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Last Modified: मंगलवार, 2 अगस्त 2022 (10:55 IST)

नागपंचमी पर की जाती है इन 8 नाग देवताओं की पूजा

नागपंचमी पर की जाती है इन 8 नाग देवताओं की पूजा - Nshta naga pooja
Nagpanchami 2022: नाग पंचमी का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन अष्ट नागों की पूजा प्रधान रूप से की जाती है। इस बार अंग्रेजी माह के अनुसार 2 अगस्त 2022 मंगलवार को नागपंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। नागों की पूजा के पूर्व मां कद्रू और मां मनसा देवी की पूजा करना जरूरी है।
 
अष्टनागों के नाम है- 
1.अनन्त (शेष)
2.वासुकि
3.पद्म
4.महापद्म
5.तक्षक
6.कुलीर
7.कर्कोटक
8.शंख
 
1. शेषनाग- भगवान विष्णु के सेवक शेषनाग के सहस्र फन पर धरती टिकी हुई है। ब्रह्मा के वरदान से ये पाताल लोक के राजा हैं। रामायण काल में लक्ष्मण शेषनाग के अवतार थे और महाभारत काल में बलराम शेषनाग के अंश थे।
 
2. वासुकि- भगवान शिव के सेवक वासुकि हैं। समुद्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत को मथनी तथा वासुकि को ही नेती (रस्सी) बनाया था। त्रिपुरदाह के समय वे शिव के धनुष की डोर बने थे। महाभारत काल में उन्होंने विष से भीम को बचाया था।
3. पद्म- पद्म नागों का गोमती नदी के पास के नेमिश नामक क्षेत्र पर शासन था। बाद में ये मणिपुर में बस गए थे। असम के नागवंशी इन्हीं के वंश से है।
 
4. महापद्म- विष्णुपुराण में सर्प के विभिन्न कुलों में महापद्म का नाम भी आया है। पद्म और महापद्म नाग कुल में विशेष प्रीति थी।
 
5. तक्षक- महाभारत काल में शमीक मुनि के शाप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डंस लिया था। तब उनके पुत्र जन्मेजय ने नागदाह यज्ञ कर सभी नागों को मार दिया था लेकिन कर्कोटक बच गया था।
 
6. कुलिक- कुलिक नाग जाति नागों में ब्राह्मण कुल की मानी जाती है जिसमें अनंत भी आते हैं। ये अन्य नागों की भांति कश्यप ऋषि के पुत्र थे लेकिन इनका संबंध सीधे ब्रह्माजी से भी माना जाता है।
 
7. कर्कोटक- नागराज कर्कोटक शिव के गण थे। नारद के शाप से वे एक अग्नि में पड़े थे, लेकिन नल ने उन्हें बचाया और कर्कोटक ने एक शाप के चलते नल को ही डंस लिया। शिवजी की स्तुति के कारण कर्कोटक जन्मेजय के नाग यज्ञ से बचकर अवंतिका में छुप गए थे।
 
8. शंख- नागों के 8 मुख्य कुलों में से एक है। शंख नागों पर धारियां होती हैं। यह जाति अन्य नाग जातियों की अपेक्षा अधिक बुद्धिमान मानी जाती थी।
 
भारत में उपरोक्त आठों के कुल का ही क्रमश: विस्तार हुआ जिनमें निम्न नागवंशी रहे हैं- नल, कवर्धा, फणि-नाग, भोगिन, सदाचंद्र, धनधर्मा, भूतनंदि, शिशुनंदि या यशनंदि तनक, तुश्त, ऐरावत, धृतराष्ट्र, अहि, मणिभद्र, अलापत्र, शंख चूड़, कम्बल, अंशतर, धनंजय, कालिया, सौंफू, दौद्धिया, काली, तखतू, धूमल, फाहल, काना, गुलिका, सरकोटा इत्यादी नाम के नाग वंश हैं। अग्निपुराण में 80 प्रकार के नाग कुलों का वर्णन है।
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