लद्दाख में सैन्य सूत्रों के अनुसार इस समय पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रक रेखा के कई इलाकों में तो भारतीय सेना के जवान एलएसी पर चीनी सैनिकों के ठीक सामने महज 350 मीटर की दूरी पर मोर्चा संभाले हुए हैं।
इस मामले पर चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि गलवान घाटी चीन का इलाका है और भारत जानबूझकर वहां विवाद पैदा कर रहा है। भारत गलवान घाटी में चीन के इलाके में अवैध तरीके से सैन्य ढांचे का निर्माण कर रहा है। इस कारण चीन की सेना के पास इसका जवाब देने के अलावा कोई चारा नहीं है।
चीन के सरकारी अखबार ने चेतावनी दी है कि अगर भारत ने जल्दी से जल्दी उकसावे की कार्रवाई बंद नहीं की तो इससे दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है। यह विवाद डोकलाम से भी बड़ा हो सकता है। इस लेख में अप्रत्यक्ष तौर पर अमेरिका को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार बताया गया है।
दोनों देशों की सेनाएं पैगोंग शो झील, गलवान घाटी और देमचौक में अपनी-अपनी स्थिति पर कायम हैं। हाल ही में चीन ने इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 5 हजार अतिरिक्त सैनिकों को भेजा है।
Chinese TV releases footage of Chinese military buildup and reinforcements near Aksai Chin near Indian Occupied Ladakh.
— Er_ghnshah (@Ghnshah1) May 25, 2020
China seems serious about this ongoing skirmish.
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चीनी सैनिकों की बढ़ती संख्या देख भारतीय सेना भी सतर्क है और आर्मी कमांडर सीमा के हालात पर नजर बनाए हुए हैं। इस तनाव के बीच भारतीय थलसेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवाने खुद इस इलाके का दौरा कर चुके हैं और उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी पूर्वी लद्दाख के हालात पर पैनी नजर रख रहे हैं।
लद्दाख, जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रही सेना की उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ बनने से पहले जनरल जोशी लद्दाख की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सेना की 14 कोर के कोर कमांडर रह चुके हैं। लेफ्टिनेंट जनरल जोशी लद्दाख में हाई अल्टीट्यूड वारफेयर स्ट्रेटेजी में माहिर माने जाते हैं। उल्लेखनीय है कि कारगिल युद्ध के दौरान बहादुरी के लिए उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया था।
क्यों बौखलाया है ड्रैगन : दरअसल पिछ्ले कुछ वर्षों में भारतीय सेना ने लद्दाख में अपने सीमावर्ती रक्षा ढांचे को काफी मजबूत करने में सफलता पाई है। 255 किमी लंबी ऑल वेदर सड़क DSDBO route जो दर्बुक-शायोक-दौलतबेग ओल्डी सेक्शन, के साथ लेह और काराकोरम दर्रे को दमचोक से जोड़ता है के बनने से तथा दौलत बाग ओल्डी में वायुसेना के एडवांस लैंडिंग ग्राउंड बनने से भारतीय सेना की ताकत में कई गुना इजाफा हुआ है। सामरिक तौर पर अत्यंत महत्वपूर्ण इस रूट के जरिए अतिरिक्त सैनिकों और युद्ध सामग्री को जल्द वास्तविक नियंत्रण रेखा तक ले जाया जा सकता है।
लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद से ही चीन बौखला गया है और इस साल लद्दाख में पहले से अधिक आक्रामक तेवर अपनाए हुए है। जहां पिछले साल लद्दाख में पूरे साल में ऐसे 110 मामले हुए थे, वहीं 2020 के पहले चार महीनों में ही चीन ने 170 बार उकसाने वाली कार्रवाई की है।
पहले से तनावग्रस्त इस क्षेत्र में अक्सर दोनों सेनाओं के बीच बॉर्डर पर्सनल मीटिंग, कमांडर स्तर की बातचीत तथा डीजीएमओ स्तर की हाई लेवल मीटिंग के जरिए मसलों को सुलझाया जाता है, लेकिन अब चीनी सेना ने आक्रामक तेवर अपनाए हुए है।
'द हिन्दू' अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार पहले के मुकाबले इस समय चीनी सेना का रुख बेहद आक्रामक है, हालांकि यहां कोई गोलीबारी नहीं हो रही है लेकिन दोनों सेनाओं के सैनिकों के बीच झड़प, हाथापाई, धक्का-मुक्की यहां तक की एक दूसरे पर पत्थरबाजी की भी कई घटनाओं के कारण भारतीय सेना के कई सैनिकों को चोट भी आई है। सूत्रों के अनुसार चीनी सेना के भी कई सैनिक घायल हुए हैं जिनके बारे में चीन फिलहाल चुप्पी साधे है।
हालांकि भारतीय सेना ने भी लद्दाख में होने वाली ऐसी कार्रवाइयों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और पर्याप्त आक्रमकता दिखाई है। लेकिन पिछ्ले दिनों में चीन द्वारा भारतीय सीमा में कई किमी अंदर घुसकर गश्त करना शुरू कर दिया है। सूत्रों की मानें तो पिछ्ले 15 दिनों में चीन की फौज ने करीब 100 टेंट लगाए हैं।