लापरवाही ने इंदौर में ली 36 लोगों की जान, गुस्साएं लोगों ने लगाए CM शिवराज के खिलाफ नारे, हादसे का जिम्मेदार कौन?
इंदौर। रामनवमी पर इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में हुए हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई। सेना और एनडीआरएफ की टीमों ने रातभर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और बावड़ी से कई शवों को बाहर निकाला। हादसे के बाद रामनवमी के उल्लास में मग्न लोगों में मातम छा गया। घटना के पीछे प्रशासन की लापरवाही भी सामने आ रही है। इसे देखते हुए लोगों का गुस्सा भड़क उठा। हादसे से दुखी कई व्यापारी संगठनों ने आधे दिन दुकानें बंद रखने का फैसला किया है। अब सवाल उठ रहा है कि इस दर्दनाक हादसे का जिम्मेदार कौन है?
रातभर लोग मंदिर के बाहर बड़ी में डटे हुए थे। सभी को उन लोगों की चिंता थी तो राम नवमी मनाने मंदिर गए थे और हादसे का शिकार हो गए। थलसेना और एनडीआरएफ के संयुक्त दल को एक क्रेन और ट्रॉली की मदद से बावड़ी में नीचे उतारा गया जिसने शवों को बाहर निकाला। जैसे ही शव बाहर लाए गए मंदिर परिसर में हड़कंप मच गया। लोगों की आंखे नम पड़ गई। शव ले जाने के लिए स्ट्रेचर और चादर भी कम पए गए। जैसे-जैसे मौत के मामले बढ़ने लगे लोगों का दुख बढ़ता चला गया।
इस बीच पुलिस ने मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है।
गुस्साएं लोगों का सवाल: बावड़ी हादसे के बाद मृतक परिजनों से मिलने आए भाजपा के वरिष्ठ नेता व मंत्री को जनता के विरोध का सामना करना पड़ा। यहां तक कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के खिलाफ नारेबाजी की गई। उस दौरान नरोत्तम मिश्रा, पूर्व महापौर मालिनी गौड़, आईडी अध्यक्ष जयपाल चावड़ा और भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे मौजूद थे। लोगों के विरोध के बाद तुरंत उन्होंने धर्मशाला से जाना पड़ा। परिजन ने सवाल किया कि घटना के आठ घंटे बाद सेना को क्यों बुलाया गया? यह फैसला तुरंत लेना चाहिए था जिससे लोगों की जान बच सकती थी। लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने रहवासियों को भी रेस्क्यू करने से रोका था।
क्यों हुआ हादसा : एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि धार्मिक कार्यक्रम के दौरान मंदिर में पुरातन बावड़ी की छत पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ थी और छत ज्यादा लोगों का बोझ नहीं सहन कर सकी। रहवासियों ने बताया कि मंदिर पुरातन बावड़ी पर छत डालकर बनाया गया था। बताया जा रहा है कि इस वर्ष पहली बार बावड़ी के ऊपर हवन आयोजित किया गया था।
प्रशासन ने दिया था नोटिस : रहवासियों ने कई बार मंदिर परिसर में अतिक्रमण की शिकायतें की थी। पहले बावड़ी खुली थी लेकिन बाद में इसे ढंक दिया गया था। नगर निगम ने इस मामले में मंदिर ट्रस्ट को नोटिस जारी किया था। अब सवाल उठ रहे हैं कि नोटिस जारी करने के बाद कार्रवाई क्यों नहीं की गई। कहा जा रहा है कि अगर समय रहते कार्रवाई हो जाती तो यह हादसा नहीं होता।
मंदिर ट्रस्ट ने नहीं ली जिम्मेदारी : इधर मंदिर ट्रस्ट ने हादसे की जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया है। ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी ने कहा कि जिन्होंने बनाया, वे लोग तो अब रहे नहीं। हम मंदिर निर्माण के बाद बावड़ी को खोलने वाले थे। हादसा हो गया तो क्या कर सकते हैं।
रेस्क्यू ऑपरेशन में क्यों हुई देरी : मंदिर के संकरी जगह में बने होने के कारण बचाव कार्य में शुरुआत में बाधा आई और मंदिर की एक दीवार तोड़ कर पाइप इसके भीतर डाला गया और बावड़ी का पानी मोटर से खींचकर बाहर निकाला गया। पहले स्थानीय लोगों ने बावड़ी में गिरे लोगों को बचाने का प्रयास किया, फिर पुलिस और जिला प्रशासन के लोग मदद के लिए आए। इसके बाद एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें आई और फिर सेना ने मोर्चा संभाला। शुरुआती दौर में बचाव कर्मियों को संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ा। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी आने में काफी समय लगा और इस वजह से कई लोगों की जान चली गई।
Edited by : Nrapendra Gupta
Photo : Dharmendra Sangle