धर्मयोद्धा है 'दलित समाज' : विहिप
इलाहाबाद। विश्व हिंदू परिषद ने दलितों को सम्मान देने की जरूरत को रेखांकित करते हुए दावा किया कि अस्पृश्यता की प्रथा के लिए ‘इस्लामी आक्रमणकारियों का दमन’ जिम्मेदार है।
विहिप संरक्षक अशोक सिंघल ने शनिवा रको यहां कहा, ‘इस्लामी आक्रमण शुरू होने से पहले तक हिंदुओं में कोई अस्पृश्यता नहीं थी। हिंदू समाज में चार वर्ण थे जो पेशे पर आधारित थे। कामगारों का यह बंटवारा किसी भी तरीके से वर्गीकृत नहीं था। सभी से समान व्यवहार किया जाता था।’
सिंघल विहिप के स्वर्ण जयंती के मौके पर आयोजित ‘विराट हिंदू सम्मेलन’ को संबोधित कर रहे थे जिसमें भाजपा के सांसदों श्यामा चरण गुप्ता (इलाहाबाद), केशव प्रसाद मौर्य और विनोद सोनकर (कौशांबी) के साथ ही संघ परिवार के संगठनों के पदाधिकारियों और सदस्यों ने हिस्सा लिया।
उन्होंने कहा, ‘कई सदियों पहले इस्लामी आक्रमणकारियों ने हिंदुओं के एक वर्ग को मैला ढोने जैसा काम करने के लिए मजबूर किया क्योंकि उस वर्ग ने दमन के बावजूद इस्लाम धर्म अपनाने से इनकार कर दिया था।’
सिंघल ने कहा, ‘इस गलती को ठीक करने का सही समय आ गया है। मैं हिंदुओं का आह्वान करता हूं कि वे दलितों को वह सम्मान दें जिसके वे हकदार हैं। उन्हें आगे से अछूत नहीं बल्कि धर्मयोद्धा के रूप में देखा जाना चाहिए जिन्होंने अपना धर्म छोड़ने की बजाय ऐसे काम करने का फैसला किया और अपमान सहा।’
उन्होंने पिछले वर्ष के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की जीत की ओर परोक्ष इशारा करते हुए कहा, ‘पृथ्वीराज चौहान के बाद 2014 में पहली बार दिल्ली में एक सच्चा हिंदू शासन कर रहा है।’ हालांकि साथ ही कहा कि ‘गो हत्या पर प्रतिबंध जैसी कई चीजें करनी बाकी हैं।’