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Last Modified: गुरुवार, 6 जनवरी 2022 (16:56 IST)

नीट-पीजी दाखिला : डॉक्टरों के संगठन ने SC से काउंसलिंग शुरू कराने का किया अनुरोध

नीट-पीजी दाखिला : डॉक्टरों के संगठन ने SC से काउंसलिंग शुरू कराने का किया अनुरोध - Doctors' association requests Supreme Court to start counseling in NEET-PG admission case
नई दिल्ली। डॉक्टरों के एक संगठन ने उच्चतम न्यायालय का रुख करते हुए कहा है कि नीट-पीजी काउंसलिंग शुरू करने की तत्काल आवश्यकता है और प्रक्रिया के अंत में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण मानदंड में संशोधन से अंतिम चयन में और देरी होगी।

फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) ने लंबित याचिका में पक्ष बनाने का अनुरोध करते हुए दाखिल एक अर्जी में कहा है कि हर साल लगभग 45,000 उम्मीदवारों को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातकोत्तर (नीट-पीजी) के माध्यम से स्नातकोत्तर डॉक्टरों के रूप में चुना जाता है।

एफओआरडीए ने कहा कि 2021 में इस प्रक्रिया को रोक दिया गया क्योंकि कोरोनावायरस महामारी के कारण नीट-पीजी परीक्षा सितंबर महीने तक टल गई। संगठन ने कहा है कि चूंकि इस वर्ष किसी भी जूनियर डॉक्टर को शामिल नहीं किया गया है इसलिए दूसरे और तीसरे वर्ष के पीजी डॉक्टर मरीजों को देख रहे हैं।

अर्जी में कहा गया है कि इससे ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां डॉक्टर प्रति सप्ताह 80 घंटे से अधिक काम कर रहे हैं और उनमें से कई अब कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं। अर्जी में कहा गया, यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम तीन वर्षों से अधिक का होता है। प्रथम वर्ष के स्नातकोत्तर डॉक्टरों को शामिल करने में बाधा से स्नातकोत्तर डॉक्टरों के चिकित्सा कार्यबल में लगभग 33 प्रतिशत की कमी हुई है।

अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के आरक्षण के मुद्दे पर संगठन ने कहा है कि केंद्र द्वारा गठित तीन सदस्‍यीय समिति का सुझाव उचित है कि आरक्षण के मौजूदा कार्यक्रम में बदलाव अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू किया जाना उपयुक्त होगा।

अर्जी के अनुसार, तीन सदस्‍यीय समिति की रिपोर्ट की इस तथ्य से और पुष्टि होती है कि स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में पहले से ही कमी है और इसलिए ऐसे कठिन समय में इसे और अधिक नुकसानदेह स्थिति में नहीं रखा जा सकता है। प्रक्रिया के अंत में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण मानदंड के संशोधन से निश्चित रूप से नीट-पीजी काउंसलिंग शुरू होने और उसके बाद अंतिम चयन में और देरी होगी।

केंद्र ने बुधवार को न्यायालय से कहा कि वह उस स्थिति को स्वीकार नहीं करेगा, जिसमें ओबीसी या ईडब्ल्यूएस की श्रेणी में आने वाले लोगों को उनके किसी वैध अधिकार से वंचित रखा जाए, फिर चाहे आठ लाख रुपए की वार्षिक आय के मानदंड पर फिर से विचार करने से पहले या बाद का मामला हो।

केंद्र ने अदालत से आग्रह किया कि रुकी हुई नीट-पीजी काउंसलिंग को चलने दिया जाए क्योंकि रेजिडेंट डॉक्टरों की मांग वाजिब है और देश को नए डॉक्टरों की जरूरत है, भले ही ईडब्ल्यूएस कोटे की वैधता का मामला विचाराधीन हो।

वर्ष 2021-22 शैक्षणिक वर्ष से ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कोटा के क्रियान्वयन के लिए 29 जुलाई 2021 की अधिसूचना को चुनौती देने वाले नीट-पीजी उम्मीदवारों ने आठ लाख रुपए की आय मानदंड लागू करने के सरकार के औचित्य का विरोध करते हुए कहा है कि इसे लेकर कोई अध्ययन नहीं किया गया।

पिछले दिनों नीट-पीजी काउंसलिंग में देरी को लेकर दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में ‘फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ के बैनर तले विभिन्न अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी किया था।(भाषा)
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