चंडीगढ़। बलात्कार मामले में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को कम से कम सात साल सश्रम कारावास की सजा होनी तय है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत जब 28 अगस्त को सजा की अवधि पर विचार करेगी तो अभियोजन एजेंसी इस मामले में राम रहीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने की मांग करेगी, वहीं बचाव पक्ष के वकीलों का प्रयास रहेगा कि उनके मुवक्किल को कम से कम सजा हो।
सीबीआई अदालत ने राम रहीम को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की तीन धाराओं -376 (बलात्कार), 506 (डराने-धमकाने) एवं 509 (महिला की इज्जत से खिलवाड़)- के तहत दोषी ठहराया है। निर्भया कांड के बाद पारित आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013 के तहत बलात्कार के अपराधियों को कम से कम सात साल के सश्रम कारावास और अधिक से अधिक आजीवन कारावास तथा जुर्माने के प्रावधान हैं। आईपीसी की धारा 506 के तहत अधिकतम दो साल की सजा अथवा जुर्माना अथवा दोनों के प्रावधान हैं।
वर्ष 2013 में किए गए संशोधन के अनुसार धारा 509 के तहत अधिकतम तीन साल की साधारण सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इससे पहले इस धारा के तहत एक साल के साधारण कारावास अथवा जुर्माना अथवा दोनों की व्यवस्था थी।
नए संशोधन में कुछ ऐसे प्रावधान भी किए गए हैं, जिसके तहत बलात्कार के अपराधी को कम से कम 10 साल सश्रम कारावास एवं अधिक से अधिक आजीवन कारावास की व्यवस्था की गई है। इनमें पुलिस अधिकारी द्वारा बलात्कार, अभिरक्षा में बलात्कार, बार-बार बलात्कार, किसी न्यास और संस्था के प्रमुख द्वारा वहां रहने वाली महिलाओं के साथ बलात्कार आदि शामिल हैं। (वार्ता)