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Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Updated : शनिवार, 13 जुलाई 2024 (12:49 IST)

यदि देखना हो शानदार झरने तो जाएं इन 5 में से किसी एक जगह पर, जिंदगीभर याद रखेंगे

यदि देखना हो शानदार झरने तो जाएं इन 5 में से किसी एक जगह पर, जिंदगीभर याद रखेंगे - Top 5 Waterfalls of India
Top 5 Waterfalls of India : भारत में प्रकृति के हर रंग है, रेगिस्तान है तो जंगल भी, समुद्र है तो बर्फ भी और पहाड़ है तो फिर विश्‍व के सबसे शानदार झलने भी। यदि आप झरनों के पास जाना चाहते हैं और वह भी भारत के सबसे शानदार झरनों के पास जो हमारे बताए गए मात्र 5 झरनों यानी वॉटरफौल को देख लिया तो आप जिंदगीभर याद रखोगे।
 
1. कुंचिकल झरना : कुंचिकल जलप्रपात कर्नाटक के शिमोगा जिले में मस्थीकट्टे के पास निदगोडु गांव में स्थित है। इस झरने की ऊंचाई 455 मीटर (1493 फीट) है। यह भारत के सबसे ऊंचे झरनों में से एक है। कुंचिकल झरने को स्थानीय लोग कुंचिकल अब्बे के नाम से भी जानते है। वराही नदी के साथ बहने वाली अन्य कई नदियां मानसून के दौरान यहां के कई झरनों के संग मिल जाती है। इसलिए मानसून में हम कुंचिकल झरने के आसपास और कई छोटे झरने बहते देखते हैं। यहां का सबसे करीबी एयरपोर्ट बेंगलुरु है। कर्नाटक के ही शिमोगा में स्थित एक और बरकाना झरना 259 मीटर ऊंचा है। यह झरना भी सीता नदी के द्वार पश्चिमी घाट के पहाड़ों से ही नीचे गिरता है। इसी जिले में शरावती नदी द्वारा 253 मीटर की ऊंचाई पर एक झरना गिरता है जिससे जोग फॉल्स कहते हैं। 
 
2. दूधसागर झरना : यह झरना भारतीय राज्य गोवा के पश्‍चिमी मंडोवी नदी से निकलता है जो कि पश्चिमी घाट के पहाड़ों के ऊपर से गिरता है। यह लगभग 320 मीटर ऊंचा है और इस झरने के पास ही भगवान महावीर अभ्यारण भी मौजूद है। यह झरना गोआ की राजधानी पणजी से 60 कीलोमीटर दूर कर्नाटक और गोवा राज्य के बॉर्डर पर मौजूद है।
shillong elephant falls
3. चित्रकूट झरना : छत्तीसगढ़ में बस्तर संभाग के चित्रकूट में भी बहुत ऊंचाई से झरना गिरता है। जगदलपुर से 39 किमी दूर इन्द्रावती नदी पर यह जलप्रपात बनता है। इस जल प्रपात की ऊंचाई 90 फीट है। हालांकि इस झरने की चौड़ाई ज्यादा है जोकि अन्य भातरीय झरनों कहीं अधिक है।
 
4. धुआंधार झरना : यह स्थान मध्यप्रदेश के जबलपुर के पास भेड़ाघाट में है। यहां के वाटरफॉल को धुआंधार जल प्रपात कहते हैं जो लगभग 10 मीटर की ऊंचाई से नीचे गिरता है। यह प्रसिद्ध जल प्रपात बहुत ही सुंदर संगमरमर की दो पहाड़ियों के बीच से निकलता है। इसकी छटा अनुपम है और पानी के गिरने की आवाज दूर तक सुनाई देती है। पानी जब नीचे गिरता है तो उपर तक उझाल मारता है जिसके चलते ही इसे धुआंधार करते हैं। जहां पर यह वाटरफॉल है वहां पर सफेद संगमरमर के दो पहाड़ों के के बीच नर्मदा नदी बहती है। नर्मदा में नौका-विहार करने का रोमांच ही कुछ और है।
 
5. नोहकालीकई झरना : नोहकालीकई झरना पूर्वोत्तर भारत के मेघालय राज्य में पूर्वी खासी हिल्स जिला में स्थित है। यह लगभग 340 मीटर ऊंचा है और यहां 12 माह ही बारिश होती रहती है क्योंकि यहां पर मौजूद है चेरापूंजी जहां पर भारत में सबसे ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की जाती है। इसलिए यहां का मौसम हमेशा ही सुहावना बना रहता है। निरंतर बारिश की वजह से यहां का झरना हमेशा ही बहता रहता है।
 
मेघालय में ही इसके अलावा लांगशिआंग झरना है जो लगभग 337 मीटर ऊंचा है। यह पश्चिमी खासी हिल्स जिला में स्थित है। यह झरना ऊंची खांसी पहाड़ी और जंगली रास्तों से नीचे की ओर गिरता है। इसके अलावा नोह्स्न्गीतीआंग झरना पूर्वी खासी हिल्स जिला में स्थित है। यह लगभग 315 मीटर ऊंचा है। इस झरने को सेवेन सिस्टर वाटरफॉल या मांसमाई फॉल के नाम से भी जाना जाता हैं क्योंकि यह झरना सात भागों में बंटा हुआ है जो मांसमाई गांव से लगभग 1 किलोमीटर दूर है। एक अन्य झरना काईनरेम झरना मेघालरय के चेरापूंजी में ही पूर्वी खासी हिल पर एक और झरना है जो लगभग 305 मीटर ऊंचा है। चेरापूंची से लगभग 12 किलोमीटर दूर यहां पर थांगखारंग पार्क भी मौजूद है। क्यन्रएं झरना भी यहां मौजूद है।