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Last Updated : सोमवार, 6 फ़रवरी 2017 (15:03 IST)

भारत ने की युद्ध की तैयारी, 20 हजार करोड़ के रक्षा करार

भारत ने की युद्ध की तैयारी, 20 हजार करोड़ के रक्षा करार | arms deals to keep forces ready
नई दिल्ली। आतंकवाद, सर्जिकल स्ट्राइक और सीमा पर तनाव के चलते भारत ने युद्ध जैसी किसी भी आकस्मिक परिस्थिति से निपटने के लिए करीब बीस हजार करोड़ रुपए की इमरजेंसी डील को अंतिम रूप दे दिया है। सरकार की ओर से पिछले तीन महीनों में युद्ध सामग्री से जुड़े 20 हजार करोड़ के इमरजेंसी समझौते किए गए हैं।
इसमें सेना को हर वक्‍त तैयार रहने के मकसद से उन्‍हें दिए जाने वाले गोला बारूद से लेकर अन्‍य युद्ध की सामग्रियों की आपूर्ति शामिल है। इसके जरिये सरकार यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि परोक्ष या अपरोक्ष रूप से थोपे गए युद्ध के लिए सेना के पास किसी भी साजो-सामान की कोई कमी न रहे। साथ ही कम से कम समय में सेना की इंफेंट्री, वारशिप और टैंक युद्धघोष करने के लिए पूरी तरह से तैयार हों। इस खरीदारी से 13 लाख की संख्या बल वाली भारतीय सेना को रॉकेट, मिसाइल, टैंक के लिए गोला बारूद मिलेंगे।
 
अंग्रेजी अखबर टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक रक्षा मंत्रालय की ओर से जम्मू-कश्मीर में पिछले साल सितंबर में हुए उड़ी आतंकी हमले के बाद सरकार ने रूस, इसराइल और फ्रांस के साथ ये रक्षा करार किए हैं। सरकार की ओर से तीनों सेना प्रमुखों की अध्यक्षता वाली समितियों का भी गठन किया गया है जिसे आपात हालात में विशेष वित्तीय अधिकार दिए है। इस बार के बजट में सेना के लिए अलग से कोई फंड की बात भले ही ना हो लेकिन करीब 86 हजार करोड़ रुपए से सेना अपनी जरूरतों को पूरा कर रही है।
 
रक्षा करार में वायुसेना की ओर से 9200 करोड़ के 43 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। थल सेना ने भी रूस की कंपनियों के साथ 10 समझौते किए हैं। इन रक्षा साजो-सामान की खरीद के बाद भारतीय सेना किसी भी आतंकी हमले से निपटने को और मजबूती से तैयार होगी।
 
भारत ने रूस के बीच हुए करार के तहत से सेना टी-20 टैंक और टी-72 टैंक के लिए गोला-बारूद खरीदेगी। कई सालों से सेना को इन रक्षा उपकरणों की जरुरत थी और करार ना होने की वजह से गोला-बारूद नहीं खरीदा जा रहा था। अब सामान की खरीददारी के बाद सेना और और मजबूती मिलने की उम्मीद है।
 
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से सेना में लगातार युद्ध के हालात से निपटने के लिए पर्याप्‍त सामग्री न होने की बात की जा रही थी। सरकार द्वारा की गई इस डील से सेना के हालात कुछ सुधरने की उम्‍मीद है।
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