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Last Modified: गुरुवार, 19 दिसंबर 2019 (11:12 IST)

महाभारत के 5 सबसे रोचक और रोमांचक लोग

महाभारत के 5 सबसे रोचक और रोमांचक लोग | most popular character of mahabharat
महाभारत काल में ऐसे कई लोग रहे हैं जिनको हम मजेदार, रोचक या रोमांचक कह सकते हैं, लेकिन जब हम मात्र 5 का चयन करते हैं तो आपको भी जानकर हैरानी होगी और आप भी इससे सहमत होंगे। हालांकि हर व्यक्ति की नजर में अलग अलग किरदार हो सकते हैं। यहां हमने सबसे रोचक और रोमांचक श्रीकृष्ण को इस लिस्ट में शामिल नहीं किया है।

 
1.द्रौपदी : आप सोच सकते हैं कि कोई महिला कैसे पांच पतियों के साथ रह सकती है और वह भी तब जबकि समाज में इसे बहुत ही बुरा माना जाता रहा है। आप यह भी सोच सकते हैं कि उस महिल पर तब क्या बिती होगी जबकि भरी सभा में उसका चिरहरण किया जा रहा था। मत्स्य वंश के राजा कीचक ने द्रौपदी के साथ जबरदस्ती करना चाही थी। अज्ञातवास के दौरान जब द्रौपदी को रानी सुदेशना की दासी बनना पड़ा था। द्रौपदी ने जो कष्ट झेला उसे समझना मुश्‍किल है। द्रौपदी की कहानी सुनने वाले के लिए यह रोचक और रोमांचक है कि उनके जीवन की हर घटना जानने योग्य है।

 
कहते हैं कि द्रौपदी का जन्म यज्ञ से हुआ था इसीलिए उसे 'याज्ञनी' कहा जाता था। द्रौपदी को पंचकन्याओं में शामिल किया गया है। पुराणानुसार 5 स्त्रियां विवाहिता होने पर भी कन्याओं के समान ही पवित्र मानी गई हैं। अहिल्या, द्रौपदी, कुंती, तारा और मंदोदरी। द्रौपदी ने 5 लोगों को अपना पति बनाया था, जो कि एक बहुत ही बड़ा कदम था। पांचों पुरुषों से विवाह करने के बाद भी द्रौपदी ने अपनी पवित्रता और चरित्र को समाज के समक्ष सही सिद्ध किया। कहते हैं कि द्रौपदी के कारण ही महाभारत का युद्ध हुआ था। द्रौपदी का संपूर्ण जीवन उथल-पुथलभरा रहा है। 5 पुरुषों से विवाह करने के बाद भी द्रौपदी खुद को अकेली ही महसूस करती थीं, क्योंकि सभी पांडवों ने अपनी अलग-अलग पत्नियां कर ली थीं, जो उन्हीं में रमे रहते थे। सबसे बड़ी त्रासदी द्रौपदी के साथ तब हुई, जब युद्ध के अंत में उसके सभी पुत्रों को सोते समय अश्वत्थामा ने मार दिया था।

 
2.शकुनी : यदि आपने महाभारत देखी होती तो यह बात सभी जानते होंगे कि जब भी शकुनी की एंट्री होती थी तो एक रोमांच का अनुभव होता था। दरअसल, हर कोई शकुनी की हरकतर और उनके छल को देखना चाहता है। धृतराष्ट्र ने शकुनी के संपूर्ण परिवार को जेल में डाल दिया था और उनको बस मुठ्ठी भर अनाज ही खाने को दिया जाता था। शकुनी ने अपने पूरे परिवार को जेल में भूख से अपनी आंखों के सामने खत्म होते हुए देखा था। आप सोच सकते हैं कि उसके मन में किस के लिए क्या होगा और वह किसके लिए क्या करेगा? कहते हैं कि शकुनी ने प्रतिशोध लिया था, लेकिन यह कितना सही है यह तो शकुनी ही बता सकते हैं क्योंकि कोई भी व्यक्ति नहीं चाहेगा कि वह अपनी बहन के परिवार को नष्ट करने का षड़यंत्र रचे या हो सकता है कि वह चाहे भी।

 
3.भीम : भीम की शक्ति को लेकर सभी में रोमांच रहा है। पवनपुत्र भीम में हजार हाथियों का बल था। भीम को दुर्योधन ने छल से कालकूट नामक जहर पिलाकर नदी में फेंक दिया था। नागलोक में भीम का जहर वासुकि नामक नाग ने उतारा और उन्हें हजार हाथियों का बल प्रदान करने वाले कुंडों का रस पिलाया जिससे भीम और भी शक्तिशाली हो गए। भीम ने ही एक स्थान पर हनुमानजी को बंदर समझकर उनसे अपनी पूंछ हटाने का कहा था, तब हनुमानजी ने कहा था कि यदि तुझमें दम है तो तू ही हटा ले। भीम जब उस पूंछ को हिला भी नहीं पाए तो वे समझ गए कि यह कोई साधारण वानर नहीं है। उन्होंने तब उनसे क्षमा मांगी। तब हनुमानजी ने उन्हें अपने शरीर के 3 बाल दिए और कहा कि संकट काल में ये तुम्हारे काम आएंगे।
 
इस तरह भीम के कई रोचक किस्से हैं। द्रौपदी के अलावा भीम की हिडिम्‍बा और बलन्धरा नामक 2 और पत्नियां थीं। हिडिम्‍बा से घटोत्कच और बलन्धरा से सर्वंग का जन्म हुआ। वनवास के दौरान भीम ने हिडिम्बा नामक राक्षसनी से विवाह किया था जिससे उनका घटोत्कच नामक पुत्र हुआ। घटोत्कच के एक पुत्र का नाम बर्बरीक और दूसरे का नाम अंजनपर्वा था। युद्ध में भीम ने ही दुर्योधन सहित सभी कौरवों का वध कर दिया था। 

 
4.अश्वत्थामा : अश्‍वत्थामा राजपुत्र नहीं था। वह जीवन के संघर्ष की आग में तपकर सोना बना था। गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र और कृपाचार्य के भानजे अश्‍वत्थामा रुद्र के अंशावतार थे। पिता-पुत्र और मामा-भानजे की जोड़ी ने मिलकर महाभारत में कोहराम मचा दिया था। उसने ही युद्ध के अंत में ब्रह्मास्त्र चला दिया था। अश्‍वत्थामा को संपूर्ण महाभारत के युद्ध में कोई हरा नहीं सका था। वे आज भी अपराजित और अमर हैं। 
 
सारे दिव्यास्त्र, आग्नेयास्त्र, वरुणास्त्र, पर्जन्यास्त्र, वायव्यास्त्र, ब्रह्मास्त्र, नारायणास्त्र, ब्रह्मशिर आदि सभी उसने सिद्ध कर लिए थे। वह भी द्रोण, भीष्म, परशुराम की कोटि का धनुर्धर बन गया। कृप, अर्जुन व कर्ण भी उससे अधिक श्रेष्ठ नहीं थे। अपने पिता द्रोणाचार्य की छलपूर्वक हत्या कर देने के बाद अश्‍वत्थामा ने भी सारे नीति और नियम ताक में रख दिए थे। वही एकमात्र ऐसा योद्धा था जिसके चलते पांडव युद्ध जीतकर भी हार गए थे और अंत में श्रीकृष्ण ने उसे 3 हजार वर्ष तक धरती पर सशरीर भटकते रहने के श्राप दे दिया था।
 
5. कर्ण : कई लोग हैं, जो कर्ण को हर तरह से सही मानते हैं। कर्ण के पास अमोघ अस्त्र था, कवच कुंडल थे और वह सबसे बड़ा दानवीर था। लेकिन युद्ध में कवच कुंडल काम नहीं आए और उसके बदले मिला अमोघ अस्त्र भी उसने अर्जुन के बजाय घटोत्कच पर चला दिया। असहाय अवस्था में कर्ण को मार दिया गया। उसने परशुराम से ब्रह्मास्त्र चलाना सीखा लेकिन शाप के चलते ऐन वक्त पर उसे चलाना भूल गया। कर्ण ने कुंती को वचन दिया था कि 'अर्जुन को छोड़कर मैं अपने अन्य भाइयों पर शस्त्र नहीं उठाऊंगा।'
 
देवताओं में सबसे प्रमुख सूर्यदेव के पुत्र कर्ण के जीवन से जुड़े कई रोचक प्रसंग हैं। उनके पालक माता-पिता का नाम अधिरथ और राधा था। उनके गुरु परशुराम और मित्र दुर्योधन थे। हस्तिनापुर में ही कर्ण का लालन-पालन हुआ। उन्होंने अंगदेश के राजसिंहासन का भार संभाला था। जरासंध को हराने के कारण उनको चंपा नगरी का राजा बना दिया गया था।
 
 
 
 
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