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सोशल मीडिया: कौन घोल रहा जहर, कौन इन मासूमों को पढ़ा रहा हिंदू-मुस्‍लिम का पाठ ?

सोशल मीडिया: कौन घोल रहा जहर, कौन इन मासूमों को पढ़ा रहा हिंदू-मुस्‍लिम का पाठ ? - blog on social media
देश में बवाल है। जेएनयू और जामिया समेत अलीगढ मुस्‍लिम यूनिवर्सिटी भी सुर्खियों में हैं। सीएए और एनआरसी को लेकर कई जगह हिंसा और विवाद की स्थिति है। यह सबकुछ सड़कों पर हो रहा है, ऐसे में सोशल मीडिया में एक अलग ही युद्ध लड़ा जा रहा है, ट्विटर पर रोजाना नित नए और घृणा से भरे हैशटैग ट्रेंड हो रहे हैं।
इन ट्रेंडिंग के जरिए लगातार ट्वीट और री-ट्वीट किए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग दो वर्गों में बंट गए हैं। कुछ सरकार के पक्ष में तो कुछ विपक्ष में रहकर तमाम तरह के तर्क, ट्वीट और पोस्‍ट कर रहे हैं। सोशल मीडिया को देखकर लगता है कि देश में कितना कुछ चल रहा है।  
 
हालांकि यह विचारधारा की लड़ाई है, विचारों की मदद से ही लड़ी भी जाना चाहिए। यहां तक तो ठीक है, लेकिन देश की नई पौध में एक तरह का जहर भी घोला जा रहा है। जो आगे चलकर संभवत: बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

दरअसल, सोशल मीडिया के सबसे बड़े प्‍लेटफॉर्म ट्विटर पर कुछ ऐसे वीडियो सामने आ रहे हैं, जिन्‍हें देखकर आपके माथे पर शिकन पड़ सकती है। जब हम ट्विटर स्‍क्रोल करते हैं, स्‍कूल जाते बच्‍चे आजादी के नारे लगाते नजर आते हैं, तो कई बार किसी छोटी सी बच्‍ची का वीडियो नजर आता है, जो वीडियो में कहती नजर आती है कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह मुसलमानों को देश से निकालना चाहते हैं, वो हमें कैंप में भेज देंगे, और खाने के लिए सिर्फ एक टाइम खाना देंगे।  लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम देश से नहीं जाएंगे।

कुछ दूसरे वीडियो में अपनी पीठ पर बस्‍ता लटकाकर स्‍कूल जाते बच्‍चे नारे लगाते हैं कि- हम लेकर रहेंगे आजादी। मोदी सुन लो, शाह सुन लो, हम लेकर रहेंगे आजादी। इन बच्‍चों को देखकर लगता है कि इनकी मासूमियत छीनकर इनके दिमाग में सांप्रदायिकता का जहर घोल दिया गया है।

ये नन्‍हें बच्‍चे अभी उम्र के बेहद ही कच्‍चे और नाजुक दौर में हैं, लेकिन सीएए और एनआरसी के नाम पर इनके मन में जहर घोला जा रहा है। यह वीडियो देखकर ठीक कश्‍मीर की आजादी के लिए नारे लगाते हुए पत्‍थरबाजी करने वाले युवाओं की याद ताजा हो जाती है। अगर अभी यह हाल है तो आगे चलकर क्‍या होगा, यह बेहद आसानी से समझा जा सकता है।

जाहिर है यह सब बच्‍चों के दिमाग की उपज नहीं है, इनके पीछे जरुर कोई शातिर दिमाग काम कर रहा है, ऐसे में सवाल यह है कि आखिर कौन इन बच्‍चों को नफरत का यह पाठ पढा रहा है, कौन है जो इन्‍हें हिंदू- मुस्‍लिम सिखा रहा है। यह वीडियो कौन बना रहा है और कौन इन्‍हें सोशल मीडिया पर वायरल कर रहा है। क्‍या सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्‍ट को जांचने का कोई तरीका या पैमाना नहीं है। सोशल मीडिया की मॉनिटरिंग या उस पर नजर रखने वाला क्‍या कोई नहीं जो इस फिजा में घुलता जहर रोक सके।
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