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Last Modified: गुरुवार, 28 जनवरी 2021 (17:01 IST)

इस तरह सुधरेंगे भारत-चीन संबंध, विदेश मंत्री जयशंकर ने बताए 8 मूल मंत्र...

इस तरह सुधरेंगे भारत-चीन संबंध, विदेश मंत्री जयशंकर ने बताए 8 मूल मंत्र... - External Affairs Minister Jaishankar's statement on India-China relations
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत और चीन के संबंधों को पटरी पर लाने के लिए गुरुवार को 8 सिद्धांत रेखांकित किए, जिनमें वास्तविक नियंत्रण रेखा के प्रबंधन पर सभी समझौतों का सख्ती से पालन, आपसी सम्मान एवं संवेदनशीलता तथा एशिया की उभरती शक्तियों के रूप में एक-दूसरे की आकांक्षाओं को समझना शामिल है।

चीनी अध्ययन पर 13वें अखिल भारतीय सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। उन्होंने साथ ही स्पष्ट किया किया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाना चाहिए और यथास्थिति को बदलने का कोई भी एकतरफा प्रयास स्वीकार्य नहीं है।

विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा पर स्थिति की अनदेखी कर जीवन सामान्य रूप से चलते रहने की उम्मीद करना वास्तविकता नहीं है। जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के संबंध दोराहे पर हैं और इस समय चुने गए विकल्पों का न केवल दोनों देशों पर बल्कि पूरी दुनिया पर प्रभाव पड़ेगा।

पूर्वी लद्दाख गतिरोध के संबंध में जयशंकर ने कहा, वर्ष 2020 में हुई घटनाओं ने हमारे संबंधों पर वास्तव में अप्रत्याशित दबाव बढ़ा दिया है। पिछले वर्ष (पूर्वी लद्दाख में) हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। विदेश मंत्री ने कहा कि इसने (लद्दाख की घटनाओं ने) न सिर्फ सैनिकों की संख्या को कम करने की प्रतिबद्धता का अनादर किया, बल्कि शांति भंग करने की इच्छा भी प्रदर्शित की।
 
जयशंकर ने कहा कि हमें चीन के रुख में बदलाव और सीमाई इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती पर अब भी कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं मिला है।
 
द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए आठ सूत्रीय सिद्धांत का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के प्रबंधन पर पहले हुए समझौतों का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, जो समझौते हुए हैं, उनका पूर्णतया पालन किया जाना चाहिए। वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाना चाहिए। यथास्थिति को बदलने का कोई भी एकतरफा प्रयास पूर्णतया अस्वीकार्य है। जयशंकर ने कहा कि दोनों देश बहुध्रुवीय विश्व को लेकर प्रतिबद्ध हैं और इस बात को स्वीकार किया जाना चाहिए कि बहु ध्रुवीय एशिया इसका एक महत्वपूर्ण परिणाम है।

उन्होंने कहा, स्वाभाविक तौर पर हर देश के अपने-अपने हित, चिंताएं एवं प्राथमिकताएं होंगी, लेकिन संवेदनाएं एकतरफा नहीं हो सकतीं। अंतत: बड़े देशों के बीच संबंध की प्रकृति पारस्परिक होती है। उन्होंने कहा कि उभरती हुई शक्तियां होने के नाते प्रत्‍येक देश की अपनी आकांक्षाएं होती हैं और इन्हें नजरंदाज नहीं किया जा सकता।

विदेश मंत्री ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में शांति स्थापना चीन के साथ संबंधों के संपूर्ण विकास का आधार है और अगर इसमें कोई व्यवधान आएगा तो नि:संदेह बाकी संबंधों पर इसका असर पड़ेगा। चीन के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा कि संबंधों को आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब वे आपसी सम्मान एवं संवेदनशीलता तथा आपसी हित जैसी परिपक्वता पर आधारित हों।

उन्होंने कहा, हमारे सामने मुद्दा यह है कि चीन का रुख क्या संकेत देना चाहता है, यह कैसे आगे बढ़ता है और भविष्य के संबंधों के लिए इसके क्या निहितार्थ हैं। जयशंकर ने कहा कि अगर संबंधों को स्थिर और प्रगति की दिशा में लेकर जाना है तो नीतियों में पिछले तीन दशकों के दौरान मिले सबक पर ध्यान देना होगा।

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले कई महीने से भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच गतिरोध की स्थिति है। इस मामले में कई दौर की राजनयिक स्तर और सैन्य स्तर की बातचीत हो चुकी है।(भाषा) 
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