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Last Updated : सोमवार, 16 जनवरी 2023 (21:04 IST)

कांग्रेस ने रिजीजू के पत्र को न्यायपालिका के लिए विष की गोली की तरह बताया

कांग्रेस ने रिजीजू के पत्र को न्यायपालिका के लिए विष की गोली की तरह बताया - Congress targeted Kiren Rijiju's letter
नई दिल्ली। कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि सरकार कि न्यायपालिका पर कब्जा करने के इरादे से उसे धमका रही है। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि कानून मंत्री किरेन रिजीजू द्वारा कॉलेजियम प्रणाली के पुनर्गठन के लिए लिखा गया पत्र न्यायपालिका के लिए विष की गोली है।
 
पार्टी ने यह आरोप रिजीजू द्वारा प्रधान न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ को लिखे पत्र के मद्देनजर लगाया जिसमें उन्होंने उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम में केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों को शामिल करने का सुझाव दिया है। रिजीजू ने प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग करते हुए कहा कि इससे न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही लाने में मदद मिलेगी।
 
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया कि उपराष्ट्रपति ने हमला बोला। कानून मंत्री ने हमला किया। यह न्यायपालिका के साथ सुनियोजित टकराव है कि ताकि उसे धमकाया जा सके और उसके बाद उसपर पूरी तरह से कब्जा किया जा सके। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम में सुधार की जरूरत है कि लेकिन यह सरकार उसे पूरी तरह से अधीन करना चाहती है। यह उपचार न्यायपालिका के लिए विष की गोली है।
 
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को लिखे पत्र को सही ठहराते हुए रिजीजू ने ट्वीट किया कि सीजेआई को लिखे गए पत्र की सामग्री उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ की टिप्पणी और निर्देश के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि सुविधा की राजनीति सही नहीं है कि खासतौर पर न्यायपालिका के नाम पर। भारत का संविधान सर्वोच्च है और उससे ऊपर कोई नहीं है।
 
रिजीजू ने कहा कि सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम में केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम (एनजेएसी) को रद्द करने के दौरान शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार की गई कार्रवाई है।
 
रिजीजू ने यह टिप्पणी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए की। केजरीवाल ने केंद्र सरकार की ओर से कॉलेजियम में अपने प्रतिनिधियों को शामिल करने की उच्चतम न्यायालय से की गई मांग को बेहद खतरनाक करार दिया है।
 
केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट किया कि मुझे उम्मीद है कि आप अदालत के निर्देश का सम्मान करेंगे। यह उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को रद्द किए जाने के दौरान दिए गए सुझाव के अनुसार की गई कार्रवाई है। उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने कॉलेजियम प्रणाली के प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) में संशोधन करने का निर्देश दिया था। इससे पहले केजरीवाल ने ट्वीट किया था कि यह बहुत ही खतरनाक है। न्यायिक नियुक्तियों में सरकार का निश्चित तौर पर कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
 
उल्लेखनीय है कि पिछले साल नवंबर में रिजीजू ने कहा था कि न्यायिक नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम प्रणाली संविधान से बिलकुल अलग व्यवस्था है। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी दावा किया था कि न्यायपालिका कि विधायिका की शक्तियों में अतिक्रमण कर रही है।
 
सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि किरेन रिजीजू जी उच्चतम न्यायालय के एनजेएसी फैसले के कैसे अनुरूप है। कॉलेजियम प्रणाली को लेकर कुछ अंतर्निहित मुद्दे हैं कि लेकिन देश में भावना है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा होनी चाहिए। हम पुनर्विचार का अनुरोध करते हैं।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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