बड़ी खबर! 'उड़ान' को मुंबई हवाई अड्डे का झटका
नई दिल्ली। छोटे तथा मझौले शहरों को बड़े शहरों से जोड़ने वाली सस्ती हवाई यात्रा की सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) यानी 'उड़ान' के दूसरे चरण की बोली प्रक्रिया से मुंबई और शिर्डी हवाई अड्डों का बाहर होना तय हो गया है।
'उड़ान' के पहले चरण में बोली प्रक्रिया के बाद मुंबई को जोड़ने वाले 7 मार्गों की स्वीकृति दी गई थी। दूसरे चरण की बोली प्रक्रिया शुरू होने से पहले मुंबई हवाई अड्डे ने साफ कह दिया है कि उसके पास उड़ान की फ्लाइटों के लिए और स्लॉट उपलब्ध नहीं हैं।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की एक उच्चाधिकारी ने बताया कि 'उड़ान' के लिए जिन हवाई अड्डों की सूची जारी होगी उसमें मुंबई को शामिल नहीं किया जाएगा तथा छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की जीवीके नीत संचालक कंपनी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड ने मंत्रालय को बताया है कि उसके पास और स्लॉट उपलब्ध नहीं हैं और इसलिए मुंबई को दूसरे चरण की बोली प्रक्रिया से अलग रखा जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि मुंबई हवाई अड्डा पहले ही अपनी पूरी क्षमता पर काम कर रहा है,हालांकि अधिकारी ने स्पष्ट किया कि पहले चरण में आवंटित 7 रूटों के लिए स्लॉट उपलब्ध कराए जाएंगे, क्योंकि यह आवंटियों के साथ सरकार की प्रतिबद्धता है।
'उड़ान' के पहले चरण में ट्रूजेट को नांदेड़-मुंबई, स्पाइस जेट को कोंडला-मुंबई और पोरबंदर-मुंबई तथा एयर डेक्कन को जलगांव-मुंबई, कोल्हापुर-मुंबई, ओजर नासिक-मुंबई और शोलापुर-मुंबई मार्गों का आवंटन किया गया है।
अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने शिर्डी हवाई अड्डे को भी 'उड़ान' से बाहर रखने का अनुरोध किया है। उसका तर्क है कि 'उड़ान' का हिस्सा बनने के बाद एकाधिकार के नियम के कारण पहले 3 साल के लिए शिर्डी हवाई अड्डे से प्रतिदिन अधिक से अधिक 2 उड़ानों का संचालन हो सकेगा। इस धार्मिक शहर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और शिर्डी हवाई अड्डे पर प्रतिदिन 2 से ज्यादा उड़ानों की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि मुंबई के ही जूहू हवाई अड्डे का भी 'उड़ान' की सूची से बाहर रहना तय है। पहले चरण में इसमें एयरलाइंसों ने रुचि नहीं दिखाई थी। इसके अलावा दिल्ली का सफदरजंग हवाई अड्डा भी सूची से बाहर रह सकता है। सरकार ने 'उड़ान' के तहत दूरी के हिसाब से हर मार्ग पर आधी सीटों का अधिकतम किराया तय कर दिया है जबकि शेष आधी सीटों पर बाजार के हिसाब से किराया तय करने का अधिकार एयरलाइंस को होता है।
अधिकतम किराया तय होने से एयरलाइंसों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार वीजीएफ (वायेबिलिटी गैप फंडिंग) देती है। 500 किलोमीटर की दूरी के लिए पहले चरण में अधिकतम किराया 2,500 रुपए तय किया गया है। मार्गों का आवंटन उलट बोली प्रक्रिया के आधार पर किया जाता है। इसका मतलब यह है कि सबसे कम वीजीएफ मांगने वाली कंपनी को आवंटन किया जाता है। (वार्ता)