मध्यप्रदेश में झुलसाने वाली गर्मी, सोलर रेडिएशन से कई शहरों में पारा 45 डिग्री...
भोपाल। मध्यप्रदेश में राजधानी भोपाल समेत लगभग सभी शहरों में भीषण गर्मी और गर्म हवाओं के थपेड़ों ने आम लोगों को बेहाल कर दिया है। न्यूनतम तापमान भी 32 डिग्री तक पहुंच गया है और अधिकतम तापमान 42 से 45 डिग्री के बीच दर्ज किया जा रहा है। धरती के भट्टी की तरह तपने का कारण सोलर रेडिएशन ज्यादा देर तक रहने और गर्म हवा का ऊपर नहीं जाना है बताया जाता है।
मई माह की शुरुआत के साथ ही गर्मी के तेवर तीखे हो गए थे और अब यह चरम पर पहुंच गए हैं। दिन के अलावा रात्रि दस-ग्यारह बजे तक गर्म हवाएं चल रही हैं। इस वजह से रात्रि का न्यूनतम तापमान राजधानी भोपाल में कल 32.7 डिग्री दर्ज किया गया। यह तापमान इस माह का सर्वाधिक है। इसके पहले जून 2002 में रात्रि का तापमान 32.9 दर्ज किया गया था। दिन का तापमान लगभग 44 डिग्री के आसपास दर्ज किया जा रहा है।
राज्य के खरगोन और बड़वानी में दिन का तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया है। उत्तरी अंचल के अलावा बुंदेलखंड के अनेक शहरों और कस्बों में भी दिन का तापमान 45 डिग्री के आसपास पहुंच गया है। लोगों को गर्म हवाओं और लू के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दिन में दुपहिया वाहनों या पैदल चलने वाले लोगों को मुंह पर कपड़ा बांधकर निकलना पड़ रहा है।
स्थानीय मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, भीषण गर्मी और लू का प्रभाव अभी कुछ दिन और बना रहेगा। मानसून पूर्व की गतिविधियां शुरू होने पर ही लोगों को भीषण गर्मी और लू से राहत मिलने की संभावना है। वैज्ञानिकों का कहना है कि परंपरा के अनुरूप मानसून राज्य में जून माह के तीसरे सप्ताह में आने की संभावना रहती है।
इसके पहले जून माह की शुरुआत से ही मानसून पूर्व की गतिविधियां जैसे तेज हवाएं, बादल छाए रहना और गरज-चमक के साथ हल्की बारिश शुरू हो जाती है। वैज्ञानिक स्वीकार करते हैं कि देर रात तक शहरी इलाकों में गर्म हवाएं चलते रहने का मुख्य कारण प्रदूषण, हरेभरे वृक्षों की संख्या कम होना, प्राकृतिक जलस्त्रोतों का सूखना और बड़े बड़े भवनों का अस्तित्व में आना है। पेड़ों की संख्या कम होने के कारण गर्म हवाओं का असर जल्दी कम या समाप्त नहीं हो पाता है और इसकी वजह से देर रात्रि तक लोगों को गर्म हवाओं का सामना करना पड़ता है। (वार्ता)