मीडिया सेंसरशिप नामुमकिन : अरुण जेटली
नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि मौजूदा समय में सूचना पर सेंसरशिप नामुमकिन है लेकिन अगर समाचार संस्थानों के वित्तीय मॉडल उचित नहीं होंगे तो 'पेड न्यूज' जैसी बुराइयां सामने आ सकती हैं।
जेटली ने कहा कि तकनीकी उन्नयन के साथ-साथ समाचार की परिभाषा और उपभोक्ता का व्यवहार भी बदल रहा है। कैमरा इन दिनों जिस चीज को कैद नहीं कर पाता, वह मुश्किल से ही खबर बनती है।
यहां एक समारोह में मीडिया पर अपने विचार रखते हुए जेटली ने कहा कि एक विचारणीय बात यह है कि सभी समाचार संगठनों के वित्तीय मॉडल उचित होने चाहिए। अगर वित्तीय मॉडल उचित नहीं होंगे तो खामियां होंगी और इन खामियों से गलत दिशा में जाने की बात सामने आएगी। पेड न्यूज इसी तरह के मतिभ्रम का नतीजा है।
पेड न्यूज लंबे समय से चिंता का विषय है और चुनाव आयोग भी इससे निपटने के तरीके खोज रहा है। वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि मौजूदा समय में मीडिया सेंसरशिप संभव नहीं है।
उन्होंने कहा, संयोग से दुनिया में बहुत कम तानाशाही व्यवस्थाएं हैं। अगर तानाशाही होती तो भी प्रौद्योगिकी के चलते यह नामुमकिन होगा। जेटली ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस समय में और अधिक से अधिक लोगों को आकर्षित करने के लिए गुणवत्ता के साथ समझौता हो रहा है। हालांकि उन्होंने कहा कि उन्हें लंबी दौड़ में भरोसा है और जो सर्वश्रेष्ठ है, वह सफल होगा।
उन्होंने कहा कि प्रसारण क्षेत्र में तेजी से बढ़ती प्रौद्योगिकी ने चुनौतियां भी पेश की हैं।
जेटली ने कहा कि सूचना प्रसारित होने के साधन मुक्त रूप से उपलब्ध होने से उन्हें कई बार अपने वह भाषण पढ़ने को मिलते हैं, जो उन्होंने कभी नहीं दिए।
उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि वित्तमंत्री के तौर पर उन्हें इस बात से तसल्ली होती है कि कम से कम निर्माण का एक क्षेत्र अच्छा काम कर रहा है। उनका संकेत मीडिया क्षेत्र की ओर था। (भाषा)