हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिए 660 निर्भया केंद्र
नई दिल्ली। दिल्ली के 16 दिसंबर 2012 सामूहिक बलात्कार कांड की पीड़िता को श्रद्धांजलि देने के लिए देशभर में 660 बलात्कार संकट (निवारण) केंद्र स्थापित किए जाएंगे और उनका नाम निर्भया केंद्र रखा जाएगा।महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि ये केंद्र देश में सभी 640 जिलों और 20 अतिरिक्त स्थानों पर स्थापित किए जाएंगे तथा परियोजना पर लगभग 477 करोड़ रुपए की लागत आएगी।महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पहले ही अवधारणा नोट तैयार कर चुका है जिसके खर्च की वित्त समिति की मंजूरी मिल गई है और इसे कानून मंत्रालय, वित्त, आदिवासी मामले, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय जैसे विभिन्न भागीदारों के पास उनके सुझाव के लिए भेजा गया है।निर्भया केंद्र छेड़छाड़, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए ऐसी जगह होगी जो उन्हें मेडिकल सहायता, पुलिस सहायता, मानसिक, सामाजिक सहायता और परामर्श, विधिक सहायता तथा अस्थाई आश्रय मुहैया करेगा। हिंसा पीड़िता मेडिकल सहायता के तहत निर्भया केंद्रों से संपर्क कर सकती हैं जहां उन्हें अस्पताल भेजे जाने और प्राथमिकी दर्ज कराने जैसी सहायता मुहैया की जाएगी। उन्हें परामर्श दिया जाएगा, विधिक सहायता मुहैया की जाएगी और भोजन एवं वस्त्र मुहैया कराकर संक्षिप्त अवधि के लिए केंद्र में रखा जाएगा। पीड़िताओं को वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा भी दी जाएगी। शीघ्र एवं उपयुक्त प्राथमिकी दर्ज कराने में सहायता के लिए गृह मंत्रालय, राज्य या जिला द्वारा एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को तैनात किया जाएगा। वकीलों का एक समूह पीड़िता को कानूनी सलाह देगा।मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, निर्भया केंद्र शुरू में किराए के परिसरों में चलाए जाएंगे और पीड़िताओं के लिए आश्रय की सुविधा भी केंद्र में होगी। अवधारणा नोट में कहा गया है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय कार्यबल गठित किया जाएगा, जिसके सदस्यों में गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य, कानून एवं न्याय के प्रतिनिधि होंगे। वे सालाना तौर पर सभी केंद्रों की निगरानी और मूल्यांकन करेंगे।एक परियोजना प्रबंधन इकाई भी स्थापित की जाएगी जो राष्ट्रीय कार्यबल के सचिवालय के रूप में काम करेगा। ये केंद्र चौबीसों घंटे खुले रहेंगे। प्रशासनिक एवं कामकाजी स्वायत्ता के लिए केंद्र का पंजीकरण सोसाइटीज रेजीस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत एक सोसाइटी के रूप में किया जाएगा। केंद्र का संपूर्ण प्रबंधन स्थानीय प्रबंधन समिति करेगी जिसके सदस्य जिलाधीश, पुलिस अधीक्षक, जिला न्यायाधीश, बार काउंसिल के अध्यक्ष, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ), जिला पंचायत अधिकारी और सिविल सोसाइटी (के सदस्य) होंगे। (भाषा)