नागपंचमी के दिन किस तरह करना चाहिए नागों की पूजा?
Nag Panchami 2023: श्रावण माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नगों की पूजा की जाती है। इस बार नागपंचमी का पर्व 21 अगस्त 2023 सोमवार के दिन मनाया जाएगा। आओ जानते हैं कि किस तरह करना चाहिए नागों की पूजा।
कब है नाग पंचमी 2023:-
पंचमी तिथि प्रारम्भ- 21 अगस्त 2023 को 12:21 एएम बजे।
पंचमी तिथि समाप्त- 22 अगस्त 2023 को 02:00 एएम बजे।
नाग पंचमी पूजा मूहूर्त:- सुबह 06:21 से 08:53 तक।
राहुकाल : सुबह 07:56 से 09:31 तक। इस बीच पूजा न करें।
अन्य मुहूर्त :-
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ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:51 से 05:36 तक।
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अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12:16 से 01:07 तक।
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विजय मुहूर्त - दोपहर 02:48 से 03:39 तक।
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गोधूलि मुहूर्त- शाम 07:02 से 07:25 तक।
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सायाह्न सन्ध्या- शाम 07:02 से 08:10 तक।
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अमृत काल- पूरे दिन।
जिंदा नागों की नहीं होती है पूजा :
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कई सपेरे जिंदा नाग को पकड़कर पिटारी में बंद करके घर-घर ले जाते हैं ताकि लोग नाग की पूजा कर सके।
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लेकिन जो लोग अपने अच्छे के लिए नाग की पूजा कर रहे हैं उन्हें यह भी जानना होगा कि इससे उनका अच्छा नहीं बल्कि बुरा होने वाला है।
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जानकार लोग कहते हैं कि सांप या नाग के लिए दूध जहर समान होता है जिसके चलते कुछ दिनों बाद उनकी मृत्यु हो जाती है।
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अत: पिटारी के नाग की पूजा करना नागों के उपर अत्याचार माना जाता है।
फिर किस नाग की करें पूजा?
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नाग प्रतिमा, चित्र, आटे, पीतल, तांबे, रस्सी या चांदी के बने नाग की पूजा ही करें।
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नाग की पूजा शिवजी के साथ ही उस जगह होती है जहां पर पहले से स्थापित प्राण प्रतिष्ठित किया हुआ शिवलिंग हो। पिटारी में नाग पूजा शास्त्र सम्मत नहीं है।
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नागपंचमी की पूजा यदि घर पर की जा रही है तो चांदी ने नाग जोड़ों की, पीतल या तांबे के नाग की शिवजी के साथ पूजा की जाती है।
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चांदी के नाग- नागिन न हो तो एक बड़ी-सी रस्सी में सात गांठें लगाकर उसे सर्प रूप में पूजते हैं।
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किसी नाग मंदिर में नागदेव की पूजा करना सबसे उत्तम माना जाता है।
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कई लोग नाग की बांबी की पूजा भी करते हैं उसे भी उचित नहीं माना जाता है।
नाग पंचमी पर नागों की पूजा- Worship of Snakes on Nag Panchami:
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नित्यकर्म से निवृत्त होकर नाग पूजा के स्थान को साफ करें।
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पूजा स्थान पर उचित दिशा में लकड़ी का एक पाट या चौकी लगाएं और उस पर लाल कपड़ा बिछा दें।
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अब उस पाट पर नाग का चित्र, मिट्टी की मूर्ति या चांकी के नाग को विराजमान करें।
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अब चित्र या मूर्ति पर गंगाजल छिड़कर उन्हें स्नान कराएं और उनको नमस्कार करके उनका आह्वान करें।
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फिर हल्दी, रोली (लाल सिंदूर), चावल और फूल लेकर नाग देवता को अर्पित करें। उनकी पंचोपचार पूजा करें।
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उसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर नाग मूर्ति को अर्पित करते हैं।
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पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है।
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अंत में नागपंचमी की कथा अवश्य सुनते हैं।
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इसी तरह से संध्या को भी पूजा आरती करें।
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पूजा आरती के बाद दान आदि देकर व्रत का पारण कर सकते हैं।
नाग पंचमी पूजा मन्त्र-
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः।
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥
मन्त्र अर्थ- इस संसार में, आकाश, स्वर्ग, झीलें, कुएं, तालाब तथा सूर्य-किरणों में निवास करने वाले सर्प, हमें आशीर्वाद दें तथा हम सभी आपको बारम्बार नमन करते हैं।