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Last Modified: शुक्रवार, 26 जुलाई 2019 (13:58 IST)

सेनाध्यक्ष रावत का देशवासियों को आश्वासन, निश्चिंत रहें, हम हैं ना

सेनाध्यक्ष रावत का देशवासियों को आश्वासन, निश्चिंत रहें, हम हैं ना - Army Chief Bipin Rawat warns Pakistan
द्रास (जम्मू-कश्मीर)। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने पाकिस्तान को कारगिल जैसा दुस्साहस नहीं करने की कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि उसने फिर ऐसा करने की हिमाकत की तो उसे इस बार भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
 
कारगिल विजय दिवस की 20वीं वर्षगांठ के मौके पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में जनरल रावत ने पाकिस्तान को कारगिल जैसा दुस्साहस नहीं करने की चेतावनी देते हुए कहा कि पहले उसकी तरफ से कारगिल में दुस्साहस किया गया। उन्होंने कहा कि दुस्साहस फिर नहीं किया जाता है किंतु पाकिस्तान ने फिर ऐसा करने की हिमाकत को तो इस मर्तबा उसे भारी कीमत अदा करनी होगी।
 
जनरल रावत ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को जीवंत बनाए रखना चाहता है और इसीलिए हताशा भरे कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि कश्मीर समेत अन्य स्थानों पर आतंकवाद फैलाने और उसका समर्थन करने के लिए पाकिस्तान की विश्व स्तर पर बहुत फजीहत हो रही है। कश्मीर में चरमपंथी और रूढ़िवादी सोच को जीवंत रखने और उसे बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया का भी खूब इस्तेमाल किया जा रहा है।
 
उन्होंने देशवासियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि मैं देशवासियों से कहना चाहता हूं कि सेना को जो जिम्मेदारी सौंपी गई है वह कितनी भी कठिन क्यों न हो हर हाल में पूरा करेगी और देश के लोग इसे लेकर आश्वस्त हो सकते हैं। देश के जवान सीमा की सुरक्षा में किसी प्रकार की भी कोताही नहीं होने देंगे और इसे पूरी मुस्तैदी के साथ करते रहेंगे। फौज को आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित करने पर जोर दिया जा रहा है और आशा है कि अगले वर्ष तक हमें होवित्जर तोपें मिल जाएंगी। इसके अलावा देश में के-9 वज्र को तैयार किया जा रहा है।
 
कश्मीर में छद्म युद्ध जारी रहने की आशंका व्यक्त करते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि सेना को आधुनिक निगरानी उपकरणों से लैस करने के साथ ही आतंकवादियों को समर्थन देने वाले ओवर ग्राउंड वर्कर्स पर भी नकेल कसने की जरूरत है।
 
गौरतलब है कि वर्ष 1999 में पाकिस्तान की सेना ने आतंकवादियों के साथ मिलीभगत कर कारगिल की पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया था। भारतीय सेना ने इसे खदेड़ने के लिए लगभग दो महीने तक जंग लड़ी और विजय हासिल की। तब से हर वर्ष 26 जुलाई कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
 
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