श्रीनगर। कश्मीर में आतंकियों के सफाये की खातिर सेना द्वारा कश्मीर में छेड़े गए ऑपरेशन ऑलआउट-2 के बाद अगर चिंता कश्मीर के टूरिज्म की भी है तो अमरनाथ यात्रा भी चर्चा का विषय बन चुकी है। इस अभियान की शुरुआत के साथ ही दरअसल अमरनाथ गुफा में बनने वाले हिम शिवलिंग को देखने जाने वाले शिवभक्त यह सोचकर इस बार फिर परेशान नजर आ रहे हैं कि क्या इस बार भी आतंक के साये में उन्हें अमरनाथ यात्रा करनी पड़ेगी?
1 अप्रैल को घाटी में 13 आतंकवादियों का सुरक्षाबलों के हाथों मारा जाना यह संकेत देता है कि इस बार भी यह यात्रा आतंकवादियों के निशाने पर है। हालांकि कई हिन्दू नेता कहते थे कि अमरनाथ यात्रा को लेकर शिवभक्त उत्साहित हैं। याद रहे, इस बार यह यात्रा 60 दिन चलेगी।
शिवभक्तों का कहना था कि घाटी में शांति का माहौल बनाने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को अमरनाथ यात्रा की कमान सेना के हवाले कर देनी चाहिए। इससे ज्यादा से ज्यादा शिवभक्त हिम शिवलिंग के दर्शन कर सकेंगे।
वैसे बताया जाता है कि कश्मीर में आतंकी वारदातों के बढ़ने के बाद श्री अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा कड़ी करने के लिए केंद्र को राज्य सरकार ने प्रस्ताव भेजा है। राज्य सरकार ने केंद्र को 85 अतिरिक्त कंपनियां भेजने का प्रस्ताव भेजा है। पिछले साल 80 कंपनियों ने यात्रा की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाई थी।
जून माह में अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है। कश्मीर में पिछले कुछ माह से हालात ठीक नहीं हैं। आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों ने अभियान छेड़ा है जबकि आतंकी घटनाओं में भी बढ़ोतरी हुई है। जम्मू बेस कैंप से लेकर कश्मीर के चंदनवाड़ी और पहलगाम बेस कैंप में बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईएआरपी आदि सुरक्षा बलों को तैनात किया जाएगा।
सुरक्षा के लिए जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर जवानों की तैनाती होगी। सूत्रों के अनुसार 35 कंपनियां जम्मू संभाग में तैनात होंगी जबकि 45 कंपनियां कश्मीर संभाग में तैनात रहेंगी। अनंतनाग जिले में सबसे अधिक सुरक्षा बल तैनात रहेंगे।
सुरक्षा बलों को अमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं को सुरक्षा प्रदान करने के अलावा काफिले के साथ भी चलना होगा। बेस कैंप से ही सुरक्षा बलों का काफिला श्रद्धालुओं के साथ चलेगा। इन अतिरिक्त कंपनियों के अलावा सेना की 16 और 15 कोर के जवान भी सैन्य शिविरों की सुरक्षा करेंगे। श्रद्धालुओं के काफिले के साथ सीआरपीएफ के वाहन भी जवानों के साथ चलेंगे।
राज्य गृह विभाग के प्रधान सचिव सुरेश कुमार के अनुसार कश्मीर के हालात पर गौर करने के बाद सुरक्षा बलों की अतिरिक्त कंपनियां भेजने का प्रस्ताव भेजा गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस, आर्म्ड पुलिस, सेना और अर्द्धसैनिक बलों की अतिरिक्त कंपनियों को सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया है। जून में ही इन कंपनियों का आना शुरू हो जाएगा।
हालांकि अधिकारी दावा करते हैं कि अमरनाथ यात्रा शुरू होने से पहले कश्मीर में मौजूद 90 फीसदी आतंकियों का सफाया कर दिया जाएगा। सुरक्षा बलों ने इस बाबत एक्शन प्लान तैयार कर लिया है। अमरनाथ यात्रा 28 जून से शुरू होने वाली है। पिछले साल यात्रा पर हमला हो चुका है लिहाजा इस बार सुरक्षा एजेंसियां पहले से एहतियात बरत रही हैं।
अनंतनाग और शोपियां में पिछले दिनों मुठभेड़ में 13 आतंकियों के मारे जाने के बाद आतंकी संगठनों में बौखलाहट बढ़ी है। अधिकांश आतंकी जंगलों में छिप गए हैं। रिहायशी इलाकों में पनाह लिए आतंकियों की तलाश तेज कर दी गई है।
अनंतनाग मुठभेड़ में जिंदा पकड़े गए आतंकी ने पूछताछ में कई खुलासे किए हैं। इन खुलासों पता चला है कि लश्कर और हिजबुल मिलकर सुरक्षा बलों को निशाना बना सकते हैं। अमरनाथ यात्रियों पर हमले के लिए नई भर्तियां की जा रही हैं। सुरक्षा एजेंसियों की चिंता यह है कि पिछले सवा साल में 250 से अधिक आतंकियों के मारे जाने के बावजूद घाटी में आतंकियों की संख्या नहीं घटी है। आतंकी संगठनों द्वारा की गई नई भर्तियों के कारण सक्रिय आतंकियों की संख्या फिर से 200 के करीब पहुंच गई है।
लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के अधिकांश बड़े कमांडर मारे जा चुके हैं लेकिन आतंकियों की नई जमात भी तैयार हुई है। इसमें अधिकांश आतंकी 20 से 30 साल के हैं। दक्षिणी कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में पनाह लिए इन आतंकियों में एमबीए, इंजीनियर, प्रोफेशनल्स और अन्य पढ़े-लिखे युवा शुमार हैं।