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Written By WD Feature Desk

मकर संक्रांति की 10 परंपराएं, इस तरह मनाते हैं ये त्योहार

मकर संक्रांति के दिन के 10 रीति रिवाज, सेहत के साथ खुशियों का त्योहार

Makar Sankranti 2024 : मकर संक्रांति की 10 परंपरा, इस तरह मनाते हैं ये त्योहार - Tradition of Makar Sankranti
Makar Sankranti 2024 : सूर्य के मकर राशि में जाने पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस बार 15 जनवरी 2024 को यह पर्व मनाया जाएगा। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य के स्पष्ट रूप से उत्तरायण होने पर उत्सव मनाते हैं। संपूर्ण भारत में इसे अलग अलग नामों से जाना जाता है। दक्षिण भारत में इसे पोंगल, भोगी पंडिगाई और पंजाब में लोहड़ी के रूप में मनाते हैं। आओ जानते हैं कि इस दिन कौन से 10 कार्य करना चाहिए।
 
मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय के पूर्व उठकर नदी स्नान या गंगा स्नान करने के बाद ही पर्व को मनाया जाता है। इस पर में क्या क्या करते हैं और कैसे मनाते हैं जानिए....
1. नदी स्नान : माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी त्यागकर उनके घर गए थे इसलिए इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य हजार गुना हो जाता है। इस दिन गंगासागर (पश्चिम बंगाल) में मेला भी लगता है। नदी में नहीं तो घर पर ही जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।
 
2. सूर्य आराधना : इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है। इस दिन से दिन धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है और रातें छोटी। इस दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्य को अर्घ्य देने और उनकी पूजा करने का महत्व है।
3. दान : इस दिन तिल गुड़ या रेवड़ी का दान किया जाता है। इस दिन गरीबों को या जरूरत मंदों को दान देने से पुण्य हजार गुना हो जाता है। 
 
4. गाय को चारा डालना : इस दिन विशेष तौर पर गायों को हरा चारा खिलाया जाता है। गायों को हरा चारा खिलाने से माता लक्ष्मी और दुर्गा मां प्रसन्न होती हैं।
5. पतंग महोत्सव : यह पर्व 'पतंग महोत्सव' के नाम से भी जाना जाता है। पतंग उड़ाने के पीछे मुख्य कारण है कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना। इसलिए इस दिन पतंग जरूर उड़ाना चाहिए।
 
6. धूप सेंकना : यह समय सर्दी का होता है और इस मौसम में सुबह का सूर्य प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्द्धक और त्वचा व हड्डियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। अत: उत्सव के साथ ही सेहत का भी लाभ मिलता है।
7. तिल गुड़ खाना : सर्दी के मौसम में वातावरण का तापमान बहुत कम होने के कारण शरीर में रोग और बीमारियां जल्दी लगती हैं इसलिए इस दिन गुड़ और तिल से बने मिष्ठान्न या पकवान बनाए, खाए और बांटे जाते हैं। इनमें गर्मी पैदा करने वाले तत्वों के साथ ही शरीर के लिए लाभदायक पोषक पदार्थ भी होते हैं। 
 
8. खिचड़ी का भोग : उत्तर भारत में इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक का प्रसाद भी बांटा जाता है।
9. खेत-अनाज पूजा : इस दिन से वसंत ऋतु की भी शुरुआत होती है और यह पर्व संपूर्ण अखंड भारत में फसलों के आगमन की खुशी के रूप में मनाया जाता है। खरीफ की फसलें कट चुकी होती हैं और खेतों में रबी की फसलें लहलहा रही होती हैं। खेत में सरसों के फूल मनमोहक लगते हैं। 
 
10. विष्णु लक्ष्मी पूजा : इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और आराधना करने के भी महत्व है। इस दिन उनकी माता लक्ष्मी के साथ पूजा करने से कृपा प्राप्त होती है।