मथुरा/ वृंदावन/ नई दिल्ली। रात को जैसे ही घड़ी की सुइयों ने 12 बजाए, मथुरा के बांकेबिहारी मंदिर के कपाट 1 मिनट के लिए बंद कर दिए गए और जैसे ही द्वार खुले, वैसे ही भगवान कृष्ण का जन्म हो गया। विधि-विधान से लड्डूगोपाल को पंचामृत से नहलाया गया। बाद में शंख में पंचामृत से भगवान का अभिषेक किया गया। भक्ति और उल्लास के रंग में कृष्ण जन्मभूमि सराबोर हो चुकी है।
मंदिर के बाहर खड़े हजारों श्रद्धालुओं ने कान्हा के जन्म पर हर्ष मनाया। 'नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की' के जयघोष के साथ श्रद्धालुओं पर 500 किलो गुलाब के फूलों की पंखुड़ियां बरसाई गईं। द्वारका में भी समाचार लिखे जाने तक आरती की जा रही थी।
देशभर में सोमवार को कृष्ण जन्माष्टमी काफी हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है। मुख्य समारोह मथुरा में मनाया जा रहा है, जहां आकर्षक ढंग से सजे मंदिरों में श्रद्धालुओं का सैलाब हिलौरें मार रहा है, वहीं लखनऊ, इलाहाबाद, आगरा, कानपुर, बरेली, फैजाबाद, मेरठ और गाजियाबाद समेत राज्य के कोने-कोने पर श्रद्धा और भक्ति की खुशबू समाई हुई है।
इस मौके पर झांकियों की अद्भुत छटा किसी का भी मन मोहने का निमंत्रण दे रही है। मथुरा के बांकेबिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर और इस्कॉन मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए तमाम इंतजाम किए गए हैं।
महाराष्ट्र की तर्ज पर राज्य के कई हिस्सों में दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है जिसमें युवाओं की टोली बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है। गोरखपुर प्रवास पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार रात गोरक्षपीठ में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई। इस मौके पर गोरक्षनाथ मंदिर में विशेष प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया।
राजधानी दिल्ली में बिड़ला मंदिर और इस्कॉन मंदिर में इस मौके पर लोगों की जोरदार भीड़ देखी जा रही है। ग्रेटर कैलाश में हरे कृष्णा की पहाड़ी पर इस्कॉन मंदिर में लोगों की जमकर भीड़ रही और मंदिर को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए सुबह 4.30 बजे ही लिए खोल दिया गया था। लक्ष्मीनारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर) में जन्माष्टमी का त्योहार यहां बेहद खास तरीके से मनाया जा रहा है और मंदिर को अच्छी तरह से सजाया गया है।
पश्चिमी दिल्ली के पंजाबी बाग में स्थित इस्कॉन मंदिर में और दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर मंदिर को जन्माष्टमी के मौके पर भव्य तरीके से सजाया गया और लोगों की भारी भीड़ भगवान कृष्ण के दर्शन को लेकर उत्सुक है।
राजस्थान में राजधानी जयपुर और अन्य स्थानों पर सवेरे से ही श्रीकृष्ण मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी और कृष्ण मंदिरों को आकर्षक रूप से सजाया गया। मंदिरों में श्रीकृष्ण से संबंधित झांकियां भी लगाई गईं। जयपुर के आराध्य गोविंददेव मंदिर में भगवान का विशेष श्रृंगार किया गया और उनके लिए विशेष तौर से बनाई गई रेशमी पोशाक धारण कराई गई। सवेरे से ही मंदिरों के बाहर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा हो गई। उदयपुर संभाग में नाथद्वारा में भगवान श्रीनाथजी के दर्शनों के लिए भारी भीड़ उमड़ गई। भगवान के दर्शनों के लिए शहर के अलावा भारी संख्या में गुजरात के श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है।
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में जन्माष्टमी का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जा रहा है और हर शहर में गोविंदाओं की टोलियां माखन की हांडी तोड़कर लोगों का दिल जीतने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने जन्माष्टमी पर घाटकोपर में जनता के बीच पहुंचकर नारियल से दही भरी हांडी फोड़ी और 'दही हांडी' उत्सव मनाया। मुंबई से सटे ठाणे शहर में गोविंदाओं ने सीमाओं पर रक्षा करने वाले शहीदों को नमन किया और सेना का परिधान पहनकर मानव श्रृंखला की 9 कड़ी बनाकर दही हांडी को सलाम किया।
इस उत्सव में फिल्म उद्योग भी पीछे नहीं रहा और कई स्थानों पर सिने तारिकाओं ने नृत्य किया। कई स्थानों पर दाही हांडी फोड़ने वाली गोविंदा टोली हेतु इनाम भी रखा गया था। दाही हांडी महोत्सव के दौरान मुंबई में 50 से अधिक लोग घायल हो गए और धारावी के एक 20 वर्षीय युवक की सरकारी सायन अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई।
इस बार सरकार ने दुर्घटना को टालने के लिए सिर पर हेलमेट लगाने और नीचे जाल लगाने की भी व्यवस्था की थी। गुजरात स्थित भगवान कृष्ण के 2 विश्वप्रसिद्ध मंदिरों सौराष्ट्र में द्वारका के जगत मंदिर तथा मध्य गुजरात के डाकोर के रणछोड़रायजी मंदिर में जन्माष्टमी के मौके पर मनोहारी सजावट की गई है तथा विशेष पूजा-अर्चना के आयोजनों के बीच भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी।
भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण को जिनका अवतार माना जाता है, के उत्तर गुजरात स्थित विख्यात शामलाजी मंदिर में कुछ ऐसा ही माहौल दिखा। तीनों ही मंदिरों में भगवान की प्रतिमा का सोमवार को रत्नाभूषणों से विशेष श्रृंगार किया गया। द्वारका के जगत मंदिर उपप्रशासक ने बताया कि नियमित आयोजित होने वाली मंगला, श्रृंगार, संध्या और शयन आरती के स्थान पर जन्माष्टमी का मुख्य आकर्षण यहीं होता है। आमतौर पर इस मंदिर में रोज 10 हजार के आसपास दर्शनार्थी आते हैं, पर जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर यह संख्या 50 हजार या उससे अधिक और जन्माष्टमी को 80 हजार से 1 लाख तक पहुंच जाती है।
उधर डाकोर मंदिर के संचालन ट्रस्ट के एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार को कृष्णस्वरूप रणछोड़रायजी की प्रतिमा को 3 से 4 किलो सोने से बने और रत्न एवं हीरे आदि जटित मुकुट पहनाया जाता है। ऐसा सालभर में जन्माष्टमी के अलावा केवल 2 और मौकों आश्विन और कार्तिक पूर्णिमा को ही किया जाता है। इसके अलावा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, असम और अन्य राज्यों के विभिन्न मंदिरों में जन्माष्टमी की धूम देखने को मिल रही है।