्ध है।
 
प्राकृतिक पेंट उत्पादन का ये नया उद्यम प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से मिली आर्थिक मदद और जिलाधिकारी श्रीमती अपूर्वा दुबे और जिला प्रशासन के लगातार प्रोत्साहन से काफी तेजी से बढ़ रहा है। इससे न केवल उत्पादन से जुड़े लोगों को आर्थिक फायदा हुआ है बल्कि गौ-पालकों को भी लाभ हुआ है। प्राकृतिक पेंट, आवारा पशुओं की समस्या को भी काम कर रहा है। सैरपुर में लोग अब बांझ गायों की भी सेवा कर रहे हैं।
 
गोबर पेंट की मांग लगातार बढ़ रही है और जैसे-जैसे इसकी मांग बढ़ेगी, गौ-सेवा की भावना भी बढ़ेगी। ओमप्रकाश की ही तरह देश के लगभग 5.50 लाख सीएससी के वीएलई अपने-अपने तरीके से राष्ट्र निर्माण में जुटे हुए हैं।
 
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