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Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 10 दिसंबर 2017 (12:49 IST)

राजमाता गायत्रीदेवी की संपत्ति पर दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

राजमाता गायत्रीदेवी की संपत्ति पर दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला - Gayatri Devi grandchildren her legal heirs: Delhi HC
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि राजमाता गायत्रीदेवी के 2 पोते-पोती उनके कानूनी वारिस होंगे। इसके साथ ही अदालत ने अपने पहले के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि जयपुर की दिवंगत महारानी के 2 सौतेले बेटे भी उनकी संपत्ति में हिस्से के हकदार हैं। गायत्रीदेवी के निधन के बाद उनकी संपत्ति पर दावेदारी को लेकर विवाद खड़ा हो गया था।
 
उनके पोते देवराज और पोती लालित्या ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और कहा था कि उनके पिता जगतसिंह, गायत्रीदेवी और महाराज सवाई मानसिंह के बेटे हैं। जगतसिंह का विवाह थाईलैंड की मॉम राजावेंगसे प्रियनंदना रांगसित से हुआ था। जगतसिंह ने निधन से पहले वसीयत बनाई थी जिसमें उन्होंने गायत्रीदेवी को अपनी सारी संपत्ति का स्वामित्व दे दिया था।
 
गायत्रीदेवी का 29 जुलाई 2009 को निधन हो गया था। ऐसा बताया गया कि उन्होंने एक वसीयत छोड़ी थी जिसमें कहा था कि उनके पोते-पोती देवराज और लालित्या, जो वर्तमान में बैंकॉक में रहते हैं, उन्हें ही उनकी सारी संपत्ति मिलेगी।
 
न्यायमूर्ति एस रवीन्द्रन भट ने यह आदेश उनके पोते-पोती की पुनर्विचार याचिका पर दिया है जिसमें उन्होंने इसी अदालत के वर्ष 2010 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें अदालत ने गायत्रीदेवी के वारिस के रूप में दावेदारी करने वाले 2 अलग आवेदनों को मंजूरी दी थी।
 
पहली याचिका देवराज और लालित्या ने दायर की थी जबकि दूसरा आवेदन गायत्रीदेवी के सौतेले बेटे पृथ्वीराज सिंह और जयसिंह ने डाला था। वे दोनों महाराज सवाई मानसिंह की दूसरी पत्नी के बेटे हैं।
 
उनके पोते-पोती ने कहा था कि वे दिवंगत जगतसिंह की संतान हैं और सिंह की मौत गायत्रीदेवी से पहले ही हो गई थी। ऐसे में उनकी संपत्ति के हकदार वे ही हैं। हिन्दू  उत्तराधिकारी अधिनियम 1956 के तहत केवल वे ही प्रथम श्रेणी के कानूनी उत्तराधिकारी हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि पृथ्वीराज सिंह और जयसिंह सवाई मानसिंह की दूसरी पत्नी के बच्चे हैं और इसलिए उन्हें गायत्रीदेवी का उत्तराधिकारी नहीं माना जा सकता। (भाषा) 
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