अमित शाह के आक्रामक तेवरों ने विरोधी दलों की बेचैनी बढ़ाई
लखनऊ। उत्तरप्रदेश में अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर बूथ कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बुनियाद मजबूत करने में जुटे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की ताबड़तोड़ सभाओं ने विरोधी दलों को नए सिरे से रणनीति बनाने पर मजबूर कर दिया है।
पिछले करीब 1 महीने के दौरान शाह ने कानपुर, मेरठ, जौनपुर, बस्ती समेत अन्य क्षेत्रों में बूथ प्रमुखों के साथ बैठक कर पार्टी की बुनियाद को परखा और उन्हे चुनाव की तैयारियों के अहम टिप्स दिए। उनकी लगभग हर बैठक में कार्यकर्ताओं ने पूरे जोश के साथ हिस्सा लिया और विधानसभा चुनाव में फतेह का संकल्प लेकर अपने क्षेत्रों में लौट गए।
सम्मेलनों में उमड़ी भीड़ से गद्-गद् भाजपा अध्यक्ष ने जनता से पिछले लोकसभा चुनाव की तरह अगले साल उत्तरप्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत देने की गुजारिश की। इसके पीछे उनका तर्क था कि केंद्र की महत्वाकांक्षी योजनाओं का पूरा लाभ यहां के लोगों को नहीं मिल रहा है और यह तभी संभव है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार हो और प्रदेश विकास के रास्ते पर सरपट भाग सके।
प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) ने शाह के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वास्तविकता तो यह है कि भाजपा अपने निहित स्वार्थ की पूर्ति के लिए राज्य में सांप्रदायिक सदभाव बिगाड़ने की कोशिश कर रही है। कैराना मामला इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। भाजपा ने वर्ग विशेष के पलायन का ढिंढोरा पीटा जबकि हकीकत इससे कोसों दूर थी। (वार्ता)