अलनीनो का असर, मानसून में इस वर्ष सामान्य से कम हो सकती है बारिश
नई दिल्ली। मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली एक निजी एजेंसी स्काईमेट ने कहा कि इस साल मानसून में ‘सामान्य से कम’ बारिश हो सकती है। एजेंसी ने संभावित सामान्य से कम बारिश के पीछे की वजह अलनीनो को बताया है।
एजेंसी ने बताया कि मॉनसून के दीर्घकालिक औसत (एलपीए) का 93 फीसदी रहने की संभावना है। दरअसल एलपीए की 90-95 फीसदी बारिश ‘सामान्य से कम’ वाली श्रेणी में आती है। 1951 से 2000 के बीच हुई कुल बारिश के औसत को एलपीए कहा जाता है और यह 89 सेमी है।
यदि यह पूर्वानुमान सही साबित होता है तो यह लगातार दूसरा वर्ष होगा जब सामान्य से कम बारिश होगी। पूर्वी भारत में बारिश कम होने का सबसे ज्यादा खतरा हो सकता है। पूर्वानुमान में कहा गया है कि ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तटीय आंध्र प्रदेश में पूरे मौसम में सामान्य बारिश होने की संभावना है।
स्काईमेट के सीईओ जतिन सिंह ने बताया कि जून में एलपीए की 77 प्रतिशत बारिश देखने को मिल सकती है जबकि जुलाई में एलपीए की 91 प्रतिशत बारिश हो सकती है।
सिंह ने बताया कि पूर्वानुमान के अनुसार जून और जुलाई में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। अगस्त और सितम्बर में एलपीए के 102 प्रतिशत और 99 प्रतिशत बारिश हो सकती है।
स्काईमेट के अध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) जी पी शर्मा ने बताया कि अल-नीनो का मानसून पर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि प्रशांत महासागर औसत से अधिक गर्म हो गया है। मार्च-मई के दौरान अनुमानों में अल नीनो की 80 प्रतिशत संभावना है, जो जून से अगस्त तक 60 प्रतिशत तक कम होती है। (भाषा)