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लैंसेट का दावा: हवा में ‘कोरोना के जहर’ के 10 ठोस ‘सबूत’

लैंसेट का दावा: हवा में ‘कोरोना के जहर’ के 10 ठोस ‘सबूत’ - Lancet report on corona
अब तक कहा जा रहा था कि कोरोना वायरस सिर्फ ड्रॉपलेट्स की वजह से फैलता है, लेकिन अब नई स्‍टडी चौंकाने वाली और डराने वाली है।

इस स्‍टडी में 10 वो ठोस कारण बताए गए हैं जिससे साबि‍त होता है कि कोरोना वायरस सबसे ज्‍यादा हवा में पसर रहा है। यानि अब बचाव के लिए ज्‍यादा सावधानी के साथ ज्‍यादा तरीके खोजने होंगे।

आइए जानते हैं क्‍या है वो 10 ठोस सबूत जिससे साबि‍त होता है अब हवा में भी कोरोना का जहर फैल रहा है।
नई रिपोर्ट में बताए गए वह 10 कारण कुछ इस तरह हैं, जो इस दावे की पुष्टि करते हैं।

डब्‍ल्‍यूएचओ भी अब तक सिर्फ ड्रॉपलेट की वजह से वायरस के फैलने की बात करता रहा है। लेकिन यह रिपोर्ट बताती है कि उससे भी कहीं न कहीं चूक हुई है।

1. इवेंट्स
एक कॉयर इवेंट में एक इन्फेक्टेड व्यक्ति से 53 लोग इन्फेक्ट हुए। इस पर कई स्टडी हुई। हैरानी की बात थी कि कई लोग आपस में मिले ही नहीं, तब निश्चित तौर पर हवा से ही उन तक वायरस पहुंचा होगा। स्‍टडी के मुताबिक मानवीय व्यवहार और बातचीत, रूम के आकार, वेंटिलेशन और कॉयर कंसर्ट्स के साथ-साथ अन्य स्थितियों, क्रूज शिप्स, कत्लखानों, केयर होम्स और सुधारगृहों में भी वायरस के फैलने का एक तरह का पैटर्न नजर आया है। यह साबित करता है कि इस तरह के इवेंट्स में एयरोसोल (हवा में वायरस के छोटे कण) की वजह से ट्रांसमिशन हुआ।


2. एक कमरे से दूसरे कमरे में आया
न्यूजीलैंड में की गई एक स्टडी के आधार पर कहा गया कि दो लोग एक कमरे में नहीं थे। दोनों एक-दूसरे से मिले तक नहीं। फिर भी इन्फेक्शन एक रूम से दूसरे रूम तक पहुंच गया। यह तभी हो सकता है जब कम्युनिटी ट्रांसमिशन की गैर-मौजूदगी में लॉन्ग-रेंज ट्रांसमिशन हुआ हो।

3. लक्षण नहीं तो ट्रांसमिशन क्‍यों?
जो लोग खांस या छींक नहीं रहे थे, उन्होंने भी बड़े पैमाने पर इन्फेक्शन फैलाया। दुनिया की बात करें तो एक-तिहाई से करीब 60 प्रतिशत तक कोरोना वायरस को इन्हीं लोगों ने फैलाया। यह तभी हो सकता था, जब हवा से वायरस फैले। रिपोर्ट कहती है कि जब कोई बात करता है तो उसके मुंह से हजारों की संख्या में एयरोसोल पार्टिकल्स निकलते हैं जबकि बड़े ड्रॉपलेट्स काफी कम निकलते हैं। इससे इन्फेक्शन के हवा से फैलने को सपोर्ट मिलता है।

4. इनडोर में वायरस
वायरस इनडोर में ज्यादा और आउटडोर में कम फैलता है। अगर इनडोर में भी पर्याप्त हवा की व्यवस्था हो और वेंटिलेशन हो तो इन्फेक्शन फैलने का डर कम हो जाता है। दोनों ही ऑब्जर्वेशन बताते हैं कि हवा में वायरस ट्रांसमिट हो रहा है।

5. अस्पताल में संक्रमण क्‍यों?
अस्पतालों में कई स्टडी की गई। यह बताती है कि अस्पतालों में डॉक्टर और सपोर्ट स्टाफ ने ड्रॉपलेट्स से जुड़ी सावधानियों का ध्यान रखा। पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) भी पहने, पर वे इन्फेक्शन से बच नहीं सके। पीपीई किट्स के साथ ही दूसरी सावधानी बरतने के बाद भी डॉक्टर संक्रमित हुए।
साफ है कि उन्हें एयरोसोल के खिलाफ प्रोटेक्शन नहीं था।

6. हवा के नमूने में वायरस
लैबोरेटरी में किए गए प्रयोगों में कोरोना संक्रमि‍त  लोगों को एक कमरे में रखा गया था। उनके जाने के तीन घंटे बाद तक हवा में वायरस के सबूत मिले हैं। यहां तक कि संक्रमित व्यक्ति की कार से लिए हवा के सैम्पल्स में भी वायरस मिला है।

7. अस्पतालों के एयर फिल्टर
कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे अस्पतालों के एयर फिल्टर और बिल्डिंग के डक्ट में भी कोरोना वायरस मिला है। इन जगहों पर सिर्फ एयरोसोल ही पहुंच सकते थे।

8. जानवरों में संक्रमण
एक स्टडी में देखा गया कि जो जानवर अलग-अलग पिंजरों में रखे गए थे, पर उनका एयर डक्ट समान था, कोरोना से संक्रमित हुए हैं। यह तभी हो सकता था, जब वायरस एयरोसोल के तौर पर ट्रांसमिट होता।

9. हवा में नहीं फैलने का सबूत नहीं
रिपोर्ट कहती है कि अब तक कोई ऐसी स्टडी नहीं हुई, जिसने यह साबित किया हो कि कोरोना वायरस हवा से नहीं फैलता। संक्रमित लोगों के साथ एक ही कमरे में रहने के बाद भी संक्रमण न होने के कई कारण हो सकते हैं। उदाहरण के लिए संक्रमित व्यक्ति में वायरल लोड कम होना आदि।

10. ट्रांसमिशन की दूसरी वजह नहीं
रिपोर्ट कहती है कि अन्य तरीकों से ट्रांसमिशन को सपोर्ट करने के लिए कोई सबूत नहीं है। यानी बड़े ड्रॉपलेट्स के जरिए वायरस के ट्रांसमिट होने के संबंध में कोई खास सबूत सामने नहीं आए हैं।
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