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Last Updated : शनिवार, 1 जनवरी 2022 (15:29 IST)

Election Rallies: सबकुछ ऑनलाइन तो इलेक्‍शन कैंपेन क्‍यों नहीं, जानिए किन देशों में कोरोना को चुनौती देने पर राजनीतिक पार्ट‍ियों को हुआ नुकसान?

Election Rallies: सबकुछ ऑनलाइन तो इलेक्‍शन कैंपेन क्‍यों नहीं, जानिए किन देशों में कोरोना को चुनौती देने पर राजनीतिक पार्ट‍ियों को हुआ नुकसान? - Election Rallies, election, election india, Alternate option
भीड़ और कोरोना का गहरा रिश्‍ता है, जहां ज‍हां भीड़ हुई, वहां कोरोना फैला। यह बेहद आसान सा कनेक्‍शन था जो किसी को भी समझ में आ सकता है, बावजूद इसके राजनीतिक पार्ट‍ियां हों या आम नागरिक। कोई भी भीड़ लगाने से बाज नहीं आए।

ऐसे समय में ऑनलाइन गतिविधि‍यों का बोलबाला रहा। बच्‍चों के स्‍कूल की क्‍लासेस ऑनलाइन हो रही हैं, कई कॉलेज और युनिवर्सिटी भी ऑनलाइन क्‍लासेस ले रहे हैं। कमोबेश सबकुछ ऑनलाइन हो गया है, लेकिन दूसरी तरफ देश में हो रही चुनावी रैलियों पर कोई रोक नहीं है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपना UAE का दौरा रद्द कर दिया है।

लेकिन तेजी से पसरते ओमिक्रॉन संक्रमण के बीच चुनावी गतिविधि‍यां, इलेक्‍शन कैंपेन नहीं थम रहे हैं।
दरअसल, चुनाव प्रचार (Election Campaign) का सिर्फ एक ही तरीका है। बड़ी-बड़ी रैलियां, बड़ी-बड़ी भीड़। कई लोग और सभाएं। जाहिर है यहां खूब लोग शामिल होंगे, फि‍र भी यह ऑनलाइन क्‍यों नहीं की जाती हैं।

ऐसे में आपको बता दें कि दुनिया में कोरोना काल में किस तरह से चुनाव प्रचार किए गए और कहां इनकी वजह से पार्टियों को नुकसान हुआ।

दरअसल, अमेरिका से लेकर सिंगापुर तक चुनाव हुए हैं। आपको बता दें कि भारत अकेला ऐसा देश नहीं है, जहां जनवरी 2020 यानि कोरोना के बाद चुनाव हुए हैं। अमेरिका हो या सबसे छोटा सिंगापुर, कई जगह चुनाव हुए और कोरोना पाबंदियों के बीच प्रचार अभियान भी हुए। लेकिन उन्‍होंने बहुत बेहतर तरीके से इन्‍हें मैनेज किया

साल 2020 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हुए। तब अमेरिका में कोविड की स्थिति भी बहुत खराब थी। इन चुनावों में एक तरफ तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारी भीड़ के साथ रैलियां कर रहे थे। वहीं उनके मुकाबले में खड़े जो बाइडेन छोटी-छोटी रैलियां कर रहे थे। फोन पर और सोशल मीडिया पर कैंपेन का सहारा ले रहे थे। नतीजे सामने आए तो कोरोना प्रोटोकॉल्स के तहत प्रचार करने वाली टीम बाइडेन के पक्ष में रहा।

दुनिया में ऐसे बहुत से देश हैं, जहां कोविड प्रोटोकॉल्स के तहत चुनाव हुए। सिंगापुर, क्रोएशिया, मलेशिया, अमेरिका, रोमानिया, जॉर्डन आदि देशों में चुनाव प्रचार पर कई तरह के नियंत्रण लगाए। जॉर्डन ने तो नवंबर 2020 में बड़ी रैलियों पर रोक लगा दी थी। जॉर्डन में रैलियों में 20 लोगों की संख्या निर्धारित थी। लेकिन ऐसे भी देश थे, जिन्होंने कोरोना काल में चुनाव करवाए और किसी भी तरह की पाबंदी का पालन नहीं करवाया। ऐसे देशों में कोरोना बहुत तेजी से फैला। इन देशों में चुनावों के बाद कोरोना विस्फोट हुआ।

पोलैंड में इलेक्‍शन के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल्स का उल्‍लंघन किया गया, इसके बाद देश में कोरोना केसे बढ़ने लगे। मलेशिया में अक्टूबर 2020 में चुनाव हुए जिसके बाद केस बढ़े, तो चुनावी रैलियों को जिम्मेदार माना गया। ब्राजील में भी नवंबर 2020 में चुनाव हुए, तो 20 उम्मीदवारों की कोरोना से मौत हो गई। जाहिर है, जहां जहां प्रचार के नाम पर लाखों लोग एकत्र हुए वहां वायरस का संक्रमण जमकर फैला।