बत्तियां बुझाकर मनाया अर्थ ऑवर
नई दिल्ली। बढ़ती ऊर्जा खपत से ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन और इससे जलवायु परिवर्तन के रूप में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के प्रति लोगों को सचेत करने के लिए 23 मार्च को रात साढ़े आठ बजे से साढ़े नौ बजे तक बत्तियां बुझाकर 'अर्थ ऑवर' मनाया। भारत के ताजमहल, इंडिया गेट समेत कई विश्वप्रसिद्ध इमारतों में शनिवार, 23 मार्च को स्थानीय समयानुसार रात के 8.30 बजे बत्तियां बुझा दी गई ताकि यह याद रहे कि आज का यह 1 घंटे का अंधेरा इस धरती के उज्ज्वल भविष्य की दिशा तय करेगा।पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्था 'वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर' की ओर से धरती पर जीवन की संभावनाएं बचाए रखने के लिए विश्वस्तर पर यह अभियान हर साल मार्च में चलाया जाता है।'
अर्थ ऑवर' अभियान के सहसंस्थापक एंडी रिडले के मुताबिक ऊर्जा संरक्षण आज वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है। आधुनिक होती जीवनशैली में हर चीज ऊर्जा पर निर्भर हो रही है। ऊर्जा खपत बढ़ने से ऊर्जा उत्पादन भी बढ़ रहा है जिससे ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन भयानक स्तर पर पहुंच चुका है।उन्होंने कह कि यदि समय रहते इसे रोका नहीं गया तो यह जलवायु परिवर्तन के खतरों को और बढ़ा देगा जिससे धरती पर जीवन संकटमय हो जाएगा।रिडले ने कहा कि आबादी की सघनता के लिहाज से एशियाई देशों को प्राकृतिक प्रकोप का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है ऐसे में यहां के लोगों और सरकारों को ऊर्जा संरक्षण के प्रति सचेत करना और भी ज्यादा जरूरी हो चुका है।उन्होंने कहा कि दुनियाभर में लोगों को पर्यावरण सरंक्षण के प्रति सचेत करने के लिए यूं तो कई तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं लेकिन 'अर्थ ऑवर' का यह अभियान अपने आप में अनूठा और बेहद सुगम है।इसके जरिए रंगारंग कार्यक्रमों पर लाखों रुपए लुटाकर या फिर बड़े केंद्र या योजनाएं बनाकर नहीं बल्कि बस चंद घंटों का 'अंधेरा' करके पूरी दुनिया को एक बड़े उद्देश्य के लिए जोड़ने का प्रयास किया जाता है।'
अर्थ ऑवर' अभियान की शुरुआत सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया में वर्ष 2007 में की गई थी। यहां अभियान शुरू होने की मुख्य वजह यह थी कि यहां ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में ऊर्जा उत्पादन का योगदान 69 प्रतिशत था। स्थिति हालांकि अभी कुछ बेहतर हुई है, लेकिन संकट पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।जलवायु परिवर्तन और उसके असर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से भारत के 150 से अधिक शहरों ने ‘अर्थ ऑवर’ में भाग लिया। इस अभियान में दुनियाभर के सात हजार से अधिक देश शामिल होने वाले हैं। (एजेंसियां)