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Last Modified: बुधवार, 29 सितम्बर 2021 (18:16 IST)

30 अगस्त के आसपास चीन सीमा से 5 किलोमीटर भीतर तक घुस आए 100 से ज्‍यादा चीनी सैनिक

30 अगस्त के आसपास चीन सीमा से 5 किलोमीटर भीतर तक घुस आए 100 से ज्‍यादा चीनी सैनिक - More than 100 Chinese soldiers entered within 5 kilometers from China border
देहरादून। पूर्वी लद्दाख में चीनी सैन्य करतूतों के बाद चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने उत्तराखंड के बाड़ाहोती इलाके में पिछले महीने 30 अगस्त के आसपास घुसपैठ की। इस कोशिश की खबरों के बाद प्रदेश की ख़ुफ़िया और प्रशासनिक मशीनरी में हंगामा है।

हालांकि कोई आधिकारिक तौर पर जिला या प्रदेश का अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने में कतरा रहे हैं।लेकिन पहले भी चमोली जिले के बड़ाहोती ‘नो-मैन्स लैंड’ में चीनी आर्मी के जवानों के इस क्षेत्र में घुसपैठ करके चले आने की खबरें आती रही हैं।लेकिन इस बार जो नया हुआ वो यह कि पहली बार इतनी अधिक मात्रा में चीनी सैनिकों के घुसकर यहां चहलकदमी करने पहुंचे वह संख्या अब तक की सर्वाधिक है।

इससे इस बार यह मामला अन्य बीते सालों की अपेक्षा गम्भीर माना जा रहा है।इस हालिया चहलकदमी के दौरान सौ से अधिक की मात्रा में चीनी सैनिकों के घोड़े पर सवार होकर इस क्षेत्र में घुसपेठ कर चीन सीमा से आगे पांच किलोमीटर भारत की ओर तक चले आने की बातें सामने आई हैं।

इस दौरान चीनी सैनिकों ने वापस जाते हुए यहां बने इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी नुकसान पहुंचाया। ये सैनिक 55 घोड़ों के साथ तिब्बती दर्रे तुन जुन ला के पास से होकर बाडाहोती आए। यह भी खबरें सामने आ रही हैं कि इन सैनिकों ने यहां बने एक पुल को भी तोड़ डाला। सैनिकों की इस करतूत को उकसाऊ कार्रवाई माना जा रहा है।चीनी आर्मी के ये सैनिक यहां तीन घंटे से अधिक समय तक रहे।

भारतीय सैनिकों को जब तक इस घटना की सूचना मिली और वे जवाबी कार्रवाई के लिए यहां पहुंचते उससे पूर्व ही ये सैनिक वहां से वापास चले गए। चीनी जवान यहां इस इलाके में आते हैं और घूमते हैं, सिगरेट और दूसरे चीनी सामान के रैपर फेंकते हैं और आसपास घूमकर चले जाते हैं।कुछ साल पहले तो बाड़ाहोती के आसपास कुछ दूरी पर भेड़ चरा रहे चरवाहों को भी इन चीनी सैनिकों ने वहां से चले जाने और फिर यहां आइंदा न दिखाई देने को भी कहा था।

जिला प्रशासन चमोली अब भी इसकी कोई जानकारी उसके पास न होने की ही बात कह रहा है।चमोली ज़िले में पड़ने वाला बाड़ाहोती कई बार चीनी सैनिको की चहलकदमी के चलते सुर्खी पा चुका है। एक बुग्याल यानी घास के मैदान होने के चलते यहां तिब्बती चरवाहे भी जाते रहे हैं। भारत चीन युद्ध से पूर्व यानी 1962 से पहले यहां उत्तराखंड की नीति घाटी के चरवाहे भी आते-जाते रहे लेकिन उसके बाद यह सिलसिला बंद हो गया।

सूत्रों के अनुसार 30 अगस्त के आसपास बड़ी संख्या में चीनी जवान यहां आए।करीब 70 स्क्वायर किलोमीटर के इस इलाके के पास तिब्बत का दाफा नाम का गांव है जो इस निर्जन क्षेत्र की सबसे नजदीकी मानव बस्ती है।भारतीय साइड में इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस यानी आईटीबीपी तैनात रहती है जबकि सीमा पार चीनी सेना की चौकी है।

मामला दो देशों के बीच का होने और इसकी संवेदनशीलता के मद्देनजर सरकार के सीनियर अफसरों ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधी हुई है।तीन साल पहले इससे क्षेत्र के भारतीय एयर स्पेस में चीनी हेलीकॉप्टरों के उड़ान भरने की भी बातें सामने आई थी।
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