बाल अपराधों को सख्ती से रोकेंगे-रविशंकर प्रसाद
नई दिल्ली। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने देश के करोड़ों बच्चों को भरोसा दिलाया कि किसी भी हालत में बच्चों पर होने वाले अपराधों को रोका जाएगा। उन्होंने पुलिस को भी नसीहत दी कि वह बच्चों पर होने वाले अपराधों से सख्ती से निपटे।
केन्द्रीय मंत्री प्रसाद 'सम्पूर्ण सामाजिक संस्था' द्वारा आयोजित किशोर न्याय प्रणाली विषय पर अपने विचार रख रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार बच्चों की उम्र को लेकर चल रहे विवाद पर हर वर्ग की राय सुनने को तैयार है। निर्भया कांड के बाद लोगों ने बाल न्याय कानून पर अपना ध्यान आकर्षित किया है और इसके हर प्रावधान पर विचार विमर्श किया जा रहा है। मोदी सरकार बच्चों को लेकर बहुत ही संवेदनशील है। टेक्नोलॉजी के कारण सूचना तंत्र बहुत ही सुदृढ़ हुआ है। गुमशुदा बच्चों को पोर्टल पर जानकारी के माध्यम से वापस लाने की कवायद शुरू की जाएगी।
एनडीएमसी बिल्डिंग कन्वेंशन हॉल में आयोजित इस सेमिनार में दिल्ली की नामी-गामी शैक्षणिक संस्थाओ जैसे जामिया मिलिया, जिम्स, विपस, सक्मणी देवी टेक्निकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली विश्वविद्यालय विद्यार्थियों ने भी भाग लिया।
शिक्षाविद एवं पत्रकार वर्तिका नंदा ने अपने भाषण में बच्चों द्वारा बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों की तीव्र निंदा की और कहा कि ये घटनाएं किशोर न्याय अधिनियम के पर्दे में छिपाने से रुक नहीं सकतीं। आमोद कंठ ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमें बाल अपराध का हवाला देकर बच्चों का बचपन छीनने का कोई हक नही हैं।
पूरे दिन चले इस सेमिनार में तीन टेक्निकल सत्र थे, जिनके विषय बहुत ही सम-सामयिक थे। दूसरे सत्र में किशोरों द्वारा उन्माद अथवा मजाक में अपराध किए जाने पर चर्चा की गई। इस सत्र के विशेषज्ञों ने कहा कि केवल क्षणिक आनंद के लिए बिना किसी इंटेंशन के किए जाने वाले बाल अपराध लगातार बढ़ रहे है। रैगिंग, ईव टीजिंग, घूरना, अभद्र टिप्पणी करना आज के बालकों में बढ़ता ही जा रहा है और इसके लिए नितांत आवश्यक है, बच्चों को संस्कारिक बनाना। इस सत्र में एसीपी अरोड़ा, प्रो. रवीन्द्र गर्गेश, डॉ. विशाल छाबड़ा ने भाग लिया।
तीसरे सत्र में बाल गृहों में बेस्ट प्रेक्टिस विषय पर बोलते हुए दिल्ली बाल अपराध संरक्षण आयोग की सदस्य ममता सहाय ने कहा कि आयोग द्वारा लगातार बालगृहों का निरीक्षण किया जाता है और उसमें काम करने वाले व्यक्ति बच्चों के प्रति प्रेम-भाव वाला रवैया रखे, यह भी सुनिश्चित किया जाता है। प्रयास, स्वीट होम जैसी संस्थाओं ने भी सत्र में अपनी सर्वोतम प्रैक्टिस का वर्णन किया। इस सत्र में नए कानून पोक्सो को भी समझाया गया।
तीसरे सत्र में गुम होने वाले बच्चों की समस्या पर भी बात की गई। मिशान कन्वर्जेंस की पूर्व निदेशक श्रीमती रश्मिसिंह ने भी अपने संदेश में माता-पिता के उचित लालन-पालन की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. शोभा विजेन्द्र, संस्थापिका संपूर्ण ने भी बताया कि एक रिपोर्ट में 91 प्रतिशत वे बच्चे अपराध में लिप्त पाए गए जो घरो में अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। 8 प्रतिशत वे बच्चे अपराध में हैं, जो किसी गार्जियन के साथ रह रहे हैं। केवल 1 प्रतिशत बच्चे सड़क पर हैं। ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि माता-पिता द्वारा बच्चों को उचित देखभाल नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि संस्कारों के बिना शिक्षा इस नैतिक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। सेमिनार के अंतिम सत्र में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।