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Last Updated : शनिवार, 13 जुलाई 2019 (15:40 IST)

Mission Moon 2 : रिहर्सल पूरी, उजागर होंगे चांद के कई रहस्य

Mission Moon 2 : रिहर्सल पूरी, उजागर होंगे चांद के कई रहस्य - Mission Chandra Yan-2
श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की चंद्रमा पर भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के 20 घंटों की उलटी गिनती रविवार सुबह शुरू होगी।
 
इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. शिवम ने बताया कि उलटी गिनती रविवार सुबह 6 बजकर 51 मिनट पर शुरू होगी।उन्होंने कहा कि सफल प्रक्षेपण की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं तथा सभी उपकरणों की जांच का काम भी पूरा हो चुका है। चंद्रयान-2 को ले जाने वाले देश के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी भी सभी प्रकार की तैयारियों के साथ सोमवार को अपराह्न 2 बजकर 51 मिनट पर दूसरे लांच पैड से अंतरिक्ष में उड़ान भरने को तैयार है।      
 
सोमवार को प्रक्षेपण : चंद्रयान का प्रक्षेपण 15 जुलाई को तड़के दो बजकर 51 मिनट पर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया जाएगा। इसके 6 सितंबर को चंद्रमा पर पहुंचने की उम्मीद है। इस मिशन के लिए जीएसएलवी-एमके3 एम1 प्रक्षेपण यान का इस्तेमाल किया जाएगा। इसरो ने बताया कि मिशन के लिए रिहर्सल का काम शुक्रवार को पूरा हो गया है।
 
यह होगा उद्देश्य : इस मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसके जमीन, उसमें मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण है। उल्लेखनीय है चंद्रमा पर भारत के पहले मिशन चंद्रयान-1 ने वहां पानी की मौजूदगी की पुष्टि की थी।
 
कई उपकरणों से लैस : इस मिशन में चंद्रयान के साथ कुल 13 स्वदेशी पे-लोड यान वैज्ञानिक उपकरण भेजे जा रहे हैं। इनमें तरह-तरह के कैमरे, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा की सटीक दूरी का पता लगाना है।
 
पहली बार चंद्र के दक्षिणी ध्रुव पर : यह मिशन इस मायने में खास है कि चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा और सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक दुनिया का कोई मिशन नहीं उतरा है।
 
तीन हिस्सों में बंटा है चंद्रयान : चंद्रयान के 3 हिस्से हैं। ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में चक्कर लगाएगा। लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इसे विक्रम नाम दिया गया है। यह 2 मिनट प्रति सेकंड की गति से चंद्रमा की जमीन पर उतरेगा। प्रज्ञान नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा।
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