मोदी की उपग्रह परियोजना में अफगानिस्तान की दिलचस्पी नहीं
नई दिल्ली। भारत की दक्षिण एशियाई उपग्रह परियोजना से पाकिस्तान के नाता तोड़ने के बाद अब अफगानिस्तान भी इस उपक्रम में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। सूत्रों ने बताया कि अफगानिस्तान ने अंतरिक्ष संबंधी अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए एक यूरोपीय कंपनियों से नाता जोड़ा है।
उपग्रह की वार्ता से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि हमने अफगानिस्तान के साथ कई दौर की वार्ता की। एक बिंदु पर उन्होंने एक खास चीज की मांग की और हमारे बीच करार हुआ। अगली बैठक में वे कुछ दूसरी मांग करते हैं।
अधिकारी ने कहा कि एक और मुद्दा उपग्रह की अवस्थिति का था। भारत और अफगानिस्तान जहां अपना उपग्रह रखना चाहते थे, वह कमोबेश एक ही था। सूत्रों ने बताया कि उपग्रह परियोजना के प्रति बांग्लादेश की भी बहुत दिलचस्पी नहीं है, क्योंकि वह अपने भू-स्थैतिक संचार उपग्रह बंगबंधु-1 का प्रक्षेपण करने वाला है।
बहरहाल श्रीलंका, भूटान, मालदीव और नेपाल अब भी इस परियोजना को आगे ले जाने के लिए उत्सुक हैं और इन देशों से बात जारी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जून 2014 में इसरो से एक ऐसा उपग्रह विकसित करने को कहा है जिसे पड़ोसी देशों के लिए तोहफे के रूप में समर्पित किया जाए। उन्होंने काठमांडू में दक्षेस शिखर सम्मेलन के दौरान भी इस संबंध में घोषणा की थी।
भारत ने दक्षेस देशों के लिए खासतौर पर तैयार किए जाने वाले इस उपग्रह के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के मकसद से दूसरे सदस्य देशों के विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श किया है। (भाषा)