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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : गुरुवार, 12 जनवरी 2023 (14:36 IST)

जोशीमठ में शंकराचार्य के ज्योतिर्मठ पर भी खतरा, वेबदुनिया से बोले शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

जोशीमठ की आपदा मानवीय आपदा, राष्ट्रीय आपदा हो घोषित

जोशीमठ में शंकराचार्य के ज्योतिर्मठ पर भी खतरा, वेबदुनिया से बोले शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद - Interview of Shankaracharya of Jyotishapeeth Swami Avimukteshwananda on Joshimath disaster
उत्तराखंड का जोशीमठ शहर आज अपने अस्तित्व की जंग लड़ रहा है। जोशीमठ में हालात हर नए दिन के साथ विकट होते जा रहे हैं। जोशीमठ सिर्फ एक शहर नहीं, सनातन संस्कृति को अपने में समेटा हुआ आध्यात्मिक प्राचीन शहर है। जोशीमठ शहर को ज्योतिर्मठ भी कहा जाता है और यह भगवान बद्रीनाथ की शीतकालीन गद्दी है जिनकी मूर्ति हर सर्दियों में जोशीमठ के मुख्य बद्रीनाथ मंदिर से वासुदेव मंदिर में लाई जाती है।
 
जोशीमठ हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। इसकी एक बड़ी वजह जोशीमठ आदिशंकराचार्य के स्थापित मठों में से एक है। आज जब जोशीमठ शहर पर एक बड़ा संकट मंडरा रहा है, तब आदिशंकराचार्य द्वारा प्रतिष्ठापित ज्योतिर्मठ पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
 
'वेबदुनिया' ने ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से इस पूरे मसले पर खास बातचीत की।  
 
जोशीमठ में मानवीय आपदा- 'वेबदुनिया' से बातचीत में ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कहते हैं कि जोशीमठ की आपदा पूरी तरह मानवीय आपदा है। जोशीमठ में एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ बिजली परियोजना के तहत जो सुरंग बनाई जा रही है, उसके चलते आज यह पूरी स्थिति उत्पन्न हुई है। जब प्रकृति को हम छेड़ रहे हैं तो प्रकृति भी अपना बल दिखा रही है।
 
अब समय आया है कि हम जोशीमठ और तथाकथित विकास में से एक को चुन लें। आज जैसा कठिन समय हम सबके सामने आया है, उसमें अब हमें यह निश्चय कर लेना होगा कि हम जोशीमठ को बनाए-बचाए रखना चाहते हैं या फिर उसकी कीमत पर टनल और बाईपास चाहते हैं? यह निर्णय इसलिए कर लेना होगा, क्योंकि जो संकेत मिले हैं उससे यह तय हो गया है कि दोनों का सामंजस्य नहीं बन सकेगा।

स्वामी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कहते हैं कि ब्रह्मलीन ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वतीजी महाराज ने 2008 में ही गंगा सेवा अभियान के माध्यम से अपनी राय देश के सामने रख दी थी जिसमें उन्होंने बड़ी विद्युत परियोजनाओं और हर उस बड़े प्रोजेक्ट को पहाड़ों के लिए विनाशक बताया था, जो पहाड़ों को हिला रहे थे। उन्होंने कहा था कि एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगाड प्रोजेक्ट के सन्दर्भ में स्पष्ट रूप से कहा था कि ऐसा न हो कि इस प्रोजेक्ट के प्रभाव से जोशीमठ सदा-सदा के लिए नष्ट हो जाए। आज उनकी आशंका शत-प्रतिशत सच साबित हो रही है।
 
जोशीमठ के ज्योतिर्मठ को भी खतरा- 'वेबदुनिया' से बातचीत में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कहते हैं कि वे बताते हैं कि मठ परिसर में भी दरारें आ गई हैं और मठ भवन को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। हालांकि अभी हमारे मठ पर लाल निशान नहीं लगा है, लेकिन खतरे को देखते हुए परिसर में भवन चिन्हित कर लिए गए है और उनको तोड़ने के लिए अनुरोध किया गया है।
 
जोशीमठ को बचाने के लिए ज्योतिर्मठ रक्षा महायज्ञ- 'वेबदुनिया' से बातचीत में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कहते हैं कि भगवत्कृपा से जोशीमठ में नृसिंह मन्दिर परिसर ज्योतिर्मठ मठांगन में दोनों विराजमान हैं। भगवान नरसिंह की प्रीति के लिए नरसिंह पुराण का पारायण और श्रीदेवी की प्रीति के लिए संपुटित सहस्र चण्डी महायज्ञ और रुद्र महायज्ञ किया जाएगा। वहीं जोशीमठ को बचाने के लिए ज्योतिर्मठ रक्षा यज्ञ भी करने जा रहे हैं। हमें विश्वास है कि भगवत्कृपा से जोशीमठ की रक्षा होगी और ना तो जोशीमठ विस्थापित होगा और न ही विनष्ट। जोशीमठ सामान्य नगर नहीं है। यह केवल 20 से 25 हजार लोगों की बात नहीं है। यह 100 करोड़ सनातन धर्मियों से जुड़ा स्थान है।

पूरा जोशीमठ हमारा परिवार- 'वेबदुनिया' से बातचीत में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बताते हैं कि जोशीमठ शब्द ज्योतिर्मठ का ही अपभ्रंश है। इसलिए जोशीमठ कहें चाहे ज्योतिर्मठ- दोनों का तात्पर्य एक ही है। इसलिए हम मानते है कि पूरा जोशीमठ ही हमारा मठ है और संकट की इस घड़ी में हम पूरी ताकत के साथ उनके साथ खड़े हैं। स्थानीय लोगों को मठ की तरफ से मदद भी की जा रही है।
 
जोशीमठ की संकट की घड़ी में खुद लोगों के पास पहुंचकर उनसे बात की जिसमें लोग बहुत चिंतित और परेशान है। आपदा की इस घड़ी में जोशीमठ और उसके आस-पास के गांव में निवास करने वाले लोगों से अपील करना चाहेंगे कि वे घबराए नहीं, ज्योतिर्मठ सब आपके साथ हैं। जो भी चाहे हमसे सहयोग के लिए संपर्क कर सकता है। 74174 17414 इस नम्बर पर व्हॉट्सएप करके आप अपनी समस्या बताएं, हम यथासम्भव सहयोग के लिए तत्पर हैं।