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Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 30 जून 2016 (00:04 IST)

अमित शाह बोले, नेहरू के कारण बना 'कश्मीर मुद्दा'...

अमित शाह बोले, नेहरू के कारण बना 'कश्मीर मुद्दा'... - National News, Amit Shah, Jawaharlal Nehru, BJP, Jammu and Kashmir dispute, Shyama Prasad Mukherjee
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने कश्मीर मुद्दे के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यदि उन्होंने देश की आजादी के बाद कश्मीर पर पाकिस्तानी कबाइलियों के हमले के समय 'बड़ी ऐतिहासिक गलती' न की होती तो आज यह मुद्दा भी नहीं होता। 
                    
शाह ने आज यहां भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की स्मृति में आयोजित एक समारोह में कहा कि 1948 में जब पाकिस्तान समर्थित कबाइलियों के हमले का दमन किया जा रहा था, उस समय पंडित नेहरू ने युद्ध विराम की घोषणा नहीं की होती तो जम्मू कश्मीर का मुद्दा नहीं उठता। उन्होंने अचानक युद्ध विराम की घोषणा कर दी, जिसकी वजह आज तक लोगों को मालूम नहीं है। 
 
शाह ने कहा, देश के किसी भी नेता ने इस तरह की बड़ी ऐतिहासिक गलती नहीं की है। यदि जवाहरलालजी ने उस समय युद्ध विराम की घोषणा नहीं की होती तो कश्मीर का मुद्दा ही नहीं होता। शाह ने कहा कि वास्तव में पंडित नेहरू ने अपनी छवि को सुधारने के लिए यह फैसला किया था। उनके इसी फैसले की वजह से कश्मीर का एक हिस्सा अब भी पाकिस्तान में है। 
 
उन्होंने कांग्रेस पर भी हमला किया और आरोप लगाया कि कांग्रेस नेतृत्व की जल्दबाजी के कारण ही भारत का विभाजन हुआ। यदि उसने आजादी के समय जल्दबाजी नहीं की होती तो भारत के बंटवारे को रोका जा सकता था। 
 
शाह ने कहा, आजादी के समय पूरा कांग्रेस नेतृत्व स्वतंत्र होने के लिए बेताब था, सभी बूढ़े हो रहे थे लेकिन उस समय एक युवा नेता (श्यामा प्रसाद मुखर्जी) ने सोचा कि अब गलती नहीं होनी चाहिए और बंगाल को बचा लिया गया।  
                
उन्होंने कहा कि कोलकाता डॉक्‍टर मुखर्जी की वजह से ही आज भारत का हिस्सा है और इसका श्रेय उन्हीं को है। डॉक्‍टर मुखर्जी ने एक बड़ा निर्णय लिया था कि बंगाल को पाकिस्तान को नहीं सौंपा जा सकता। 
 
उन्होंने कहा कि कश्मीर जाने के लिए भारत के नागरिकों को परमिट लेना पड़ता था, जिसका डॉक्‍टर मुखर्जी ने विरोध किया था लेकिन समकालीन इतिहासकारों ने उनके योगदान विशेषकर बंगाल विभाजन योजना और कश्मीर मुद्दे पर उनकी भूमिका की अनदेखी की। 
              
शाह ने मुखर्जी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने बंगाल में हिन्दुओं के सरोकारों के लिए आवाज उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने आजादी के बाद पंडित नेहरू की विकासशील भारत की नीति से भिन्न डॉक्‍टर मुखर्जी की भारत के पुनर्निर्माण की नीति का समर्थन किया। (वार्ता)