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Last Updated : शुक्रवार, 2 जुलाई 2021 (09:08 IST)

Weather Alert: असम, मेघालय में हुई भारी बारिश, उत्तर भारत में भीषण गर्मी का प्रकोप

Weather Alert: असम, मेघालय में हुई भारी बारिश, उत्तर भारत में भीषण गर्मी का प्रकोप | Heavy rain
नई दिल्ली। एक ट्रफ रेखा उत्तरप्रदेश के उत्तरी हिस्सों से लेकर उत्तर बिहार और उपहिमालयी पश्चिम बंगाल होते हुए पूर्वोत्तर असम तक फैली हुई है। एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तरी पाकिस्तान और इससे सटे क्षेत्र पर बना हुआ है। एक ट्रफ रेखा विदर्भ से तेलंगाना और आंतरिक तमिलनाडु होते हुए दक्षिणी तमिलनाडु तक फैली हुई है।
 
पिछले 24 घंटों के दौरान बिहार के पूर्वी हिस्से, उपहिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, तेलंगाना के कुछ हिस्सों, तटीय आंध्रप्रदेश और विदर्भ में हल्की से मध्यम बारिश के साथ 1-2 स्थानों पर भारी बारिश हुई। दक्षिण गुजरात, कोंकण और गोवा, उत्तरी तमिलनाडु, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, तटीय ओडिशा, छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों, पूर्वी और उत्तरी मध्यप्रदेश, झारखंड के कुछ हिस्सों, गंगीय पश्चिम बंगाल और दक्षिण-पूर्व राजस्थान में हल्की से मध्यम बारिश हुई।
 
स्काइमेट के अनुसार केरल, लक्षद्वीप, तटीय कर्नाटक, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों, आंतरिक तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश के साथ एक 2 स्थानों पर मध्यम बारिश हुई। दिल्ली के कुछ हिस्सों, उत्तरी राजस्थान और हरियाणा के 1-2 भागों में हीटवेव हुई।
 
उत्तर भारत में लू का कहर : उत्तर भारत के अधिकतर क्षेत्रों में गुरुवार को लोगों को लू के कहर का सामना करना पड़ा। भीषण गर्मी के कारण कई राज्यों में बिजली की मांग भी बढ़ गई है। वहीं, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा है कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर राजस्थान और उत्तरप्रदेश में अगले 2 दिन तक लू की स्थिति बनी रहने की संभावना है। इन स्थानों पर चिलचिलाती गर्मी से फिलहाल कोई राहत नहीं मिलने वाली है।
 
आईएमडी ने कहा कि राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में 7 जुलाई से पहले मानसून की बारिश होने की कोई संभावना नहीं है। इसके बाद क्षेत्र में जुलाई के शुरुआती 15 दिनों में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान व्यक्त किया गया है। पिछले कुछ दिनों में देश के उत्तरी मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है। दक्षिण-पश्चिम मानसून हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों, पश्चिमी राजस्थान और पंजाब को छोड़ देश के बाकी हिस्सों में पहुंच गया है। हिमालय पर्वतीय क्षेत्र में कई स्थानों पर असामान्य रूप से अधिक तापमान दर्ज किया जा रहा है।
 
लद्दाख की नुब्रा घाटी के थोइस और हिमाचल प्रदेश के सोलन में तापमान क्रमश: 31 डिग्री सेल्सियस और 35.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। देश के सबसे ठंडे इलाकों में से एक द्रास में भी अधिकतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। द्रास में तापमान एक समय शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है।
 
पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, उत्तर-पश्चिम राजस्थान और उत्तर-पश्चिम मध्यप्रदेश के अधिकतर हिस्सों में लू का कहर जारी रहा जबकि अलग-अलग हिस्सों में लोगों को भीषण लू का सामना करना पड़ा। आईएमडी के मुताबिक गुरुवार को पूर्वोत्तर राजस्थान के अलग-अलग क्षेत्रों में भीषण लू का कहर देखने को मिला।

 
राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली में तापमान 43.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज : राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार को अधिकतम तापमान 43.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो कि इस मौसम के सामान्य तापमान से 6 डिग्री अधिक है। दिल्ली में वार को बिजली की मांग बढ़कर 7,026 मेगावॉट तक हो गई, जो कि इस बार के मौसम की अब तक की सबसे अधिक मांग है। दिल्ली में सोमवार से ही लू का कहर शुरू हो गया था जब अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। दिल्ली के पड़ोसी शहर गुरुग्राम में गुरुवार को अधिकतम तापमान 44.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो कि सामान्य से 7 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।
 
हरियाणा और पंजाब के कई हिस्सों में लोगों को भीषण गर्मी के साथ लू का सामना करना पड़ा। हिसार में अधिकतम तापमान सामान्य से 5 डिग्री अधिक 44 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि रोहतक और भिवानी दोनों ही शहरों में अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। पंजाब के पटियाला में अधिकतम तापमान 41.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जोकि सामान्य से 7 डिग्री अधिक है। बठिंडा में अधिकतम तापमान सामान्य से 3 डिग्री अधिक 41.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि गुरदासपुर का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। चंडीगढ़ में भी अधिकतम तापमान 40.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
 
पंजाब में बिजली की मांग बढ़ी : भीषण गर्मी के बीच पंजाब में प्रतिदिन बिजली की मांग 14,000 मेगावॉट से अधिक हो गई है, जिसके कारण सरकारी बिजली आपूर्तिकर्ता पंजाब स्टेट पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) को मजबूरन बिजली कटौती और उद्योगों पर पाबंदियां लगानी पड़ रही हैं। राज्य में बिजली आपूर्ति में कथित अनियमितता से उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जिसके खिलाफ लोगों ने कई जगह विरोध प्रदर्शन किए और सड़कों को जाम कर दिया। विपक्ष ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पर राज्य में बिजली की मांग के अनुरूप आपूर्ति करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। पीएसपीसीएल के मुताबिक, बुधवार को राज्य में बिजली की मांग 14,142 मेगावॉट तक पहुंच गई जबकि आपूर्ति 12,842 मेगावॉट की है।
 
मौसम विभाग ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली तथा उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों, उत्तरी राजस्थान के अलावा उत्तर-पश्चिम मध्यप्रदेश में 2 जुलाई तक लू चलने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक अरब सागर से उत्तर पश्चिम भारत की ओर वायुमंडल के निचले हिस्से में संभावित शुष्क पछुआ/दक्षिण पछुआ हवाओं के कारण पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली, उत्तर राजस्थान, उत्तरप्रदेश तथा उत्तर पश्चिम मध्यप्रदेश में अगले 2 दिनों के दौरान लू की स्थितयां बनी रहने की संभावना है।
 
जुलाई के पूर्वानुमान की जानकारी देते हुए विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि प्रथम सप्ताह में अच्छी बारिश होने की उम्मीद नहीं है, लेकिन महीने के दूसरे हफ्ते के दूसरे हिस्से से इसके जोर पकड़ने की संभावना है। विभाग ने कहा कि देश में जुलाई 2021 में मासिक बारिश कुल मिलाकर सामान्य (दीर्घ अवधि औसत का 94 से 106 प्रतिशत) रहने की संभावना है।
 
उन्होंने बताया कि पश्चिमोत्तर भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों, मध्य, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम या सामान्य बारिश की संभावना है जबकि मध्यभारत, उससे जुड़े प्रायद्वीपीय भारत और गंगा के मैदान में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश का पूर्वानुमान है।
 
महापात्र ने बताया कि मानसून के 7 जुलाई से पहले गति पकड़ने की संभावना कम ही है। 19 जून से मानसून के सक्रिय होने में कोई प्रगति नहीं देखी गई है। जून में सामान्य से 10 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई थी। इसमें से भी अधिकतर बारिश 3 जून से 19 जून के बीच हुई थी। महापात्र ने बताया कि मध्य अक्षांशीय हवाएं, मैडेन-जूलियन ऑसीलेशन (एमजेओ) की प्रतिकूल स्थिति, उत्तर बंगाल की खाड़ी के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र नहीं बनना मानसून ब्रेक (मानसून के मौसम में बारिश के 2 सत्र के बीच का अंतर) के कारण हैं।
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