शुक्रवार, 8 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. India-China talks in Ladakh failed to reduce tension
Written By
Last Modified: शनिवार, 23 मई 2020 (00:11 IST)

तनाव घटाने में नाकाम रही लद्दाख में हुई 'भारत-चीन वार्ता'

तनाव घटाने में नाकाम रही लद्दाख में हुई 'भारत-चीन वार्ता' - India-China talks in Ladakh failed to reduce tension
नई दिल्ली। भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील और गलवान घाटी में तनाव घटाने के लिए इस हफ्ते कम से कम 5 दौर की वार्ता नाकाम रही। दरअसल, दोनों पक्षों ने विवादित सीमावर्ती इलाकों में अपना-अपना आक्रामक रुख जारी रखा है। सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

सूत्रों ने बताया कि भारतीय थलसेना ने पैंगोंग त्सो झील और गलवान घाटी, दोनों जगहों पर चीनी सैनिकों के बराबर ही अपने सैनिकों की तैनाती की है। दोनों क्षेत्रों में पिछले दो हफ्तों में बड़ी संख्या में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती देखने को मिली है।

उन्होंने बताया कि आने वाले कुछ समय में तनाव कम होने की बहुत कम गुंजाइश है क्योंकि दोनों पक्ष अपने-अपने मोर्चे पर जमे हुए हैं। समझा जाता है कि राजनयिक माध्यम भी दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव घटाने के लिए ओवरटाइम काम कर रहे हैं। गलवान घाटी में भारत द्वारा एक सड़क बनाए जाने पर चीन के ऐतराज जताने के बाद यह तनाव पैदा हुआ है।

पांच मई को दोनों देशों के कुछ सैनिकों के बीच टकराव होने और इसके बाद नौ मई को उत्तरी सिक्किम में इसी तरह की एक और घटना होने के बाद से दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी मौजूदगी मजबूत की है।

सूत्रों के मुताबिक, दोनों सेनाओं के स्थानीय कमांडर मुद्दे का समाधान होने तक वार्ता जारी रखेंगे। चीन से लगी सीमा पर तनाव बढ़ने के बीच भारत ने गुरुवार को कहा था कि लद्दाख और सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन भारतीय सैनिकों की सामान्य गश्त में बाधा डाल रहा है। साथ ही, भारत ने चीनी क्षेत्र में भारतीय सैनिकों की घुसपैठ के बीजिंग के आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया।

विदेश मंत्रालय ने कहा था कि सीमा पर भारत की सभी गतिविधियां भारतीय क्षेत्र की ओर ही होती रही हैं और नई दिल्ली ने सीमा प्रबंधन की दिशा में हमेशा अत्यंत जिम्मेदार रवैया अपनाया है। मंत्रालय ने इसके साथ ही कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है।

गौरतलब है कि इसके दो दिन पहले चीन ने मंगलवार को अपने क्षेत्र में भारतीय सेना की घुसपैठ का आरोप लगाया था और दावा किया था कि यह सिक्किम और लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की ‘स्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास है।

पैंगोंग त्सो झील और गलवान घाटी में, एलएसी से लगे कई इलाकों में भी दोनों पक्षों की ओर से सैनिकों की संख्या में बड़ी संख्या में वृद्धि देखी गई है। गलवान के आसपास के इलाके दोनों पक्षों के बीच छह दशक से अधिक समय से संघर्ष का कारण बने हुए हैं। 1962 में भी इस इलाके को लेकर टकराव हुआ था।

सूत्रों ने बताया कि चीन ने गलवान घाटी में कम से 40-50 तंबू लगाए हैं, जिसके बाद भारत ने अतिरिक्त सैनिक भेजे हैं। गत पांच मई को पूर्वी लद्दाख के पेगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और लाठी-डंडों से झड़प हो गई थी। दोनों ओर से पथराव भी हुआ था। इस घटना में दोनों देशों के सैनिक घायल हुए थे।

इसी तरह की एक अन्य घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास दोनों देशों के लगभग 150 सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी। सूत्रों के अनुसार, इस घटना में दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए थे। वर्ष 2017 में डोकलाम तिराहा क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 73 दिन तक गतिरोध चला था, जिससे दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका उत्पन्न हो गई थी।

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा कही जाने वाली 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश के दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता है, जबकि भारत का कहना है कि यह उसका अभिन्न अंग है।

चीन, जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन किए जाने और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के भारत के कदम की निंदा करता रहा है। लद्दाख के कई हिस्सों पर बीजिंग अपना दावा जताता है। डोकलाम गतिरोध के महीनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच चीनी शहर वुहान में अप्रैल 2018 में पहला अनौपचारिक शिखर सम्मेलन हुआ था।

शिखर सम्मेलन में, दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी सेनाओं को आपसी विश्वास और समझ के लिए संपर्क मजबूत करने के वास्ते रणनीतिक दिशा-निर्देश जारी करने का फैसला किया था। मोदी और शी के बीच दूसरा अनौपचारिक शिखर सम्मेलन पिछले साल अक्टूबर में चेन्नई के पास मामल्लापुरम में हुआ था जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तारित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।(भाषा)
ये भी पढ़ें
पाकिस्तान में भीषण विमान हादसा : कराची के रिहाइशी इलाके में गिरा विमान, 57 की मौत