'सुप्रीम कोर्ट ने संविधान को किया हाईजैक'- किरेन रिजिजू ने शेयर किया पूर्व जज का बयान
नई दिल्ली। Centre vs Collegium : कानून मंत्री किरेन रीजीजू (kiren rijiju) ने रविवार को हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के विचारों का समर्थन करने की कोशिश की, जिन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद न्यायाधीशों की नियुक्ति का फैसला कर संविधान का अपहरण किया है।
हालिया समय में उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव बढ़ा है। रीजीजू ने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस सोढ़ी (सेवानिवृत्त) के एक इंटरव्यू का वीडियो शेयर करते हुए कहा कि यह एक न्यायाधीश की आवाज है और अधिकांश लोगों के इसी तरह के समझदारीपूर्ण विचार हैं।
न्यायमूर्ति सोढ़ी ने कहा कि कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है। कानून मंत्री ने यह भी कहा कि वास्तव में अधिकांश लोगों के इसी तरह के समझदारीपूर्ण विचार हैं। केवल कुछ लोग हैं, जो संविधान के प्रावधानों और जनादेश की अवहेलना करते हैं और उन्हें लगता है कि वे भारत के संविधान से ऊपर हैं।
मंत्री ने ट्वीट किया कि भारतीय लोकतंत्र की असली खूबसूरती इसकी सफलता है। लोग अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से खुद पर शासन करते हैं। चुने हुए प्रतिनिधि लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं और कानून बनाते हैं। हमारी न्यायपालिका स्वतंत्र है और हमारा संविधान सर्वोच्च है।
इंटरव्यू में न्यायमूर्ति सोढ़ी ने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत कानून नहीं बना सकती, क्योंकि उसके पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून बनाने का अधिकार संसद का है।
न्यायमूर्ति सोढ़ी ने कहा कि क्या आप संविधान में संशोधन कर सकते हैं? केवल संसद ही संविधान में संशोधन करेगी। लेकिन यहां मुझे लगता है कि उच्चतम न्यायालय ने पहली बार संविधान का अपहरण कर लिया। अपहरण करने के बाद उन्होंने (उच्चतम न्यायालय) कहा कि हम (न्यायाधीशों की) नियुक्ति खुद करेंगे और इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी।
उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच टकराव बढ़ने के बीच रीजीजू ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली को भारतीय संविधान के प्रतिकूल बताया है। वहीं, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम (एनजेएसी) और एक संबंधित संविधान संशोधन को रद्द करने के लिए शीर्ष अदालत पर सवाल उठाया है।
उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्तियों को मंजूरी देने में देरी पर भी शीर्ष अदालत ने सरकार से सवाल किया है। भाषा Edited by Sudhir Sharma