देखते हैं बीसीसीआई किस हद तक आदेश का पालन करता है : लोढ़ा
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के लोढ़ा समिति की सिफारिशों का पालन नहीं करने तक बीसीसीआई को अपनी राज्य इकाइयों को धनराशि आवंटित नहीं करने के आदेश के बाद इस समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरएम लोढ़ा ने कहा कि शीर्ष अदालत ने बीसीसीआई को पैनल के व्यापक सुधारों को लागू करने के लिए अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर दिए हैं।
लोढ़ा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने जो कुछ किया है वह 18 जुलाई के अपने फैसले के क्रियान्वयन के लिए है। अदालत ने वह कर दिया जिसे वह मानता है कि उसके आदेश के क्रियान्वयन के लिए सर्वश्रेष्ठ है। देखते हैं कि बीसीसीआई किस हद तक आदेश का पालन करता है?
बीसीसीआई और उसकी राज्य इकाइयों के बीच वित्तीय लेन-देन पर रोक लगाने के अलावा उच्चतम न्यायालय ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को 3 दिसंबर तक लोढ़ा पैनल और शीर्ष अदालत के पास हफलनामा पेश करने के लिए कहा कि उन्हें सुधारों को लागू करने के लिए कितना समय चाहिए?
लोढ़ा ने कहा कि समिति अब भी ठाकुर सहित बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ भविष्य को लेकर बात करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि यदि वे (ठाकुर) आते हैं तो हम निश्चित तौर पर उनसे बात करेंगे। हमने तो उन्हें 9 अगस्त को बातचीत के लिए बुलाया था लेकिन वे नहीं आए।
उच्चतम न्यायालय ने 17 अक्टूबर को बीसीसीआई में व्यापक सुधारों की लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के अपने आदेश को बरकरार रखा था। अदालत ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और इसके महासचिव (क्रिकेट परिचालन) रत्नाकर शेट्टी को उन आरोपों के बारे में बताने को कहा था कि बीसीसीआई ने आईसीसी मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेव रिचर्ड्सन को पत्र लिखा था कि लोढ़ा पैनल के निर्देश सरकारी हस्तक्षेप के समान हैं।
दोनों क्रिकेट प्रशासकों का बचाव कर रहे सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि बीसीसीआई को खलनायक की तरह पेश किया जा रहा है। यह ऐसा है, जैसे बीसीसीआई के कारण ही हर गलत चीज हो रही है। (भाषा)