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Last Updated : गुरुवार, 27 अगस्त 2020 (16:00 IST)

GST Council की बैठक में राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई मुद्दे पर चर्चा

Nirmala Sitamaran | GST Council की बैठक में राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई मुद्दे पर चर्चा
नई दिल्ली। राज्यों को राजस्व में कमी की भरपाई के मुद्दे पर चर्चा के लिए जीएसटी परिषद की महत्वपूर्ण बैठक गुरुवार को शुरू हुई। केंद्र ने राज्यों से राजस्व में कमी की भरपाई के लिए बाजार से कर्ज लेने को कहा है। केंद्र के इस कदम का गैर-राजग दलों के शासन वाले प्रदेश विरोध कर रहे हैं।
 
सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतामरण की अध्यक्षता में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की 41वीं बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही है। इसमें सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं। बैठक में राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई के मुद्दे पर चर्चा हो रही है।
कांग्रेस और गैर-राजग दलों के शासन वाले राज्य इस बात पर जोर दे रहे हैं कि घाटे की कमी को पूरा करना केंद्र सरकार की सांवधिक जिम्मेदारी है। वहीं केंद्र सरकार ने कानूनी राय का हवाला देते हुए कहा कि अगर कर संग्रह में कमी होती है तो उसकी ऐसी कोई बाध्यता नहीं है।
 
सूत्रों के अनुसार केंद्र के साथ-साथ भाजपा-जद (यू) शासित बिहार की राय है कि राज्यों को कर राजस्व में कमी कमी की भरपाई के लिए बाजार से कर्ज लेना चाहिए। कर राजस्व में कमी के साथ कोविड-19 संकट से राज्यों के लिए समस्या और बढ़ गई है। सूत्रों के अनुसार बैठक में जिन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, उनमें बाजार से कर्ज, उपकर की दर में वृद्धि या क्षतिपूर्ति उपकर के दायरे में आने वाले वस्तुओं की संख्या में वृद्धि, शामिल हैं।
 
कपड़ा और जूता-चप्पल जैसे कुछ उत्पादों पर उल्टा शुल्क ढांचा यानी तैयार उत्पादों के मुकाबले कच्चे माल पर अधिक दर से कराधान को ठीक करने पर भी चर्चा होने हो सकती है। बैठक का माहौल कैसा होगा, उसका संकेत पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री अमित मित्रा ने 26 अगस्त को सीतारमण को पत्र लिखकर दे दिया था। उन्होंने पत्र में लिखा था कि राज्यों को जीएसटी राजस्व संग्रह में कमी को पूरा करने के लिए बाजार से कर्ज लेने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।
 
मित्रा ने कहा कि केंद्र को उन उपकर से राज्यों को क्षतिपूर्ति दी जानी चहिए जो वह संग्रह करता है और इसका बंटवारा राज्यों को नहीं होता। जिस फार्मूले पर सहमति बनी है, उसके तहत अगर राजस्व में कोई कमी होती है, यह केंद्र की जिम्मेदारी है कि वह राज्यों को पूर्ण रूप से क्षतिपूर्ति राशि देने के लिए संसाधन जुटाए। वर्ष 2017 में 28 राज्य वैट समेत अपने स्थानीय करों को समाहित कर जीएसटी लागू करने पर सहमत हुए थे। जीएसटी को सबसे बड़ा कर सुधार माना जाता है।
 
उस समय केंद्र ने राज्यों को माल एवं सेवा कर के क्रियान्वयन से राजस्व में होने वाले किसी भी कमी को पहले पांच साल तक पूरा करने का वादा किया था। यह भरपाई जीएसटी के ऊपर आरामदायक और अहितकर वस्तुओं पर उपकर लगाने से प्राप्त राशि के जरिए की जानी थी। महामारी से पहले ही जीएसटी संग्रह के साथ क्षतिपूर्ति उपकर लक्ष्य से कम रहा है। इसके कारण केंद्र के लिए राज्यों को क्षतिपूर्ति करना मुश्किल हो गया।
 
एक तरफ जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर लक्ष्य से कम रहा तो दूसरी तरफ केंद्र ने पेट्रोल और डीजल पर उपकर बढ़ाया है। ये दोनों जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। इसके जरिए उपकर के रूप में करोड़ों रुपए संग्रह किए गए, लेकिन उसे राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता। मित्रा चाहते हैं कि केंद्र इसके जरिए राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई करे।
 
उन्होंने पत्र में लिखा है कि किसी भी हालत में राज्यों से बाजार से कर्ज लेने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए, क्योंकि इससे कर्ज भुगतान की देनदारी बढ़ेगी। पुन: इससे ऐसे समय राज्य को व्यय में कटौती करनी पड़ सकती है, जब अर्थव्यवस्था में मंदी की गंभीर प्रवृत्ति है। इस समय खर्च में कटौती वांछनीय नहीं है।  मित्रा ने यह भी कहा कि क्षतिपूर्ति भुगतान पर पीछे हटने का सवाल ही नही है। 14 प्रतिशत की दर का हर हाल में सम्मान होना चाहिए।
 
सूत्रों के अनुसार जीएसटी परिषद की बैठक में पश्चिम बंगाल के साथ पंजाब, केरल और दिल्ली ने केंद्र से कमी की भरपाई करने को कहा। उसने कहा कि सीतारमण ने महान्यायवादी के के वेणुगोपाल की राय का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र अपने कोष से राज्यों को जीएसटी राजस्व में किसी प्रकार की कमी को पूरा करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है।
 
केंद्र सरकार ने मार्च में महान्यावादी से क्षतिपूर्ति कोष में कमी को पूरा करने के लिए जीएसटी परिषद द्वारा बाजार से कर्ज लेने की वैधता पर राय मांगी थी। क्षतिपूर्ति कोष का गठन लग्जरी (आरामदायक) और अहितकर वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाकर किया गया है। इसके जरिए राज्यों को जीएसटी लागू करने से राजस्व में होने वाली किसी भी कमी की भरपाई की जाती है। महान्यायवादी वेणुगोपाल ने यह भी राय दी थी कि परिषद को पर्याप्त राशि उपलब्ध कराकर जीएसटी क्षतिपूर्ति कोष में कमी को पूरा करने के बारे में निर्णय करना है।
 
सूत्रों के अनुसार परिषद के पास कमी को जीएसटी दरों को युक्तिसंगत कर, क्षतिपूर्ति उपकर के अंतर्गत और जिंसों को शामिल कर अथवा उपकर को बढ़ाकर या राज्यों को अधिक उधार की अनुमति देने जैसे विकल्प हैं। बाद में राज्यों के कर्ज भुगतान क्षतिपूर्ति कोष में भविष्य में होने से संग्रह से किया जा सकता है।
 
जीएसटी कानून के तहत राज्यों को माल एवं सेवा कर के क्रियान्वयन से राजस्व में होने वाले किसी भी कमी को पहले पांच साल तक पूरा करने की गारंटी दी गई है। जीएसटी 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ। कमी का आकलन राज्यों के जीएसटी संग्रह में आधार वर्ष 2015-16 के तहत 14 प्रतिशत सालाना वृद्धि को आधार बनाकर किया जाता है।  जीएसटी परिषद को यह विचार करना है कि मौजूदा हालात में राजस्व में कमी की भरपाई कैसे हो।  केंद्र ने 2019-20 में जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में 1.65 लाख करोड़ रुपए जारी किए। हालांकि उपकर संग्रह से प्राप्त राशि 95,444 करोड़ रुपए ही थी। (भाषा)
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