जल गईं पूरी टांगें, लेकिन फिर भी बन गया वर्ल्ड चैंपियन...भई वाह
यह कहानी है उस 8 वर्षीय बालक की जिसकी टांगें स्कूल में हुए एक हादसे में बुरी तरह से जल गईं थी। डॉक्टरों ने कहा कि अब यह जिंदगी में कभी चल नहीं पाएगा, क्योंकि उसके पैरों का सारा मांस जल चुका था। माता-पिता निराश हो गए। पूरे परिवार के लिए यह एक झटका था।
बच्चे की अस्पताल से छुट्टी कर दी गई। घर पर उसकी मां रोज उसके पैरों की मालिश करने लगी और वह उसे व्हील चेयर पर बैठाकर पास के ही गार्डन में घुमाने भी ले जाती थी। वहां बच्चे खेलते थे और वह बच्चा रोज उन बच्चों को खेलते हुए देखता था। बच्चे में भी इच्छाशक्ति और दृढ़ विश्वास था। कहीं न कहीं उसके मन में यह विश्वास था कि चाहे कुछ भी हो एक दिन वह भी चलेगा और दौड़ेगा भी।
फिर एक दिन जब उसकी मां व्हील चेयर पर ही उसे बैठाकर कहीं और किसी और से बातों में मशगूल हो गई तो उस बच्चे ने स्वयं को चेयर पर से गिरा लिया और उसने स्वयं को घसिटना शुरू कर दिया। ऐसा अक्सर होने लगा और वह भी ऐसा रोज ही करने लगा कि खुद को चेयर पर से नीचे गिरा लेता था और खुद को घसिटता था। उसकी मां को भी इसका पता चल गया था परंतु वह इससे बहुत खुश थी कि बच्चा कुछ तो प्रयास कर रहा है और वह भी खुद के दम पर।
घसिटते घसिटते उसने एक दिन बाड़ को पकड़ा और उसके सहारे खड़ा हो गया। लड़खड़ाते हुए उसने कुछ कदम भी आगे बढ़ाए। अब वह खड़ा रहने लगा। फिर कुछ दिनों में धीरे-धीरे उसने बाड़ का सहारा भी छोड़ दिया। फिर बहुत धीरे-धीरे चलने लगा। फिर सामान्य तरह से चलने लगा। फिर वह दौड़ने लगा। अब उसने अपनी दौड़ को स्कूल तक बढ़ाया। उसने अपने स्कूल की रनिंग टीम में भाग लिया, कई बार असफल हआ लेकिन रुका नहीं। आखिर बहुत कोशिश के बाद उसका सलेक्शन हो गया और लगातार आगे प्रयास करता रहा और स्कूल लेवल के कई गेम जीते। बाद में कॉलेज की ट्रैक टीम से शामिल हो गया। अब वह बच्चा नहीं था।
फिर वह साल भी आया जब उसने न्यूयॉर्क के मशहूर मैडिसन स्क्वायर गार्डन में एक मील दौड़कर सभी के रिकॉर्ड तोड़ दिए। मैडिसन स्क्वायर पर 1934 में इस व्यक्ति ने तेज दौड़कर सभी को चौंका दिया। अब आप उस व्यक्ति का नाम जानना चाहेंगे, तो उसका नाम है- डॉ. ग्लेन कनिंघम। जी हां, अपने जमाने के वर्ल्ड चैंपियन डॉ. ग्लेन कनिंघम।
जन्म: 4 अगस्त 1909
मृत्यु: 10 मार्च 1988
उपलब्धि : 1934, के समय का दुनिया का सबसे तेज दौड़ाक। 1932 में लॉस एंजलिस ओलिंपिक में हुई पंद्रह सौ मीटर की दौड़ में चौथे स्थान पर रहे। 1936 के बर्लिन ओलिंपिक में उन्होंने पंद्रह सौ मीटर की रेस में सिल्वर जीता।