नई दिल्ली। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के मध्यावधि आर्थिक सर्वेक्षण में कहा है कि कृषि ऋणमाफी, विनिमय दर में तेजी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने में आई शुरुआती चुनौतियों के कारण वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 6.75 से 7.5 प्रतिशत के जीडीपी विकास दर के पहले जारी अनुमान को हासिल करना मुश्किल होगा।
इस साल जनवरी में पेश पहले सर्वेक्षण में चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 6.75 से 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
संसद में शुक्रवार को पेश 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण के दूसरे भाग में कृषि ऋणमाफी को लेकर चिंता जताते हुए कहा गया है कि कृषि ऋणमाफी, गैर खाद्यान्न पदार्थों की कीमतों में कमी, वित्तीय नीतियों की सख्ती तथा बिजली और दूरसंचार कंपनियों का घटता मुनाफा अर्थव्यवस्था पर दबाव बना रहे हैं। इसमें कहा गया है कि राज्यों द्वारा कृषि ऋण माफी 2.7 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को छू सकती है।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी), ऋण प्रवाह, निवेश और उत्पादन क्षमता के दोहन के आंकड़ों से पता चलता है कि गत वित्त वर्ष की पहली तिमाही से वास्तविक गतिविधियां कमजोर रही हैं और तीसरी तिमाही से यह और नरम पड़ गई हैं।
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम् की देखरेख में तैयार सर्वेक्षण में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था ने अभी पूरी तरह गति नहीं पकड़ी है। यह अपनी क्षमता से अब भी कम है। इसमें यह भी कहा गया है कि कमजोर आर्थिक वृद्धि की वजह से रिजर्व बैंक की ओर से मौद्रिक नीति नरम करने की संभावना पर जोर दिया गया है।
महंगाई को लेकर सर्वेक्षण में जरूर कुछ राहत है और कहा गया है कि इसका रिजर्व बैंक के चालू वित्त वर्ष के चार प्रतिशत के लक्ष्य से कम रहने की उम्मीद है जिससे आगे चलकर ऋण सस्ता होने की काफी गुंजाइश है।
वित्तीय घाटे के संबंध में सर्वेक्षण में कहा गया है कि यह 2016-17 के 3.5 प्रतिशत की तुलना में 3.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। सर्वेक्षण के मुताबिक, भू-राजनैतिक परिस्थितियां अब कच्चे तेल की कीमतों पर पहले की तरह हावी नहीं होती हैं।
कृषि, उद्योग, आधारभूत ढांचे, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढाने , अस्पतालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने, एविएशन हब बनाने जैसे कई सुझाव भी आर्थिक सर्वेक्षण में दिए गए हैं। इसमें सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया में विनिवेश का भी उल्लेख किया गया है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार को मिलकर प्रयास करने होंगे। उन्हें साथ मिलकर गुणवत्ता के मुद्दे, मेडिकल परीक्षण की दरों के मानकीकरण, वैकल्पिक स्वास्थ्य प्रणाली के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सर्जरी तथा दवाओं आदि के जरिए झूठे दावे करने वाले अस्पतालों तथा निजी क्लिनिक चलाने वालों डॉक्टरों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के बारे में तय करना होगा। सरकार को साथ ही समाज के गरीब तबके के लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच आसान बनानी होगी।
कृषि क्षेत्र के लिए सर्वेक्षण में कहा गया है कि अच्छी गुणवत्ता वाले और बीमारी से लड़ने में सक्षम बीजों के लिए मानक तय करने चाहिए। शिक्षा क्षेत्र में सुधार की जरूरत पर बल देते हुए इसमें में कहा गया है कि स्कूल के कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली अपनाई जानी चाहिए। इसके अलावा विभिन्न शैक्षणिक योजनाओं तथा कार्यक्रमों के कामकाज को बेहतर बनाने के लिए कौशल संबंधी गतिविधियों और शिक्षा के परिणाम पर ध्यान देने की आवश्यकता बताई गई है। (वार्ता)