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Last Modified: मंगलवार, 3 मार्च 2020 (16:50 IST)

Delhi Violence पर चर्चा के मुद्दे पर लोकसभा में भारी हंगामा और धक्का-मुक्की, कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित

Delhi Violence पर चर्चा के मुद्दे पर लोकसभा में भारी हंगामा और धक्का-मुक्की, कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित - Massive uproar in Lok Sabha
नई दिल्ली। दिल्ली हिंसा के विषय पर लोकसभा में जारी गतिरोध मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के यह कहने के बावजूद नहीं टूट पाया कि सरकार इस मुद्दे पर होली के बाद चर्चा कराने को तैयार है। इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा की मांग को लेकर अड़े विपक्ष के हंगामे तथा सत्तापक्ष और विपक्ष के कुछ सदस्यों के बीच धक्का-मुक्की के कारण सदन की बैठक 2 बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
 
हंगामे के बीच ही सरकार ने सदन ने बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 को पारित कराने का प्रयास किया। इससे विपक्षी सदस्य का विरोध और तेज हो गया।
 
दो बार के स्थगन के बाद दोपहर 2 बजे लोकसभा की बैठक शुरू हुई तो अध्यक्ष ओम बिरला ने आवश्यक दस्तावेज सभा पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने कहा कि सभी इस बात पर सहमत हुए कि दिल्ली हिंसा पर चर्चा के लिए आसन के निर्णय को स्वीकार किया जाएगा।
 
उन्होंने कहा कि देशहित को ध्यान में रखते हुए मैं व्यवस्था देता हूं कि होली के बाद 11 मार्च को इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए। होली सौहार्दपूर्ण तरीके से मननी चाहिए। सरकार इस विषय पर चर्चा को तैयार है। इस दौरान विपक्ष के सदस्य असंतोष प्रकट करने लगे।
 
अध्यक्ष बिरला ने कहा कि सदन चर्चा के लिए होता है, वाद-विवाद के लिए नहीं। हम सभी होली अच्छी तरह से मनाएं और उसके बाद सौहार्दपूर्ण चर्चा करें। उन्होंने कहा कि आज हम सामाजिक कल्याण और अधिकारिता मंत्रालय से संबंधित अनुदान की मांगों पर चर्चा कराना चाहते हैं।
 
बिरला ने हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से नाराजगी जताते हुए कहा कि आप दलित, शोषित लोगों पर चर्चा नहीं चाहते? क्या हल्ला करने आए हैं? मेरा लोकतंत्र के मंदिर में आप सभी से आग्रह है कि संवाद और चर्चा कीजिए। हंगामे के बीच ही अध्यक्ष ने बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 पेश कराया और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक के संबंध में कहा कि महाराष्ट्र में पीएमसी बैंक से जुड़ा दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम सामने आया, जहां छोटे और मझौले निवेशकों को परेशानी उठानी पड़ी।
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निवेशकों की परेशानियों को दूर करना सुनिश्चित किया और उनकी धन निकासी की सीमा 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का निर्णय किया गया। सीतारमण ने हंगामा कर रहे विपक्ष के सदस्यों की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये लोग उन छोटे निवेशकों की मांग दबा रहे हैं जिन्होंने कठिनाइयों का सामना किया है।
 
हंगामे के बीच ही सरकार ने विधेयक से संबंधित कुछ संशोधन पारित कराए। उधर कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, सपा, आम आदमी पार्टी और वाम दलों समेत अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने आसन के समीप नारेबाजी तेज कर दी। वे आसन के पास पहुंचकर विधेयक को हंगामे के बीच पारित नहीं कराने का कड़ा विरोध कर रहे थे।
 
इस बीच ही सदन में कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी सत्ता पक्ष की सीटों की तरफ से होते हुए आसन के समीप पहुंच गए। उन्हें रोकने के लिए भाजपा की लॉकेट चटर्जी आ गईं। हालांकि भाजपा के कुछ सदस्यों ने चटर्जी को रोक दिया।
 
इस बीच ही भाजपा की कुछ और महिला सदस्य बीच में आकर खड़ी हो गईं तथा कांग्रेस की राम्या हरिदास, ज्योतिमणि समेत अन्य विपक्षी सदस्यों को सत्तापक्ष की तरफ बढ़ने से रोकने लगीं। हंगामा और तेज हो गया तथा सत्तापक्ष और विपक्ष के कुछ सदस्यों के बीच धक्का-मुक्की की स्थिति बन गई। इस बीच विपक्ष के कुछ सदस्यों ने आसन की ओर कागज फाड़कर भी उछाले।
 
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, रविशंकर प्रसाद और गिरिराज सिंह आगे आकर बीच-बचाव करते देखे गए। हंगामा बढ़ने के कारण अध्यक्ष ने 2 बार के स्थगन के बाद 2 बजकर करीब 20 मिनट पर कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।
 
कार्यवाही स्थगित होने के बाद भी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की कांग्रेस सदस्य के. सुरेश, बैनी बहनान और सपा के अखिलेश यादव से नोकझोंक भी देखी गई। सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के सदस्य कार्यवाही स्थगित होने के 20 मिनट से अधिक समय तक सदन में मौजूद थे। इससे पहले विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के कारण सदन में प्रश्नकाल और शून्यकाल भी नहीं चल सके।
 
सत्तापक्ष और कांग्रेस के सदस्यों के बीच धक्का-मुक्की की सोमवार की घटना की पृष्ठभूमि में अध्यक्ष ओम बिरला ने आज प्रश्नकाल में घोषणा की कि सदन में कोई भी सदस्य शोर-शराबा एवं प्रदर्शन करते हुए यदि दूसरे पक्ष की सीटों की तरफ जाएगा तो उसे शेष पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया जाएगा। उन्होंने सदन में प्लेकार्ड लाने की भी अनुमति नहीं देने की घोषणा की।
 
इससे पहले सदन की बैठक सुबह 11 बजे शुरू होते ही लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने प्रश्नकाल चलाने का निर्देश दिया। इस बीच विपक्ष के सदस्य दिल्ली हिंसा पर तत्काल चर्चा शुरू कराने की मांग करने लगे।
 
उन्होंने कहा कि आज सुबह सर्वदलीय बैठक में भी चर्चा हुई कि कोई भी सदस्य चाहे वह विपक्ष के हों या सत्तापक्ष के हों, वे (प्रदर्शन करते हुए) एक-दूसरे पक्ष की सीटों की तरफ नहीं जाएंगे। अगर कोई सदस्य दूसरे पक्ष की तरफ जाते हैं तो उन्हें चालू सत्र की शेष पूरी अवधि के लिए निलंबित कर दिया जाएगा। इस दौरान कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस और सपा समेत अन्य विपक्षी दलों के सदस्य दिल्ली हिंसा पर तत्काल चर्चा शुरू कराने की मांग करते रहे।
 
लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि यह भी तय किया गया है कि सदन में कोई भी सदस्य प्लेकार्ड लेकर नहीं आएगा। इस पर विपक्ष के सदस्य विरोध जताने लगे।
 
बिरला ने कहा कि अगर ऐसा है तो आप घोषणा कर दें कि संसद में प्लेकार्ड लेकर आना चाहते हैं और प्लेकार्ड लेकर सदन चलाना चाहते हैं। क्या आप ऐसी घोषणा करेंगे? शोर-शराबे के बीच ही विपक्ष के कई सदस्यों की ओर से 'हां' सुनाई दिया। हंगामे के बीच अध्यक्ष ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजे बैठक पुन: शुरू होते ही कांग्रेस के सदस्य अपने स्थान पर खड़े होकर शोर-शराबा करने लगे।
 
पीठासीन सभापति किरीट सोलंकी ने कहा कि आज सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की अनुदान की मांगों पर चर्चा होनी है। उन्होंने कहा कि यह विषय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों से जुड़ा गरिमा वाला विषय है।
 
उन्होंने कहा कि हम सभी को इस गरिमा पूर्ण विषय पर चर्चा करनी चाहिए। हालांकि कांग्रेस समेत विपक्ष के सदस्यों का शोर-शराबा जारी रही और पीठासीन सभापति सोलंकी ने कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
 
सोमवार को लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने दिल्ली में पिछले दिनों हुई हिंसा को लेकर गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करते हुए भारी हंगामा किया और इस दौरान कांग्रेस एवं भाजपा सदस्यों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। हंगामे के कारण सोमवार को सदन की कार्यवाही तीन बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई थी।
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