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Last Updated : सोमवार, 21 नवंबर 2016 (11:52 IST)

क्या होती है विमुद्रीकरण की प्रक्रिया, कैसे जारी होते हैं नए नोट..

कैसे होती है विमुद्रीकरण प्रक्रिया
पुराने नोट बंद करने और नए नोट जारी करने की प्रक्रिया कोई नई नहीं है, अर्थशास्त्र" में इसे विमुद्रीकरण (Demonetization) सिद्धांत  कहा जाता है, यह बेहद गोपनीय प्रक्रिया होती है,  इसमें कम से कम 6 महीने तो लगते ही हैं।  करेन्सी छापने की भी तयशुदा प्रक्रिया होती है, जिसका हर देश को पालन करना पड़ता है।
जानिए करेन्सी छापने की प्रक्रिया क्या है : "रिजर्व बैंक आफ इंडिया" जितनी मुद्रा (करेन्सी) छापता है उतने मूल्य का "गोल्ड भंडार" उस करेन्सी को सुरक्षित रखने के लिए अपने पास रखता है, यही कारण है कि वह हर करेन्सी पर "धारक को 100 अथवा 1000 देने का वचन देता है" इस वचन का अर्थ यह है कि बुरी से बुरी स्थिति में भी रिजर्व बैंक उस मूल्य का सोना उस करेन्सी धारक को देगा जो उसने करेन्सी जारी करने से पूर्व "रिजर्व" रखा है। 
अर्थात जितनी करेन्सी "आरबीआई" ने जारी की है उतने मुल्य का "स्वर्ण भंडार" उसके पास होगा और यदि रिजर्व बैंक को और अधिक करेन्सी जारी करनी हो तो उतने ही मूल्य का और "स्वर्ण भंडार" बढ़ाना पड़ेगा , ऐसा इसलिए कि करेन्सी का केन्द्रीयकरण (इकट्ठा) करके कोई "रिजर्व बैंक आफ इंडिया" को बंधक ना बना सके,  सारी दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्था इसी अर्थ सिद्धान्त से चलती है।
 
देश में प्रचलित कुल करेन्सी के बराबर "स्वर्ण भंडार" को "रिजर्व" रखने की हालत में कोई भी करेन्सी इकट्ठा करके रिजर्व बैंक आफ इंडिया को चैलेंज नहीं कर सकता , इसी लिए इस संस्था का नाम "रिजर्व" से प्रारंभ होता है।
 
बैंक से 4000 रुपए बदलवाने और एटीएम से 2000 रुपए के नए नोट निकालने के पीछे भी यही सिद्धांत है कि पुराने करेन्सी बाजार से आ जाए तो उनको नष्ट करके नयी करेन्सी छापी जाए क्योंकि पुरानी करेन्सी के बराबर "स्वर्ण भंडार" तो आरबीआई के पास है ही। जैसे जैसे पुरानी करेन्सी आएगी उसको नष्ट करके उसी मूल्य की नई करेन्सी आरबीआई छपवाकर पुनः बाजार में उतार देगी।  स्थिति सामान्य होने की यह एक लम्बी प्रक्रिया है जिसमे 6 महीने तक का समय लग सकता है। पर, सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर इस प्रक्रिया से कालाधन बाहर कैसे आएगा? जानिए इस सवाल का जवाब आगे... 
आगे जानिए कि कैसे आएगा कालाधन बाहर : 

पर, कैसे आएगा कालाधन बाहर : इसमें एक स्वाभाविक सवाल है कि इससे काला धन कैसे बाहर आएगा? दरअसल किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा घोषित आय और अभी सरकार द्वारा दी गई अघोषित धन की घोषणा की योजना के समय के बाद जो सामान्य रिटर्न दाखिल करते हैं और जिनके जिनके खाते में या बैलेंसशीट में दिखाए धन अथवा कैपिटल से अधिक धन होगा वह बैंक में नहीं जमा कर पाएँगे, क्योंकि यदि बताई गई पूंजी या नकद से अधिक जमा किया तो फिर इस वर्ष के इनकम टैक्स रिटर्न में यह दर्शाया जाएगा और 200% पेनल्टी लग जाएगी। जो कि कुल मिलाकर जमा किए गए कुल धन का 90% हो जाएगी।
 
इसके बाद आयकर द्वारा कई जांचे भी होगी जिससे संभव है कि पुरानी वित्तीय गड़बड़ी भी सामने आ जाएगी। कालाधन धारक जमा नकद का पूरा समायोजन नहीं कर पाएंंगे और यह छिपी मुद्रा खत्म (एक्सपायर) हो जाएगी। इस सारी प्रक्रिया के बाद फिर गणना करके रिजर्व बैंक यह आकलन करेगा कि कितने मूल्य की मुद्रा खत्म (करेन्सी एक्सपायर) हुई।

मान लीजिए कि दो लाख करोड़ की मुद्रा खत्म हुई तो दो लाख करोड़ के मूल्य का  "स्वर्ण भंडार" रिजर्व बैंक के पास बच जाएगा। क्योंकि इस एक्सपायर्ड करेन्सी का भुगतान आरबीआई को नहीं करना पड़ेगा और वह उतने "स्वर्ण भंडार" के पुनः करेन्सी छाप सकेगा जो देश के खजाने में आएगा।  यह रिजर्व बैंक आफ इंडिया के काम करने की सामान्य प्रक्रिया है।