Motivational Story: अनाथालय में पला ये कश्मीरी आरजे, आज युवाओं के लिए बन गया मोटिवेशनल का ‘सुपर डोज
कोरोना और ओमिक्रॉन की दहशत में मोटिवेशनल डोज बेहद जरूरी है, आप हम आपको बता रहे हैं एक ऐसी ही कहानी के बारे में जो आपको मोटिवेट कर देगी।
मोहम्मद रफीक पीर कश्मीर के जाने-माने रेडियो जॉकी हैं, लेकिन इनका सफर संघर्षभरा रहा है। रफीक एक अनाथालय में पले-बढ़े हैं। लेकिन आज वे कश्मीर के युवाओं को अपने तरीके से प्रेरित कर रहे हैं।
बतौर आरजे, रफीक सामाजिक मुद्दों पर ऑडियंस को राह दिखाने के लिए युवाओं में कुछ कर गुजरने का जोश भर रहे हैं। उन्हें करियर की राह दिखाने के साथ मन की नकारात्मकता को भी दूर कर रहे हैं। वे लोगों को प्रेरित करने के साथ उन्हे पॉजिटिव रहने का ज्ञान देते हैं।
28 वर्षीय रफीक का बचपन एक अनाथालय में बीता। बेहद कम उम्र में उन्होंने महसूस किया कि उन्हें आरजे बनना है। इसकी तैयारी के लिए वे अपनी ट्यूशन क्लासेज तक छोड़ देते थे।
यह सफर आसान नहीं था। 2008 में 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद म्यूजिक और रेडियो की दुनिया की तरफ आकर्षित हुए।
उन्होंने सबसे पहले गोल्डन वॉइस ऑफ कश्मीर अवॉर्ड में सिंगिंग के लिए ऑडिशन दिया, लेकिन दिक्कत तब हुई जो वहां होस्ट ने इनका मोबाइल नम्बर मांगा। रफीक कहते हैं,
मैं एक अनाथलय से हूं यह बात किसी को पता न चले, इसलिए मैंने उन्हें अपने वॉर्डन का नम्बर यह बताते हुए दिया कि यह मेरे पेरेंट्स का कॉटैक्ट नम्बर है। कुछ दिनों वाद मेरे वॉर्डन के पास उनका कॉल आया और उन्हें मेरे ऑडिशन की जानकारी मिली। यह जानकारी मिलने के बाद मेरी जबदरस्त पिटाई भी हुई।
रफीक कहते हैं, कॉलेज स्टडी के दौरान मुझे अनाथालय से पॉकेट मनी मिलती थी, लेकिन मैं इससे ज्यादा कमाना चाहता था, क्योंकि करियर बनाने के लिए पैसों की जरूरत थी। इसलिए मैंने चुपके से एक मोबाइल फोन खरीदा और कॉलेज की पढ़ाई के दौरान विज्ञापनों के लिए वॉयस ओवर करने लगा।
कश्मीर के हंडवाड़ा निवासी रफीक ने करियर के शुरुआती दौर में बतौर होस्ट कई शोज किए। इनमें वेलापंती शो काफी चर्चित रहा। इसके अलावा बतौर आरजे भड़ास बॉक्स नाम की पहल की। इंटरव्यू और सोशल मीडिया के जरिए रफीक सामाजिक मुद्दों और कश्मीर की म्यूजिक इंडस्ट्री में उभरते युवाओं को लेकर खुलकर बात करते हैं और लोगों को गाइड भी करते हैं।
रफीक एक्टिंग में हाथ आजमा चुके हैं। ये 2018 में आई सज्जाद अली की फिल्म लैला मजनू में दिख चुके हैं। इस फिल्म का स्क्रीनप्ले लिखा था मशहूर फिल्म डायरेक्टर इम्तियाज अली ने। फिल्मों के अलावा वो कई म्यूजिक एल्बम में भी नजर आ चुके हैं।
आरजे रफीक के अब तक के संघर्षभरे सफर पर नजर डालें तो यह लोगों को प्रेरित करने वाला है। रफीक ऐसे बैकग्राउंड से आए जहां एक बच्चे को उसकी जरूरत की बुनियादी चीजें तक नहीं मिल पातीं। अपनी मेहनत के दम पर रफीक सफल हुए और एक मुकाम बनाया। उनके लिए उनका काम की उनका जीवन है।